क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान असजद मियां के दामाद की सीएम योगी से मुलाक़ात पर बरपा हंगामा

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Salman Hasan CM Yogi
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करते जमात रजा-ए-मुस्तफा के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां, (बीच में) साथ में डॉ. मेंहदी.

वसीम अख्तर


 

रहते वो पर्दे के पीछे हैं. लेकिन दरगाह आला हजरत की गलियों और उससे बाहर उनके बेपर्दा फोटो थोड़े-थोड़े वक्त के बाद दिख जाते हैं. ज़बान से अकसर कहते हैं-सियासत से उनका वास्ता नहीं है, फिर भी सियासी हस्तियों के पास उनका गुज़र खूब होता है. कभी समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव तो कभी इस तरह के दूसरे नेताओं से मिल आते हैं. फिलहाल सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हालिया मुलाक़ात को लेकर मौजू-ए-गुफ्तगू है. (Salman Hasan CM Yogi )

आइये-हम आपको उनका तार्रुफ भी करा देते हैं, नाम सलमान मियां है और मशहूर दामाद जानशीन ताजुश्शरिया काज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती असजद रज़ा ख़ान क़ादरी बतौर हैं. ओहदे की बात करें तो जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं, जिसके अध्यक्ष असजद मियां खुद हैं.

शोहरत की बात करें तो आला हज़रत ख़ानदान में शादी के बाद पहली बार उनका चर्चा समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष की ताजपोशी को लेकर हुआ. जफर बेग, मास्टर कदीर अहमद और मरहूम नवाब अयूब हसन ख़ान जैसे नामों को दरकिनार कर जब शमीम खां सुल्तानी को सपा ने महानगर अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी.


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तो इसका क्रेडिट सलमान मियां के खाते में दर्ज हुआ. वजह यह थी कि इस ओहदे को लेकर सपा में जब खींचतान चल रही थी, तब सलमान मियां के अखिलेश यादव से मिलते हुए फोटो बहुतों के मोबाइल में घूमने लगे थे.

जब इस्लामिया इंटर कॉलेज के शिक्षक डॉ. मेंहदी हसन को एमएलसी चुनाव में कांग्रेस का टिकट मिला तब भी लोग सलमान मियां की कोशिशों का जिक्र करते सुने गए.

बात सेकुलर दलों के नेताओं से मिलने-जुलने तक तो ठीक थी. लेकिन जिस तरह वह यूपी में भाजपा सरकार के मुखिया सीएम योगी आदित्यनाथ से जाकर मिले हैं, उस पर हंगामा खड़ा हो गया है.

मजहबी हलकों से ही उन्हें निशाना बनाते हुए काजी-ए-हिंदुस्तान से सवाल पूछे जा रहे हैं. यह कहते हुए जवाब मांगा जा रहा है कि जब बाराबंकी में मस्जिद शहीद हुई और सीएए-एनआरसी को लेकर बेगुनाह मुस्लिम नौजवान निशाना बनाए गए.


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यहां तक कि रामपुर में दरगाह हाफिज शाह जमालुल्लाह साहब के सज्जादानशीन फरहत अहमद जमाली को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया, तब सलमान मियां को मुख्यमंत्री से मिलने क्यों नहीं भेजा गया.

अब जब यूपी में चुनाव सिर पर हैं. और मौलाना तौकीर रजा खां की पार्टी आइएमसी और सपा में दोस्ती परवान चढ़ रही है तो दरगाह की असरदार शख्सियत के दामाद सीएम योगी के दरबार में किस मकसद से हाजिर हैं. यह साफ किया जाए.

सोशल मीडिया पर सख्त भाषा में कमेंट खूब दिखाई दे रहे हैं. दरगाह के इर्द-गिर्द तो पूरे दिन सीएम योगी से सलमान मियां की मुलाकात का चर्चा कसरत के साथ होता रहा.

सोशल मीडिया पर सवाल

दरगाह से जुड़े वाट्सअप ग्रुप में मुहम्मद रजा नूरी ने लिखा है- जब श्रीश्री रविशंकर बरेली आए थे तो असजद मियां ने मदरसा जामियातुर्रजा का दरवाजा तक नहीं खुलने दिया था. मौलाना शहाबुद्​दीन के मुलाकात कर लेने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था.

नबीरे आला हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा खान का देवबन्द जाना. और मौलाना अरशद मदनी व मौलाना महमूद मदनी से बेगुनाह 13 मुस्लिम लड़कों को आतंकी समझकर गिरफ्तार कर लिए जाने पर मिलना, फतवे का सबब बन गया था तो क्या अब भी फतवा जारी होगा.

यह दी गई सफाई

जमात के उपाध्यक्ष सलमान हसन खां ने इसे सामान्य मुलाकात बताया है. उनके साथ सीएम से मिलने गए कांग्रेस नेता डॉ. मेंहदी हसन ने कहा कि फैजाबाद में एक मदरसा और पैगंबर-ए-इस्लाम की शान में गुस्ताखी करने वाले नरसिंहानंद के मामले को लेकर मुख्यमंत्री से मिलना हुआ है.

हमने उनके समक्ष मस्जिद और मदरसों की सुरक्षा, मुस्लिम युवाओं को झूठे मामलों में फंसाए जाने का मामला रखा है. इस पर उन्होंने सकारात्मक जवाब दिया और मदरसे का मसला फौरन हल किया है. एक शिष्टाचार मुलाकात को राजनीति से जोड़ना गलत है.

जमात रजा-ए-मुस्तफा के प्रवक्ता समरान खान ने कहा कि चूंकि कुछ मसले थे, जिन्हें सरकार के समक्ष रखा जाना था. इसमें मस्जिद-मदरसों की सुरक्षा, नरसिंहानंद और वसीम रिजवी की अर्मादित बयानबाजी और मदरसा-मस्जिदों के मामले हैं. इसीलिए जमात के उपाध्यक्ष के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिला है.

बतौर मुख्यमंत्री, उनसे मिलना गलत नहीं है. जमात या दरगाह के किसी शख्स का सियासत से कोई वास्ता नहीं है. एक धार्मिक संगठन होने के नाते, जब शासन-प्रशासन बात नहीं सुनेगा. तो सीएम से मिलना ही एक रास्ता बचता है.

दरअसल यह मुलाकात बकरीद से पहले यानी पिछले सप्ताह की है. लेकिन इसके फोटो अब वायरल हुए हैं. सीएम से मुलाकात करने वालों में कांग्रेस नेता डॉ. मेंहदी हसन, हाफिज इकराम भी शामिल थे.

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