Mumbai: रमज़ान में कहीं नहीं देखा होगा मुंबई सा यह नज़ारा | Ramadan | Roza Iftar

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द लीडर हिंदी : जब ज़्यादातर मु्स्लिम रोज़ा खोलने या रोज़ा रखने के लिए लोग घरों में रहकर खाने में मसरूफ़ हो जाते हैं, मुंबई के ये नौजवानों की टोली रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में दौड़ती-भागती, आवाज़ लगाती दिखती है, सहरी ले लो, इफ़्तारी ले लो. फ़ीसबीलिल्लाह यानी अल्लाह के लिए. इनका ख़ुद अपना रोज़ा होता है लेकिन फिक्र दूसरे रोज़ेदारों की रहती है. सफ़र में कहीं किसी रोज़ेदार को रोज़ा खोलने में तकलीफ़ का सामना नहीं करना पड़े. कोई रोज़ा इस वजह से नहीं छोड़ दे कि सफ़र में जाते वक़्त ट्रेन या रेलवे स्टेशन पर सहरी में खाने का इंतज़ाम नहीं हो सका. उनका मक़सद सिर्फ़ और सिर्फ़ अल्लाह को राज़ी करना है.