‘कलाकारों से सूना मुल्क’ बन रहा अफगानिस्तान, भरोसे लायक नहीं तालिबान: वेनिस फिल्म महोत्सव में बोलीं निर्वासित निर्देशक

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वेनिस फिल्म महोत्सव में अफगानिस्तान से निर्वासित दो महिला निर्देशकों ने तालिबान के वायदे पर भरोसा न करने को कहते हुए कहा, अफगानिस्तान कलाकारों से सूना मुल्क बन रहा है।

कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकीं 38 वर्षीय निर्देशक सहरा करीमी ने शनिवार को महोत्सव में संवाददाताओं से कहा, “केवल दो हफ्तों में, सबसे शानदार लोगों ने देश छोड़ दिया, वे लोग, जो सक्षम थे, प्रतिभाशाली थे।”

“कलाकारों के बिना एक देश की कल्पना करके देखिए,” करीमी ने कहा।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी सेना की वापसी और तालिबान द्वारा पिछले महीने अचानक अधिग्रहण के बाद अफगान फिल्म उद्योग “कुछ घंटों के अंतराल में” पूरी तरह बंद हो गया।

“इंडस्ट्री का आर्काइव अब तालिबान के कब्जे में हैं। निर्देशकों का काम कुछ ही घंटों में गायब हो गया। कुछ लोग कंप्यूटर में अपना थोड़ा काम सहेज पाए, बाकी को खाली हाथ ही जाना पड़ा।”

“ए थाउज़ेंड गर्ल्स लाइक मी” डॉक्यूमेंट्री बनाने को जानी जाने वाली करीमी की साथी सहरा मानी ने कहा: “इस घटना का मतलब इतना ही था कि हमने सब कुछ खो दिया।”

अपनी बात को समझाने के लिए मायूसी के साथ मानी ने काबुल के एकमात्र मिश्रित संगीत विद्यालय की मिसाल दी। उन्होंने कहा, “तालिबान अब उस इमारत पर काबिज हैं। उन्होंने छात्रों के संगीत उपकरणों को नष्ट कर दिया है और छात्र डरे सहमे छुपे हुए हैं। यह कहते हुए मानी फफक पड़ीं।

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2019 में अफगान फिल्म संगठन की पहली प्रमुख बनी मानी ने 15 अगस्त को अपने पलायन की बात बताई।

“मैंने अपना दिन सामान्य रूप से शुरू किया, और कई घंटों बाद मुझे अपनी जिंदगी का सबसे मुश्किल फैसला लेना पड़ा: देश में रहने या छोड़ने का।

“हम अभिनेता, निर्देशक, निर्माता हैं, हम राजनेता नहीं हैं। हम सिर्फ अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।”

उन्होंने अपनी तरह निर्वासित लोगों को “अफगान पहचान के राजदूत” जैसा बताकर कहा, तालिबान भरोसे लायक बिल्कुल नहीं हैं। वे सिर्फ ज्यादा क्रूर ही नहीं हैं, तकनीक का इस्तेमाल करने में अक्लमंद भी हैं।”

मानी ने कहा, “हमें केवल अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ही बचा सकता है। हमारी मदद करें! हमें उम्मीद की जरूरत है। हमारी आवाज बनें और हमारी हालत के बारे में बात करें।”

दोनों निर्देशकों को वेनिस में जोखिम वाले फिल्म निर्माताओं के अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन (ICFR- इंटरनेशनल कोलीशन फॉर फिल्ममेकर्स ऐट रिस्क) के सदस्यों ने बुलाया था, इस मंच को म्यांमार जैसे उथल-पुथल वाले देशों के कलाकारों की मदद करने के लिए पिछले साल के उत्सव में बनाया गया था।

एम्स्टर्डम में डॉक्यूमेंट्री फिल्म के अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव के सीरियाई प्रमुख ओरवा न्याराबिया ने कहा, आज अफगानिस्तान में “कलाकार होना खतरे में होना ही नहीं, बल्कि खतरे की सूची में सबसे ऊपर होना है।”

“हम सभी उन्हें बचाना चाहते हैं, यह हमारे हित में है।”

एंजेलिना जोली ने जताई चिंता

ANJILINA JOLLY WITH AFGAN CHILDREN

हाल ही में एक जर्मन अखबार को दिए इंटरव्यू में हॉलीवुड सुपरस्टार एंजेलिना जोली ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के हालात को लेकर चिंता जाहिर की।

एंजेलिना जोली ने कहा, “मैं उन सभी महिलाओं और लड़कियों के बारे में सोच रही हूं जो अभी तक नहीं जानती हैं कि वे काम पर या स्कूल जा पाएंगी या नहीं। उन युवा अफगानों के बारे में चिंता हो रही जो अपनी आजादी खो देंगे।”

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हाल ही में अभिनेत्री ने अफगानिस्तानी महिलाओं से हमदर्दी साझा करने को इंस्टाग्राम ज्वाइन किया।

इन आशंकाओं पर रशरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त के विशेष दूत का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि तालिबान सरकार 20 साल पहले जैसे हाल में वापस जा सकती है।


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