द लीडर : त्रिपुरा की सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ दरगाह आला हजरत से जुड़ी मुंबई की रजा एकेडमी ने बंद का ऐलान किया है. 12 नवंबर को मुंबई बंद को कई सामाजिक संगठनों का समर्थन मिल रहा है. त्रिपुरा हिंसा में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने के साथ पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताखी, कुरान की बेअदबी की घटनाएं भी सामने आई हैं. जिसको लेकर अल्पसंख्यक समाज मुखर होकर विरोध दर्ज करा रहा है. (Raza Academy Tripura Violence)
रजा एकेडमी ने ट्वीटर पर बंद के समर्थन में एक मुहिम भी छेड़ रखी है. एकेडमी ने कहा कि उलमा के अलावा डॉक्टर और दूसरी संस्थाओं की हिमायत मिल रही है.
एकेडमी के महासचिव मुहम्मद सईद नूरी तहफ्फुज-ए-नामूस-ए-रिसालत अभियान चला रहे हैं. जिसके अंतर्गत हेट स्पीच पर रोक की मांग उठा रहे हैं. उनकी मांग है कि धार्मिक शख्सियतों-रहनुमाओं के खिलाफ गलतबयानी पर कड़ा कानून बनाया जाए.
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चूंकि त्रिपुरा हिंसा में पैगंबर-ए-इस्लाम के खिलाफ भी नारेबाजी होने की बात सामने आ रही है. इससे एकेडमी समेत उलामा और समाज के बाकी हिस्से में नाराजगी है. (Raza Academy Tripura Violence)
त्रिपुरा हिंसा को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं और हो भी रहे हैं. अब पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA)के तहत कार्रवाई की है, जिन्होंने हिंसा के खिलाफ सोशल मीडिया पर अावाज उठाई थी. पुलिस ने ऐसे 68 लोगों के ट्वीटर और फेसबुक अकाउंट सस्पेंड करने को कहा है. और 102 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में कार्रवाई की है.
इसमें कई पत्रकार, एक्टिविस्ट, छात्र और वकील शामिल हैं. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने इसकी निंदा की है और केस वापसी की मांग की है. शनिवार को गिल्ड ने त्रिपुरा मामले में 102 लोगों पर यूएपीए की कार्रवाई को लेकर एक विस्तृत बयान जारी किया है. जिसमें कहा है कि पत्रकारों को घटनाएं कवर करने से नहीं रोका जा सकता है. (Raza Academy Tripura Violence)