उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न : चीन की सरकार के लिए बंधुआ मजदूर बनकर रह गए उइगर मुसलमान

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द लीडर। अफगानिस्तान में तालिबान जैसे अफगानियों का उत्पीड़न कर रहा है वैसे ही चीन में उइगर मुसलमानों का उत्पीड़न हो रहा है। बता दें कि, उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न का चीन में अंदर ही अंदर काफी असर है। ऐसा नहीं है कि सारे लोग इस उत्पीड़न के समर्थन में खड़े हैं। वहां भी अंदर ही अंदर आग लगी हुई है। चीन की सरकार और खास तौर पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग खुद इससे वाकिफ हैं कि, यह मसला किसी भी दिन उनकी अपनी कुर्सी के लिए भी खतरा बन सकता है।

बंधुआ मजदूर बनकर रह गए उइगर मुसलमान

आस्ट्रेलिया की एक स्वतंत्र संस्था ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट (एएसपीआई) ने इस बारे में एक शोधपूर्ण रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें बताया गया है कि, दरअसल जिनजियांग प्रदेश में हो रहे घटनाक्रमों का बारिक अध्ययन किया गया है। इसके लिए चीन सरकार के दस्तावेज भी गोपनीय तरीके से हासिल किये गये हैं। इसके जरिए बताया गया है कि, दरअसल उइगर मुसलमान चीन की सरकार के लिए बंधुआ मजदूर जैसे बनकर रह गये हैं। श्रमिक सुधार के नाम पर उनका जो शोषण किया जा रह है, उससे चीन की सरकार को कम मजदूरी का भुगतान करना पड़ रहा है।


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चीन की सरकार इन तथ्यों को बाहर नहीं आने देती क्योंकि उससे अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां चीन से दूरी बना लेंगी क्योंकि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपना कारोबार चालू रखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का सख्ती के साथ पालन भी करना पड़ता है। एएसपीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जिनजियांग प्रदेश में चीन सरकार के 170 सरकारी कार्यालय ऐसे हैं जो सिर्फ उइगर मुसलमानों की बात बाहर नहीं आये, इस पर नजर रखते हैं।

उइगर मुसलमानों पर नजरदारी के लिए 440 अधिकारी

इन सरकारी कार्यालयों में 440 अधिकारी हैं और संकेत है कि अंदर ही अंदर उइगर मुसलमानों के प्रति चीन की सरकार के इस रवैये से देश के अन्य भागों तक जो सूचनाएं पहुंची है, उससे नाराजगी उपजी है। दूसरी तरफ यह भी पता चला है कि स्थानीय स्तर पर जो भी महत्वपूर्ण राजनेता हैं, वे सभी हान समुदाय के हैं। यह इलाका नियम के हिसाब के उइगर मुसलमानों के स्वायत्त शासन का इलाका है। सरकारी स्तर पर लगातार यह बताने की कोशिश की जाती है कि वहां के विकास के लिए सरकार अनेक कार्यक्रम चला रही है।

दूसरी तरफ इस बात को सख्ती से छिपाया जाता है कि, वहां उइगर मुसलमानों की असली भूमिका बंधुआ मजदूरी करने की है। जिन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती है। विरोध के स्वर को दबाने के लिए वहां अनेक बंदीगृह भी बनाये गये हैं। सरकारी जबर्दस्ती का विरोध करने वालों को इन जेलों मे डाल दिया जाता है। किसी तरह देश से भाग निकलने वाले उइगर मुसलमानों का दुनिया के किसी भी हिस्से में पीछा भी किया जाता है ताकि सरकार के खिलाफ विरोध का स्वर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नहीं उठाया जा सके।


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कौन है उइगर मुस्लिम ?

उइगर मुख्य रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक तुर्क जातीय समूह हैं, जिनकी उत्पत्ति मध्य एवं पूर्वी एशिया से मानी जाती है। उइगर अपनी स्वयं की भाषा बोलते हैं, जो कि काफी हद तक तुर्की भाषा के समान है और उइगर स्वयं को सांस्कृतिक एवं जातीय रूप से मध्य एशियाई देशों के करीब पाते हैं। उइगर मुस्लिमों को चीन में आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त 55 जातीय अल्पसंख्यक समुदायों में से एक माना जाता है।

हालांकि चीन उइगर मुस्लिमों को केवल एक क्षेत्रीय अल्पसंख्यक के रूप में मान्यता देता है और यह अस्वीकार करता है कि वे स्वदेशी समूह हैं। वर्तमान में उइगर जातीय समुदाय की सबसे बड़ी आबादी चीन के जिनजियांग क्षेत्र में रहती है। उइगर मुस्लिमों की एक महत्त्वपूर्ण आबादी पड़ोसी मध्य एशियाई देशों जैसे- उज़्बेकिस्तान, किर्गिज़स्तान और कज़ाखस्तान में भी रहती है। जिनजियांग तकनीकी रूप से चीन के भीतर एक स्वायत्त क्षेत्र है और यह क्षेत्र खनिजों से समृद्ध है और भारत, पाकिस्तान, रूस और अफगानिस्तान सहित आठ देशों के साथ सीमा साझा करता है।

उइगरों मुसलमानों का उत्पीड़न क्यों ?

पिछले कुछ दशकों में चीन के जिनजियांग प्रांत की आर्थिक समृद्धि में काफी बढ़ोतरी हुई है और इसी के साथ इस प्रांत में चीन के हान समुदाय के लोगों की संख्या में भी काफी वृद्धि हुई है, जो कि इस क्षेत्र में बेहतर रोज़गार कर रहे हैं जिसके कारण उइगर मुस्लिमों के समक्ष आजीविका एवं अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है। इसी वजह से वर्ष 2009 में दोनों समुदायों के बीच हिंसा भी हुई, जिसके कारण शिनजियांग प्रांत की राजधानी उरुमकी में 200 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकतर चीन के हान समुदाय से संबंधित थे।


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दशकों से जिनजियांग प्रांत के उइगर मुस्लिम, आतंकवाद और अलगाववाद संबंधी झूठे आरोपों के कारण उत्पीड़न, ज़बरन नज़रबंदी, गहन जांच, निगरानी और यहां तक ​​कि, गुलामी जैसे तमाम तरह के दुर्व्यवहारों का सामना कर रहे हैं। चीन ने अपने शिविरों और प्रशिक्षण केंद्रों में हज़ारों उइगर मुस्लिमों को ज़बरन कैद कर रखा है, हालांकि चीन इन शिविरों को ‘शैक्षिक केंद्र’ के रूप में प्रस्तुत करता रहा है, उसका कहना है कि, यहां उइगरों को ‘चरमपंथी विचारों’ और ‘कट्टरपंथीकरण’ से बाहर निकलने औरपेशेवर कौशल प्रदान करने का कार्य किया जा रहा है।

चीन का दावा है कि, उइगर समूह एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करना चाहते हैं और पड़ोसी क्षेत्रों के साथ उइगरों समुदाय के सांस्कृतिक संबंधों के कारण चीन के प्रतिनिधियों को भय है कि कुछ बाहरी शक्तियां जिनजियांग प्रांत में अलगाववादी आंदोलन को जन्म दे सकती हैं।

चीन में मुसलमानों के उत्पीड़न का बचाव कर रहा पाकिस्तान

भारत ने चीन में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का बचाव करने और झूठे और दुर्भावनापूर्ण प्रचार के साथ नई दिल्ली पर हमला करने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों की निंदा की है। एक भारतीय प्रतिनिधि ने गुरुवार को सामाजिक और मानवीय मामलों के लिए महासभा समिति की बैठक में कहा कि, हम पाकिस्तान द्वारा मेरे देश के खिलाफ अपने झूठे और दुर्भावनापूर्ण प्रचार का प्रचार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मंच के दुरुपयोग की निंदा करते हैं, हम ऐसे सभी प्रयासों को खारिज करते हैं। वहीं बीजिंग के बचाव के लिए बेकरार, पाकिस्तान मिशन की काउंसलर साइमा सलीम ने चीन द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ समावेशी विकास, सामाजिक सुरक्षा, समान व्यवहार और जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मॉडल के रूप में व्यवहार की प्रशंसा की। इसके बाद उन्होंने भारत पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा को एक राज्य की नीति के रूप में आरोपित करते हुए भारत पर हमला किया और इसे आरएसएस-भाजपा से जोड़ा। सलीम ने कश्मीर के लिए इस्लामाबाद का अनिवार्य संदर्भ दिया और नागरिकता संशोधन अधिनियम का भी मुद्दा उठाया।


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