कर्नाटक में हिजाब पहनने वाली छात्राओं को पढ़ाई से रोकने पर दरगाह आला हज़रत से हुई ये मांग

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Karnataka Hijab Ala Hazrat
दरगाह आला हज़रत, दूसरी तस्वीर दरगाह ताजुश्शरिया की है.

द लीडर : कर्नाटक में हिजाब पर हंगामा मचा है. अब तक तीन कॉलेजों ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को पढ़ाई से रोक दिया है. कॉलेज में प्रवेश की मांग को लेकर मुस्लिम छात्राएं प्रोटेस्ट कर रही हैं. तो स्टूडेंट्स का एक दूसरा सहूम भगवा दुपट्टा और गले में गमछा डालकर अपनी ही क्लासमेट्स के हिजाब पहनने के ख़िलाफ प्रदर्शन कर रहा है. (Karnataka Hijab Ala Hazrat)

इस सबके बीच बरेली की दरग़ाह आला हज़रत और ताजुश्शरिया के संगठन ज़मात रज़ा-ए-मुस्तफा ने पूरे घटनाक्रम पर हैरानी जताई है. ज़मात के उपाध्यक्ष सलमान हसन ख़ान (सलमान मियां) ने कहा कि, देश में सांप्रदायिक माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. एक तरफ सबका साथ, सबका विकास और बेेटी पढ़ाई का का नारा दिया जाता. तो दूसरी तरफ उन्हें पढ़ने से रोका जाता है. उन्होंने सवाल किया, क्या इस तरह से सबका विकास होगा? क्या ऐसे बेटी पढ़ाओ का मक़सद पूरा हो पाएगा.?

कर्नाटक के उडुप्पी, कुंडापुर और शिवमोगा के तीन कॉलेजों ने हिजाब पर पाबंदी लगा है. उडुप्पी और कुंडापुर, हिजाब पर रोक लगाने वाले दोनों सरकारी कॉलेज हैं. ज़मात ने कहा है कि एक तरफ छात्राओं को हिजाब में रोका गया तो दूसरी तरफ उन्हीं कॉलेजों के एक समूह की छात्राएं भगवा स्कॉर्फ पहनकर मार्च कर रही हैं. धार्मिक नारे लगाए जाते हैं. (Karnataka Hijab Ala Hazrat)


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संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक का हवाला देते हुए सलमान हसन ख़ान कहते हैं कि संविधान ने नागरिकों को जो हक़ दिए हैं, उनका सम्मान किया जाना चाहिए. संविधान कहता है कि धर्म के मामले में राज्य को पूरी तरह से तटस्थ रहना है. वह किसी के ख़िलाफ नहीं है.

लेकिन अभी कर्नाटक में जो कुछ हो रहा है वह असंवैधानिक और निंदनीय है. हमारा संविधान हर सिटीज़न को अपने धर्म के अनुरूप जिंदगी जीने की आज़ादी देता है. इसलिए हम कर्नाटक सरकार से मांग करते हैं कि वह इस पूरे मामले का फौरन संज्ञान ले. जांच कराए और जो लोग भी इस साजिश में शामिल हैं. उनके ख़िलाफ कार्रवाई करे. (Karnataka Hijab Ala Hazrat)

ज़मात के प्रवक्ता समरान ख़ान ने बताया कि कर्नाटक सरकार को एक मांग पत्र भेजा गया है. हमारी मांग है कि सरकार छात्राओं को हिजाब के साथ पढ़ाई का हक दे. सही मायनों में तभी सबका विकास संभव होगा और बेटियां पढ़ पाएंगी.


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