सैन्य तख्तापलट के एक हफ्ते बाद लोकतंत्र की रहनुमाई करने वाली नेता आंग सान सू की की रिहाई और सैनिक शासन हटाने की मांग पर सोमावार को हजारों लोग म्यांमार की सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन का तीसरा दिन सैनिक शासन के लिए चुनौती भरा था। कई दूसरे इलाकों में फौजी शासन लागू करके आपातकाल नियमों से नियंत्रण किया जा रहा है।
लोकतंत्र वापसी की मांग और सैन्य शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के तीसरे दिन हजारों लोग यंगून के एक पार्क में जुटे। देखते ही देखते संख्या कई गुना बढ़ गई और सड़क पर प्रदर्शन शुरू हो गया। यंगून में जमा प्रदर्शकारियों ने, “हम लोकतंत्र चाहते हैं” के रूप में तीन-उंगली की सलामी दी, जो हांगकांग में विरोध प्रदर्शन का प्रतीक था।
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इस बीच पुलिस ने हवा में गोलियां चलाईं और तमाम प्रदर्शनकारियों को म्यांमार के दक्षिणपूर्वी म्यांमार शहर में गिरफ्तार किया गया। सैन्य तख्तापटल के बाद आंग सान सू की के गिरफ्तार होने के बाद हुए प्रदर्शनों में शामिल रहे कई सौ प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तार कर लिया गया है। राष्ट्रपति को भी गिरफ्तार करके एक वर्ष के लिए आपातकाल लागू कर दिया गया है।
सेना ने आरोप लगाया कि नवंबर चुनावों में व्यापक धोखाधड़ी हुई थी। सेना ने इंटरनेट को भी अवरुद्ध कर दिया, जिसे बाद में बड़े पैमाने पर विरोध के बाद बहाल किया गया। बहरहाल, फेसबुक की बहाली के बाद कई शहरों के लाइव एफबी वीडियो फीड ने प्रदर्शनकारियों के सड़कों पर मार्च दिखाई दे रहे हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति सहित कई विश्व नेताओं ने सेना से देश को लोकतंत्र में लौटने का आह्वान किया है। पोप फ्रांसिस ने “म्यांमार के लोगों के साथ एकजुटता” व्यक्त कर सेना से “लोकतांत्रिक सह-अस्तित्व” की दिशा में काम करने का आग्रह किया।