- नेपाल के विदेशमंत्री तीन दिन के दौरे पर भारत आए
- राजनाथ सिंह और जयशंकर से हुई मुलाकात
- रिश्तों में फिर से गर्माहट लाने की कवायद
भारत दौरा
नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावाली और विदेश सचिव भरत राज पौडयाल बृहस्पतिवार 14 जनवरी को भारत दौरे पर पहुँचे थे।लेकिन इस बार प्रधान मंत्री मोदी से मिले बगैर ही लौटना पड़ा। कहा जा रहा है कि मोदी का न मिलना सीमा विवाद को लेकर नेपाल को भारत की दो टूक है।
यह नेपाल के किसी भी मंत्री का भारत से सीमा विवाद के बाद पहला दौरा था। इस तीन दिन की भारत यात्रा पर नेपाली विदेश मंत्री ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री एस.जयशंकर से भेंट की। मुलाकात में दोनों देशों की विकास, कनेक्टिविटी और व्यापार को लेकर बात-चीत हुई। भारत कोरोना वैक्सीन पर नेपाल को पूरा सहयोग देने को भी तैयार है। मुलाकात के बाद राजनाथ सिंह ने कहा “भारत-नेपाल संबंधों में अपार संभावनाएं हैं”।
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सीमा विवाद
नेपाल की ओर से सीमा विवाद को लेकर वार्ता की कोशिश हुई लेकिन भारत अपने रूख पर अडिग बना हुआ है। पिछले वर्ष ही नेपाल द्वारा जारी नए नक्शे पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। कहा था कि नेपाल का यह नक्शा इतिहास के तथ्यों पर खरा नहीं उतरता। नक्शा उस समय आया जब भारत ने अपना लिंक रोड लिपुलेख से होते हुए मानसरोवर तक शुरू किया था। उसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई जो अब तक जारी है।
और मोदी से न मिल पाना..
कयास लगाए जा रहे हैं कि यही कारण रहा कि मोदी ने नेपाली विदेशमंत्री को मिलने का समय नहीं दिया और काेरोना वैक्सीन लांच प्रोग्राम को न मिल पाने का कारण बताया। नेपाल इस दौरे के जरिए यह साबित करना चाहता है कि दोनों के बीच कुछ हुआ ही नहीं था।
बीते वर्ष 22 मई को नेेपाल के प्रधान मंत्री खडग प्रसाद शर्मा ओली ने संसद में नेपाल के नए नक्शे काे प्रस्तावित किया। जिसमें भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा,कालापानी और कालापानी को नेपाल की सीमा का हिस्सा बताया था।
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