द लीडर। पीएम मोदी ने आज यूपी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की सौगात दी है। बता दें कि, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर पुनर्निर्माण कोई पहली योजना नहीं है, जिसकी शुरुआत पीएम मोदी के कार्यकाल में हुई। इससे पहले करीब सात अलग-अलग प्रोजेक्ट्स को मोदी ने अपने सात साल के कार्यकाल में शुरू कराया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले दो साल से जारी पुनर्निर्माण कार्यों का पहला फेज पूरा हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वाराणसी पहुंचकर प्रोजेक्ट का लोकार्पण भी कर दिया। मोदी ने यहां पहले गंगा नदी पर चलने वाले क्रूज से ललिता घाट तक का सफर किया और फिर गंगा में डुबकी भी लगाई। इसके बाद उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। पूरे मंदिर कॉरिडोर की बात की जाए तो पुनर्निर्माण कार्यक्रम को 800 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बताया गया है। मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में इस महत्वाकांक्षी योजना की नींव मार्च 2019 में रखी थी। अब दो साल बाद पीएम ने पहले फेज में 339 करोड़ रुपये के खर्च से हुए पुनर्निर्माण कार्यक्रमों का लोकार्पण कर दिया है।
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हालांकि, किसी मंदिर के पुनर्निर्माण की यह कोई पहली योजना नहीं है, जिसकी शुरुआत या लोकार्पण पीएम मोदी के कार्यकाल में हुआ है। इससे पहले करीब सात अलग-अलग प्रोजेक्ट्स को मोदी ने अपने सात साल के कार्यकाल में शुरू कराया है। इनमें सबसे ऊपर नाम आता है अयोध्या स्थित राम मंदिर के पुनर्निर्माण कार्यक्रम का, जिसकी नींव मोदी ने ही अगस्त 2020 में हिंदू रीति-रिवाजों से पूजा करने के बाद रखी थी। इसके अलावा आधा दर्जन और योजनाओं की नींव भी पीएम अपने कार्यकाल में कर चुके हैं। ऐसे में अमर उजाला आपको बता रहा है कि बीते सात सालों में मोदी ने मंदिर के पुनर्उद्धार कार्यक्रम के लिए कितनी कीमत की योजनाओं की शुरुआत की है।
1. राम मंदिर पुनर्निर्माण योजना- राम मंदिर के पुनर्निर्माण पर बीते कई सालों से चल रहे विवाद का अंत 2019 में हुआ, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मंदिर की जमीन को हिंदू पक्ष के हवाले करने का फैसला किया। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार ने राम मंदिर के पुनर्निर्माण की कोशिशें तेज कर दीं। इसके लिए मोदी सरकार की तरफ से फंड का भी एलान किया गया और अगस्त 2020 में मोदी ने हिंदू रीति-रिवाजों से पूजा कर इसकी नींव रख दी। माना जा रहा है कि, अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण 2023 तक पूरा हो जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट ने कुछ समय पहले ही एलान किया था कि चंदे से जुटाई गई रकम अब तक 1100 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है और इसका इस्तेमाल मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या में अन्य धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए भी किया जाएगा।
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2. सोमनाथ मंदिर कॉम्प्लेक्स- मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान सोमनाथ मंदिर के परिसर के सौंदर्यीकरण के कई प्रोजेक्ट्स शुरू करवाए थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने इन्हीं कार्यों को आगे बढ़ाते हुए मोदी ने इस साल अगस्त में एक बार फिर सोमनाथ मंदिर में 80 करोड़ की कीमत के तीन अहम प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया था। पहला प्रोजेक्ट पार्वती माता के मंदिर का शिलान्यास था। इसके अलावा मोदी ने सोमनाथ मंदिर में बने दर्शन पथ को भी देश को भेंट किया था, जिसे 47 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तरह ही इस दर्शन पथ से भक्त समुद्र के साथ-साथ मंदिर के भी दर्शन कर सकते थे। पीएम ने इसके अलावा एक एग्जीबिशन सेंटर और पुनर्निर्मित महारानी अहिल्याबाई मंदिर के परिसर का भी लोकार्पण किया था। सोमनाथ ट्रस्ट ने यह परिसर करीब 3 करोड़ रुपये में तैयार करवाया था। बताया जाता है कि पर्यटन मंत्रालय ने सोमनाथ मंदिर को पर्यटकों के लिए विकसित करने की भी योजना बनाई है। अगर यह योजना मंजूर होती है तो सोमनाथ मंदिर में 111 करोड़ रुपये की नई योजनाओं की शुरुआत होगी, जो मंदिर का नक्शा ही पूरी तरह बदल देगी। सोमनाथ मंदिर के मास्टर प्लान के तहत इसे टूरिस्ट स्पॉट बनाने के लिए 282 करोड़ रुपये के खर्च अनुमानित है, जिसमें अधिकतर खर्च केंद्र सरकार और केंद्रीय एजेंसियों की ओर से किया जाएगा।
3. केदारनाथ मंदिर- उत्तराखंड में 2013 में आई भयानक प्राकृतिक आपदा से केदारनाथ मंदिर को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। मोदी ने 2014 में पीएम बनने के बाद से ही इस मंदिर के पुनर्उद्धार की योजना तैयार करवानी शुरू कर दी थी। पीएम ने पिछले महीने ही रुद्रप्रयाग पहुंचकर करीब 130 करोड़ रुपये के खर्च से निर्मित मंदिर का लोकार्पण किया था। इसके अलावा मोदी ने रुद्रप्रयाग और आसपास के इलाके के लिए 180 करोड़ रुपये के कई प्रोजेक्ट्स का भी उद्घाटन किया था। इनमें संगम घाट के पुनर्निर्माण से लेकर टूरिस्ट सेंटर और प्रशासनिक दफ्तर और अस्पताल के निर्माण तक शामिल थे। मोदी ने पर्यटन के लिए लिहाज से अगली सदी को उत्तराखंड की सदी भी करार दिया था।
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4. चार धाम परियोजना- प्रधानमंत्री मोदी ने 2016 में चार धाम परियोजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत सरकार ने चारों धाम को जोड़ने के लिए एक सर्किट बनाने का एलान भी किया था। इसके तहत सरकार ने 889 किलोमीटर लंबे हाईवे के चौड़ीकरण का लक्ष्य रखा था और इस सर्किट पर ऑल-वेदर यानी हर मौसम में मजबूत रहने वाली सड़क के निर्माण कराया तय किया था। इसके जरिए भक्तों को हर मौसम में हिमालय के ऊपरी हिस्से पर मौजूद बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन करने का मौका मिलेगा। पीएम ने दिसंबर 2016 में प्रोजेक्ट की नींव रखी थी, तब इसकी अनुमानित लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी।
5. कश्मीर में मंदिरों का पुनर्निर्माण- जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 रद्द हो जाने के बाद सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में अब मंदिरों के पुनर्निर्माण कार्यों को शुरू कराया है। इनमें श्रीनगर में कुछ धार्मिक स्थलों का दोबारा निर्माण कराया जाना शामिल है। हाल ही में श्रीनगर में रघुनाथ मंदिर को पुनर्निर्मित कराया गया और अब खराब स्थिति में मौजूद अलग-अलग मंदिरों को चिह्नित कर के उनके पुनर्निर्माण की योजना तैयार की जा रही है। खुद गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी कह चुके हैं कि कश्मीर में करीब 50 हजार मंदिर बंद हो चुके हैं, जिनके पुनर्निर्माण का कार्य किया जाना है और सरकार ने इसके लिए एक कमेटी का गठन भी कर दिया है। जिन मंदिरों का पुनर्निर्माम होना है, उनमें अनंतनाग का मार्तंड मंदिर, पाटन का शंकरगौरीश्वर मंदिर, अवंतिपोरा के अवंतिस्वामी और अवंतिस्वरा मंदिर और श्रीनगर के पांद्रेथन मंदिर शामिल हैं।
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6. विदेश में मंदिर निर्माण कार्य- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी मंदिर निर्माण कार्यों की शुरुआत कराई है। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने 2018 में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबुधाबी में पहले हिंदू मंदिर का शिलान्यास किया था। यूएई सरकार ने 2015 में पीएम मोदी के दौरे के वक्त मंदिर के लिए जमीन आवंटित की थी। इसके बाद 2019 में पीएम मोदी ने बहरीन में स्थित 200 साल पुराने भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर के रेनोवेशन का कार्यक्रम शुरू कराने का एलान किया था। श्रीनाथ जी का यह मंदिर तीन मंजिला होगा और इसमें हिंदू रीति-रिवाजों से शादियों का आयोजन भी किया जाएगा।