सियासी रण : दिलचस्प होगा यूपी का विधानसभा चुनाव, क्या इस बार फिर पिछड़े लगाएंगे भाजपा की नैया पार ?

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द लीडर। पीएम मोदी है…तो सब मुमकिन है. ये हम इसलिए कह रहे है क्योंकि, केंद्र में पीएम मोदी और यूपी में सीएम योगी का जलवा पूरे देश-दुनिया में छाया हुआ है. जिसको लेकर इस बार 2022 का यूपी विधानसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होने वाला है. वैसे तो चुनाव उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्य में होना है. लेकिन सबकी नजरें यूपी के सियासी रण में टिकी हुई है. वो इसलिए क्योंकि, इस बार सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी पार्टियों में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. जिसको लेकर सभी पार्टियां जनता को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. बता दें कि, सपा और प्रसपा समेत कई पार्टियां सत्ता में वापसी के लिए जोरों शोरों से लगी हुई है. तो वहीं सत्ताधारी पार्टी भी पीछे नहीं है. बीजेपी अब यूपी में चेहरों के जरिए जातियों को साधने में लगी है.


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जातीय क्षत्रपों को साधेगी भाजपा

बता दें कि, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है. जिसको लेकर इस बार सबकी नजरें यूपी चुनाव पर टिकी हुई है। यूपी के रण में उतरने को भाजपा हर मोर्चे को चाक-चौबंद करने में जुटी है. सरकार से लेकर संगठन तक इसी कवायद में जुटे हैं. सूबे की सत्ता में वापसी के लिए पार्टी ने अब जातीय क्षत्रपों को साधने का फैसला किया है. इसे अमजीलामा पहनाने को पूरी कवायद भी कर ली है. भाजपा 17 अक्तूबर से प्रदेश में पिछड़ी, अति पिछड़ी जातियों के अलग-अलग सम्मेलन करने जा रही है। इनमें अपनी जातियों में प्रभाव रखने वाले चेहरों पर फोकस किया जा रहा है।

पिछड़ों और अति पिछड़ों को साधने में जुटी भाजपा

राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी की आमद के बाद पार्टी ने शहर से लेकर गांव तक भरपूर समर्थन हासिल किया. वर्ष 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भी इसकी पुष्टि की थी. यूपी के रण में अगड़ों के साथ-साथ पिछड़ों ने भाजपा की नैया पार लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. भाजपा अब फिर इन्हीं पिछड़ों और अति पिछड़ों को साधने में जुटी है. साथ ही उसकी नजर गैर जाटव दलित वोटों पर भी है. इन वोटरों को लुभाने के लिए ऐसे चेहरों की तलाश की जा रही है, जो अपने मोहल्ले, गांव या इलाके में सजातीय लोगों पर प्रभाव रखते हैं. इन्हें केंद्र और प्रदेश सरकार के कामों के अलावा पिछड़ों के लिए किए गए कार्यों के बारे में बताया जाएगा. इन सम्मेलनों को कराने का जिम्मा ओबीसी मोर्चा को सौंपा गया है. वहीं पार्टी ने इन जातीय सम्मेलनों को सामाजिक सम्मेलन का नाम दिया है.


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भाजपा करेगी 32 सम्मेलन

पार्टी सूत्रों की मानें तो, भाजपा ने 32 सम्मेलन करने का निर्णय लिया है। इन सम्मेलनों की रूपरेखा तय हो चुकी है। यह प्रदेश स्तरीय सम्मेलन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गन्ना संस्थान, पंचायती राज संस्थान और विश्वेसरैया भवन के सभागार में होंगे। जिस जाति का सम्मेलन होगा, उसके एक से लेकर दो हजार तक लोगों की उपस्थिति का लक्ष्य रखा गया है।

हर चेहरे को भुनाने की कवायद

इन सम्मेलनों के जरिए पार्टी की योजना पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति के बुद्धिजीवी लोगों को जोड़ने की है। ताकि इनके जरिए उनके गांव-गली, इलाके के लोगों का साथ मिल सके। इन जातीय सम्मेलन में पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, प्रधान, पूर्व प्रधान, मौजूदा और पूर्व जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, सामाजिक और जातीय संगठनों के मुखिया सहित संबंधित जाति के अन्य प्रभावशाली चेहरों को आमंत्रित किया जाएगा। इन जातीय सम्मेलनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यंमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल सहित अन्य प्रमुख चेहरे शामिल होंगे।


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22 अक्टबूर से सदस्यता अभियान शुरू करेगी भाजपा

बता दें कि, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने में महज कुछ ही महीने बचे हैं. राज्य की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी 22 अक्टबूर से सदस्यता अभियान की शुरूआत करेगी और इसको हरी झंडी केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह दिखाएंगे. दरअसल बीजेपी अपना समर्थन बढ़ाने के लिए बड़ा अभियान शुरू करने जा रही है. पार्टी ने इसके लिए रोड मैप तैयार किया है. राज्य में होने वाले चुनाव को देखते हुए पार्टी ने प्रदेश में डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है. ताकि राज्य की सत्ता पर फिर से काबिज हुआ जा सके. फिलहाल, बीजेपी की योजना वर्तमान की सदस्यता में इजाफा कर इसे चार करोड़ करने की है ताकि उसे अपने दम पर सत्ता की चाबी मिल सके.

वर्तमान में बीजेपी के ढाई करोड़ सदस्य हैं और पार्टी इसमें डेढ़ करोड़ का इजाफा करना चाहती है. इस सदस्यता अभियान के जरिए बीजेपी राज्य के सभी वर्गों से जुड़ना चाहती है. असल में 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता मिली थी और पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 325 सीटें जीती थी. उस वक्त भी पार्टी के प्रभारी अमित शाह थे और उन्हीं के नेतृत्व में पार्टी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. लिहाजा बीजेपी इस जीत को फिर से दोहराना चाहती है.

चार करोड़ का रखा लक्ष्य

फिलहाल बीजेपी ने इस बार डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाकर चार करोड़ का आंकड़ा छूने का लक्ष्य रखा गया है और इसके लिए पार्टी ने रोडमैप तैयार किया है. जिसकी शुरूआत 22 अक्टूबर से होगी. केन्द्रीय मंत्री अमित शाह कुछ लोगों की सदस्यता दिलाकर इस अभियान की शुरूआत करेंगे. जानकारी के मुताबिक, अभियान शुरू होते ही क्षेत्र व जिला स्तर पर बैठकें होंगी. यही नहीं सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के लिए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा जाएगा. चार करोड़ के लक्ष्य को हासिल करने करने लिए पार्टी मुख्य संगठन से लेकर सभी मोर्चों को इस अभियान से जोड़ेगी.


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