सैकड़ों ट्यूनीशियाई लोगों ने शनिवार को राजधानी में मार्च कर सरकार की जनविरोधी नीतियों और पुलिसिया दमन का विरोध किया। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।
पुलिस के रोकने पर हाथापाई से शुरू हुई नोकझोंक झड़प में तब्दील हो गई। कुछ प्रदर्शनकारियों ने बोतलें फेंकीं तो पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस फेंकने के साथ लाठी-डंडों से पीटा।
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शनिवार को सैकड़ों लोग राजधानी में विरोध प्रदर्शन में सड़क पर उतरे। उन्हें रोकने को पुलिस ने गृह मंत्रालय की इमारत के पास रास्ते को खोद दिया। वहीं, पुलिस दमन और सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ “हर जगह पुलिस, न्याय कहीं नहीं” नारे के साथ प्रदर्शकारियों ने सरकार पर गुस्सा उतारा।
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, 33 साल के प्रदर्शनकारी माजिद स्लेटी ने कहा, “सुरक्षा बल हमारा दमन कर रहे हैं और पुलिस स्टेट की वापसी चाहते हैं।” “हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
प्रदर्शनकारी मोहम्मद स्मिदा ने मौजूदा प्रधानमंत्री की तुलना पूर्व राष्ट्रपति जैनुल आबिदीन बेन अली से की, जिनकी सत्ता को 25 साल बाद 2011 में उखाड़ फेंका गया था। “आज हमारे विरोध के अधिकार को नए बेन अली खत्म करने पर आमादा हैं,” स्मिदा ने कहा।
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कई ट्यूनीशियाई सत्ता पर काबिज राजनीतिक वर्ग से नाराज हैं। यहां के लोग लगातार बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी को लेकर गुस्से में हैं। मध्य जनवरी के बाद से ट्यूनीशिया में लगभग रोज ही विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
छिटपुट झड़पों के बीच पुलिस ने बीते दो सप्ताह में महंगाई-बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान 1000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि गरीब आबादी हाशिए पर चली गई है और सत्ता में बैठे लोग कोई आवाज सुनने की जगह पुलिसिया दमन पर उतारू हैं।
मध्य शहर सबेतला में पिछले सप्ताह एक युवक की मौत हो गई। उसके परिवार ने आंसू गैस के कनस्तर की चपेट में आने से मौत होने की बात कही। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुरुवार को ट्यूनीशियाई अधिकारियों से उसकी मौत की जांच करने की अपील गई।