द लीडर। एक तरफ पहाड़ों पर कुदरत अपना कहर बरपा रही है तो वहीं दूसरी तरफ दिल्ली में हुई बारिश की वजह से वायु प्रदूषण में भारी गिरावट आई है। 2014 के बाद पहली बार अक्तूबर माह में हवा अच्छी श्रेणी में दर्ज की गई। एक तरफ जहां भारी बारिश दिल्ली के लिए वरदान साबित हो रही है। तो दूसरी तरफ मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ों तक बारिश क़हर बनकर टूट रही है। नदी नाले उफान मार रहे हैं और लोगों का जीना मुहाल हो गया है। बादलों की हुंकार से हाहाकार मचा है। सबसे बुरा हाल तो पहाड़ों का है जहां मूसलाधार बारिश, उफनते नदी-नाले और भूस्खलन ने तबाही मचा रखी है।
दिल्ली में बारिश के रिकॉर्ड टूटते ही फिजां ने करवट बदली
उत्तराखंड में अगले कुछ दिन भारी बारिश की आशंका जताई जा रही है जिससे यहां के लोगों में खौफ पसर गया है। वहीं पश्चिमी विक्षोभ से दिल्ली में बारिश के रिकॉर्ड टूटते ही फिजां ने करवट बदली है। 2014 के बाद पहली बार अक्तूबर में सोमवार दिल्ली की हवा अच्छी श्रेणी में पहुंची है। वहीं, इस साल भी हवा के अच्छी श्रेणी में पहुंचने रिकॉर्ड है। इससे पहले पिछले साल लॉकडाउन के दौरान हवा इस श्रेणी में चली गई थी।
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दिलचस्प यह कि, 24 घंटे के भीतर हवा की गुणवत्ता में 252 अंकों का सुधार हुआ है। रविवार के 298 की जगह सोमवार को सूचकांक 46 पर रिकॉर्ड किया गया। सफर का पूर्वानुमान है कि अगले 24 घंटों के बीच हवा की गुणवत्ता में ज्यादा फेरबदल नहीं होगा। इसके बाद थोड़ी खराबी आने के साथ वह संतोषजनक स्तर में पहुंच जाएगी। सीपीसीबी की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 46 दर्ज किया गया। इसकी बड़ी वजह रिकॉर्ड बनाती बारिश बनी। सतह नम होने से हवा में पीएम 10 का हिस्सा न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया।
इस साल पहली बार हवा की गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में
वहीं, पश्चिमी विक्षोभ की वजह से उत्तर भारत की बारिश ने पुआल जलने के मामलों में भी कमी लाई। इस दौरान पड़ोसी राज्यों में 170 मामले रिकार्ड किए गए और पीएम 2.5 का हिस्सा सिर्फ एक फीसदी रहा। दोनों के मिले-जुले असर से इस साल पहली बार हवा की गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में चली गई है। जबकि सितंबर और अगस्त की बारिश में यह संतोषजनक स्तर में ही थी। इससे पहले सबसे बेहतर आंकड़ा 22 अगस्त को 59 रिकॉर्ड किया गया है। दिलचस्प यह कि, 2014 में एयर क्वालिटी इंडेक्स लांच होने के बाद से अक्तूबर महीने में कभी भी दिल्ली की हवा की गुणवत्ता अच्छी नहीं रही है।
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इस महीने में तापमान कम होने और नमी बढ़ने से हवा की गुणवत्ता खराब से गंभीर स्तर के बीच चला जाता है। दिवाली करीब आने और पड़ोसी राज्यों में पराली जलने के मामले बढ़ने के साथ ही हर साल इस वक्त तक दिल्ली में दम घुटने लगता है। सबसे बदतर हालत दिवाली के आस-पास रहती है। सर्दियां बीतने तक हालात में सुधार नहीं होता। प्रदूषण स्तर खराब बना रहता है। जबकि बारिश ने दिल्ली की हवा अच्छी हो गई है।
अगले 24 घंटों में गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में बनी रहेगी
सफर का पूर्वानुमान है कि, सतह नम होने से अगले 24 घंटे तक हवा की गुणवत्ता में ज्यादा फेरबदल नहीं होगा। अगले 24 घंटों में गुणवत्ता अच्छी श्रेणी में बनी रहेगी। उसके बाद प्रदूषकों की मात्रा बढ़ेगी। इससे गुणवत्ता संतोषजनक स्तर में पहुंच जाएगा। अगर बारिश नहीं हुई तो दिवाली से पहले तक एक बार फिर दिल्ली की हवा खराब से बेहद खराब स्तर में पहुंच जाएगा।
2015 से 2021 तक 18 अक्तबूर का वायु गुणवत्ता सूचकांक
साल सूचकांक
2021 46
2020 254
2019 248
2018 297
2017 302
2016 285
2015 304
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बीते दो महीनों में सबसे साफ हवा
दिन सूचकांक
22 अगस्त 59
12 सितंबर 60
11 सिंतंबर 61
17 सिंतबर 62
21 सितंबर 64
2 सितंबर 64
4 सितंबर 68
बीते एक सप्ताह का सूचकांक
दिन सूचकांक
17 298
16 284
15 198
14 18
213 17
112 178
11 166
मानक सूचकांक गुणवत्ता का स्तर
0-50 अच्छा
51-100 संतोषजनक
101-200 औसत
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 गंभीर
500 से ऊपर आपात
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