इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ कश्मीरियों के पेट की आाग भी नहीं बुझा पा रहा है। हालात ये हैं कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में खाद्यान्न की आसमान छूती कीमतों से तंग आकर कश्मीरी सड़क पर आ गए और विरोध प्रदर्शन से इमरान सरकार की चूलें हिला दीं। ये सिलसिला अभी थमा नहीं है। पाकिस्तान की इमरान सरकार विरोध को बेरहमी से कुचलने पर आमादा है।
गेहूं के आटे पर सब्सिडी हटाने के खिलाफ रावलकोट में एक्शन कमेटी की ओर से 13 जनवरी को विरोध प्रदर्शन किया गया था। हालांकि, पुलिस ने नियोजित विरोध से पहले स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था, जिससे यहां के लोगों में गुस्से से भर गए।
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बुधवार शाम को गुस्साए प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई और उन्होंने एक पुलिस स्टेशन को आग लगा दी। यहीं नहीं, आजाद पट्टी इलाके में पुलिस के वाहनों को तोड़ डाला।
प्रदर्शनकारियों के तेवर देख घबराई पुलिस ने गोलीबारी और लाठीचार्ज कर दिया, जिसमें कई घायल हो गए। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “गिरफ्तारी हमारे विरोध को कमजोर करने की एक साजिश है। हमारा आंदोलन लोगों के अधिकारों के लिए बहुत शांतिपूर्ण से चल रहा है।
यह बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ है। यह एक अच्छी शिक्षा की मांग के बारे में है। एक्शन कमेटी से जुड़े रावलकोट के हमारे दोस्त, जो आटे की कीमत में बढ़ोतरी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उन्हें पुलिस ने उठा लिया। उनकी गलती क्या थी?
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“एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा:” हम शांति से विरोध कर रहे थे?, लेकिन अधिकारियों ने अनुचित कार्रवाई की और रावलकोट में हमारे दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया। हम इस कृत्य की निंदा करते हैं। उन्हें रिहा नहीं किया गया तो पुंछ डिवीजन में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होगा “।
स्थानीय लोगों का दावा है कि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सरकार का ये आम रवैया है। नागरिक अधिकारों के नाम पर पाकिस्तान सरकार हमेशा की तरह प्रताड़ित कर रही है। पीओके में लोग इस्लामाबाद बेदिली और निर्दयता से तंग आ चुके हैं।
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सरकार की नीतियों और फैसलों से लोगों की रोजमर्रा की जरूरतों को जुटाने की चुनौती पैदा हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने कहा, महंगाई के खिलाफ हफ्तों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन इस्लामाबाद कान में रूई ठूंसे हुए है।