फैसल की मौत पर ओवैसी का यूपी पुलिस पर हमला, बोले 56 प्रतिशत पुलिसकर्मी मुसलमानों से नफरत करते

द लीडर : उन्नाव में 18 साल के सब्जी बिक्रेता फैसल की पुलिस पिटाई में मौत पर ऑल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदु्दीन ओवैसी ने यूपी पुलिस को निशाने पर लिया है. ओवैसी ने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस के 56 प्रतिशत अधिकारी मुसलमानों से नफरत करते हैं. और वे मानते हैं कि दूसरे समुदाय की अपेक्षा मुसलमान ज्यादा अपराधी होते हैं. इतना ही नहीं 54 प्रतिशत पुलिसकर्मी लीगल ट्रायल के बजाय खुद ही दंड देने को प्राथमिकता देते हैं.

ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों की 54 प्रतिशत शहरी आबादी स्वरोजगार है. जबकि 73 प्रतिशत लोेगों के पास कोई जॉब नहीं है. वे आसानी से आजीविका नहीं कमा सकते हैं. लॉकडाउन ने उनके सामने तीन विकल्प रख दिए हैं. पहला-कोरोना से मार जाएं. गरीबी से मरें या फिर पुलिस की ज्यादती से.

Unnao- Faisal Vegetables Police
पुलिस हिरासत में कथित पिटाई से हुई फैसल की मौत. उनका शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करते परिवारीजन.

ओवैसी ने कहा कि ये सच है कि लॉकडाउन ने गरीबों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. इंफॉर्मल सेक्टर के स्वरोजगार, नौकरीपेशाा लोग बेहाल हैं, जैसे फैसल थे. इसमें मुस्लिम, एससी-एसटी हैं. लॉकडाउन ने उनकी रोजी-रोटी छीन ली. और हिंसा ने उन्हें बर्बाद कर डाला है.


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बोले-फैसल उन्नाव में सब्जी बेचते थे. उन्हें पुलिस ने पीटकर मार डाला. उन पर लॉकडाउन के उल्लंघन का आरोप था. इसलिए मौत डिजर्व करती थी. ये मुसलमानों से नफरत की सच्चाई है.

फैसल यूपी के उन्नाव जिले के बांगरमऊ के निवासी थे. लॉकडाउन में वे सब्जी बेचकर परिवार का गुजारा कर रहे थे. चूंकि अभी यूपी में लॉकडाउन है. इसी के उंल्लघन में पुलिस ने फैसल की पिटाई की. और उन्हें थाने ले जाकर पीटा. परिवार का आरोप है कि पुलिस हिरासत में पिटाई से फैसल की मौत हो गई.

बाद में पुलिसे उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डाल आई. परिवार की तहरीर पर पुलिस ने तीन पुलिसकर्मियों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज किया है. और दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया है. इस घटना को लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश है. और वे पुलिस-प्रशासन, कानून व्यवस्था पर प्रश्न उठा रहे हैं.


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फैसल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद ये आक्रोश और बढ़ गया है. इसलिए क्योंकि पीएम रिपोर्ट में फैसल को गंभीर चोटें लगने की बात सामने आई है, जो पुलिस की उस कहानी को भी उजागर करती है, जिसमें फैसल की मौत का कारण हार्टअटैक बताया जा रहा था.

इस दावे के साथ कि पुलिस फैसल को थाने लेकर आई थी. जहां उनकी तबीयत बिगड़ गई. उन्हें अस्पताल ले जाया गया. लेकिन उनकी मौत हो गई. बहरहाल, इस घटना को लेकर परिवार और मुस्लिम संगठन आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठा रहे हैं. कई राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर निशाना साधा है.

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