किसान आंदोलन पर शुरू सियासत, विपक्ष के निशाने पर सरकार, कह दी ये बड़ी बात

0
37

द लीडर हिंदी : देश की राजधानी दिल्ली एक बार फिर किसानों और केंद्र के बीच टकराव की वजह से जंग का मैदान बनने को पूरी तरह तैयार है.यहां किसान और पुलिस की बीच लगातार घमासान चल रहा है. किसान नेताओं की केंद्रीय मंत्रीयों के साथ हुई बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसानों ने दिल्ली चलों मार्च का ऐलान कर दिया. केंद्र सरकार और किसानों के बीच लड़ाई तेज हो गई है.

दिल्ली की तरफ कूच कर चुके किसानों को रोकने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से एड़ीचोटी के जोर लगाए जा रहे हैं. लेकिन किसान भी पूरे जोश के साथ डटे हुए हैं. सरकार किसानों को दिल्ली के बॉर्डर पर रोकने के लिए कंटीले तार, आंसू गैस, बैरिकेड्स और सड़कों पर कीलें बिछाने आदि उपाय सख्ती से कर रही है. वही कई ठिकानों पर पुलिस ने सड़कें खोद दी हैं, लेकिन किसानों ने भी हार ना मानने का फैसला कर लिया है .

प्रशासन के हर वार का जवाब देने के लिए अब किसानों ने भी किलेबंदी तोड़ने की ठान ली है. यही वजह है कि देश के अन्नदाताओं ने काफिले में अपने साथ ताबड़तोड़ सड़क बनाने की सामग्री भी शामिल की है. किसान संगठनों की मानें तो वे दिल्ली में जरूर प्रवेश करेंगे, प्रशासन की अवरोधी सड़क के बगल से दूसरी सड़क अथवा चकरोड बनाएंगे.

इस आंदोलन में देशभर से किसान शामिल होने पहुंच रहे हैं, पहले हरियाणा, पंजाब के किसान ही शामिल हो रहे थे लेकिन अब राजस्थान और यूपी के किसान ने भी दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने हमें धोखा दिया है. हम आज कोई नई मांग के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं, जिन मांगों पर सरकार ने कुछ साल पहले सहमति दिखाई थी उन्हीं मांगों पर सरकार निर्णय ले, लेकिन सरकार की तरफ से अब तक कोई गंभीरता नहीं दर्शाई गई है.

किसान आंदोलन पर राजनीति शुरू
किसान आंदोलन के साथ सियासत भी शुरू हो गई है. किसान आंदोलन पर उद्धव ठाकरे भी बोल पड़े है. उन्होंने किसानों के पक्ष में बोलते हुए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि किसान दिल्ली की सीमाओं पर चले गए हैं. वे चीन या पाकिस्तान में नहीं घुस रहे. वे अपने आधिपत्य वाली राजधानी में आ रहे हैं. मंत्री से मिलने आ रहे हैं, लेकिन उनकी राह में रोड़े अटकाए जा रहे हैं.

ऐसा लगता है मानो दिल्ली के दरवाजे पर सेना तैनात कर दी गई हो. इसके बाद उन्होंने कहा जिनके वोट से आप प्रधानमंत्री बने. जिनके वोट मांगने आप `मेरे प्यारे देशवासियों’ के तौर पर एक राज्य से दूसरे राज्य में घूमते हैं. कभी-कभी उनके घर भी जाते हो. उनके साथ खाते हो. क्या आपको उस किसान का आपके घर आना अच्छा नहीं लगता. कड़ी मेहनत करनेवाले किसानों को गारंटी मूल्य दो, गारंटी मूल्य दो इसलिए चिल्ला रहे हैं.

उन्हें गारंटी मूल्य नहीं दिया जाता है, लेकिन जो गद्दारी करता है उसे खोकों का मूल्य मिलता है. खोके का खोका उनके घरों पर पहुंच रहा है. किसानों ने सरकार के खिलाफ मांग रखी है, उसे चैनल वाले नहीं दिखाएंगे. क्योंकि उन पर सरकार का दबाव है.

किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को किया आगाह
देश में लोकसभा चुनाव सिर पर ऐसे में विपक्ष को सरकार को घेरने के लिये कोई मुद्दा चाहिये था.वो मुद्दा किसान आंदोलन के रूप में बनकर उभर आया. अब राजनीति रोटियां सभी दल सेकेंने को तैयार है. ऐसे में किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को आगाह करते हुए कहा कि कई किसान यूनियन हैं और उनके अलग-अलग मुद्दे हैं.

वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी को जमकर घेरा. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है. वही राहुल गांंधी ने कहा किसानों को हम MSP की गारंटी देंगे