द लीडर हिंदी, नई दिल्ली। केरल में एक तरफ कोरोना वायरस तो तांडव मचा ही रहा है वहीं अब यहां निपाह वायरस का भी कहर देखने को मिल रहा है. जहां देश में लगातार कोरोना के 40 हजार के करीब मामले सामने आ रहे है उसमें आधे से ज्यादा मामले सिर्फ केरल राज्य के ही है. ऐसे में एक और वायरस केरल में जमकर अपना तांडव मचा रहा है. फिलहाल, निपाह वायरस से 12 साल के बच्चे की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट पर है. वहीं दो और लोगों में निपाह वायरस की पुष्टि हुई है.
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12 साल के बच्चे की मौत के बाद अलर्ट प्रशासन
राज्य में निपाह वायरस को लेकर अधिकारियों को भी अलर्ट कर दिया गया है. और लोगों से भी ज्यादा सावधानियां बरतने की अपील की जा रही है. बता दें कि, केरल में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए ऐसे अंदेशा लगाया जा रहा था कि, केरल में तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है. जो जमकर तांडव मचाने वाली है. लेकिन केरल में दूसरे वायरस निपाह का कहर बढ़ता जा रहा है. वहीं अब लोग और भी ज्यादा डरे हुए है.
मई 2018 में भी केरल में निपाह वायरस हुई थी पुष्टि
बता दें कि, मई 2018 में भी केरल में सबसे पहले निपाह वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी. तब निपाह वायरस से 17 लोगों की जान गई थी. वहीं इस बार जैसे केरल में निपाह संक्रमण के मामले की पुष्टि हुई केंद्र सरकार के नेशनल सेंटर फ़ॉर डिज़ीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की एक टीम राज्य के स्वास्थ्य विभाग को तकनीकी सहयोग मुहैया कराने के लिए फ़ौरन रवाना कर दी गई.
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आइए आपकों विस्तार से बताते है कि, निपाह वायरस क्या है और कैसे ये वायरस इंसानों में फैल रहा है. ये वायरस कोरोना से कैसे ज्यादा खतरनाक दिखाई दे रहा है.
क्या है निपाह वायरस ?
निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जिसका मतलब है कि, यह जानवरों से इंसानों में फैलता है. निपाह वायरस फ्लाइंग फॉक्स (फ्रूट बैट) से जानवरों और मनुष्यों में फैलता है. आम तौर पर, यह सूअर, कुत्ते और घोड़ों जैसे जानवरों को प्रभावित करता है.यदि यह मनुष्यों में फैलता है, तो निपाह वायरस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस कई जानवरों को संक्रमित करता है और लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बनता है. यह इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण बनाता है. डब्ल्यूएचओ निपाह वायरस पर अपने दिशानिर्देशों में कहता है कि, संक्रमित लोगों में, यह एसिम्प्टोमैटिक (सबक्लिनिकल) संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन बीमारी और घातक एन्सेफलाइटिस तक कई बीमारियों का कारण बनता है.
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कैसे फैलता है निपाह वायरस?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, निपाह वायरस (NiV) तेज़ी से उभरता वायरस है, जो जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी को जन्म देता है. NiV के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था. वहीं से इस वायरस को ये नाम मिला. उस वक़्त इस बीमारी के वाहक सूअर बनते थे. लेकिन इसके बाद जहां-जहां NiV के बारे में पता चला, इस वायरस को लाने-ले जाने वाले कोई माध्यम नहीं थे. साल 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग इस वायरस की चपेट में आए.इन लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखा था और इस तरल तक वायरस को लेने जानी वाली चमगादड़ थीं, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है. बता दें कि, निपाह वायरस चमगादड़ों की लार से फैलता है. ऐसे में अगर चमगादड़ ने किसी फल खाया हो या जूठा किया हो और कोई व्यक्ति उसे खाता है तो उसे निपाह वायरस का खतरा हो सकता है. ऐसा नहीं कि, यह वायरस केवल चमगादड़ों से ही फैलता हो इसके अलावा यह वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. हालांकि पूरी तरह से इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है.
निपाह वायरस संक्रमण के क्या है लक्षण ?
1. दिमागी बुखार
2. लगातार खांसी के साथ बुखार और सांस लेने में तकलीफ
3. तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का या गंभीर)
4. इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण – बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, चक्कर आना, उनींदापन
5. न्यूरोलॉजिकल संकेत जो एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कुछ मामलों में लोगों को निमोनिया भी हो सकता है.
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कोरोना के बीच निपाह वायरस बना चुनौती
बता दें कि, कोरोना खतरे के बीच केरल के सामने निपाह वायरस की चुनौती आ गई है. रविवार को एक 12 साल के बच्चे ने इस वायरस की वजह से अपना दम तोड़ दिया है. ये वायरस मलेशिया, सिंगापुर और बांग्लादेश में अपना कहर पहले ही दिखा चुका है. अब भारत में भी निपाह वायरस से पहली मौत हो गई है.
साल 1998-99 में निपाह वायरस की चपेट में आए थे कई लोग
बता दें कि, साल 1998-99 में जब ये बीमारी फैली थी तो इस वायरस की चपेट में 265 लोग आए थे. अस्पतालों में भर्ती हुए इनमें से क़रीब 40% मरीज़ ऐसे थे जिन्हें गंभीर नर्वस बीमारी हुई थी और ये बच नहीं पाए थे. आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है. मलेशिया और सिंगापुर में इसके सूअरों के ज़रिए फैलने की जानकारी मिली थी जबकि भारत और बांग्लादेश में इंसान से इंसान का संपर्क होने पर इसकी चपेट में आने का ख़तरा ज़्यादा रहता है.
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अब तक कोई इलाज नहीं?
बता दें कि, निपाह वायरस के एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंचने की पुष्टि भी हुई और ये भारत के अस्पतालों में हुआ है. इंसानों में NiV इंफ़ेक्शन से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ़्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है. इंसानों या जानवरों को इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं बना है. सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, निपाह वायरस का इंफ़ेक्शन एंसेफ़्लाइटिस से जुड़ा है, जिसमें दिमाग़ को नुक़सान होता है. 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद ये वायरस तीन से 14 दिन तक तेज़ बुख़ार और सिरदर्द की वजह बन सकता है.
धीरे चलता है यह निपाह वायरस
एक रिपोर्ट की माने तो निपाह वायरस धीरे-धीरे फैलता है. अगर इस निपाह की तुलना कोरोना से करें तो उसके मुकाबले इस वायरस की चाल काफी धीरे है. हालांकि, इसके संक्रमण के कारण होने वाली मौतें चिंताजनक है. एक रिसर्च के मुताबिक साल 1999 में मलेशिया में निपाह वायरस से कुल 265 लोग संक्रमित हुए थे इनमें से 105 मरीजों की मौत हो गई थी. पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी जिले में पहली बार जब निपाह वायरस का संक्रमण फैला था तो उस वक्त 66 संक्रमितों में से 45 लोगों की जान चली गई थी. मतलब उस वक्त मृत्यु दर करीब 68 फीसदी रही थी. वहीं इसके बाद साल 2007 में नदिया जिले में वायरस फैला था जिसमें सभी पांच संक्रमित लोगों की मौत हो गई थी.
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सावधानी क्या बरतनी है?
अभी के लिए निपाह का इलाज सिर्फ और सिर्फ सावधानी ही है. अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए, तो इस वायरस की चपेट में आने से बचा जा सकता है. चमगादड़ और सूअर के संपर्क में आने से बचें, जमीन या फिर सीधे पेड़ से गिरे फल ना खाएं, मास्क लगाकर रखें और समय-समय पर हाथ धोते रहें. वहीं अगर कोई भी लक्षण दिखाई पड़े तो सीधे डॉक्टर से संपर्क साधें.