डिप्रेशन से घिरे ब्रिटेन के एक तिहाई से ज्यादा किसान

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खेती-किसानी का संकट भारत में ही नहीं, विकसित देशों में भी बढ़ता जा रहा है। एक ताजा सर्वेक्षण से पता चला है कि ब्रिटेन में एक तिहाई से ज्यादा ज्यादा किसान डिप्रेशन से घिर गए हैं। खासतौर पर अवसाद का असर महिलाओं में चिंताजनक स्तर पर होने की आशंका है। डिप्रेशन के पीछे तनाव की वजह वित्तीय दबाव, शारीरिक दर्द, COVID-19 महामारी, सरकारी नियम और खराब मौसम को माना जा रहा है। (Britain Farmers Depression)

यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर और रॉयल एग्रीकल्चरल बेनेवोलेंट इंस्टीट्यूशन (आरएबीआई) द्वारा किया सर्वेक्षण उस दरम्यान आया है, जब सुअर पालन करने वाले किसान बूचड़खाने में कर्मचारियों की कमी के कारण अपने जानवरों को मारने की मजबूरी की सूचना दे रहे हैं।

सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन में खेती में शामिल 15 हजार लोगों से बात की। ब्रिटेन में बूचड़खाने के कामगारों की कमी बड़ी समस्या बनने से पहले यह सर्वेक्षण किया गया था। (Britain Farmers Depression)

इस बीच यह पाया गया कि यह पाया गया कि विशेषज्ञ सुअर पालक किसान खेती के सभी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा तनाव वाले कारकों और अवसाद की रिपोर्ट कर रहे थे। अनाज और सामान्य फसल वाले किसानों में तुलनात्मक तौर पर तनाव की दर कम थी। लगभग 70 प्रतिशत अवसाद का अनुभव नहीं कर रहे थे।

खराब मौसम बड़ी चिंता का विषय है। करीब 44 फीसदी लोग इसे गंभीर मान रहे हैं।

लंबे समय तक अलगाव ने तनाव को अवसाद की हद तक बढ़ाने में खासी भूमिका निभाई है। सामान्य आबादी के मुकाबले युवाओं अकेलेपन को ज्यादा झेला। (Britain Farmers Depression)

फ़ार्म सेफ्टी फ़ाउंडेशन की स्टेफ़नी बर्कले को बीबीसी ने यह कहते हुए उद्धृत किया, “कृषि में मानसिक स्वास्थ्य ऐसी बड़ी समस्या है, जिसे चाहे-अनचाहे अनदेखा किया जा रहा है। कोई भी अकेलेपन, चिंता या आत्महत्या के बारे में बात नहीं करना चाहता है, जबकि वह हकीकत है।

सर्वे रिपोर्ट ने पूरे किसान समुदाय के लिए इस मुद्दे से निपटने के लिए और किसानों की परेशानी को हल करने, एक दूसरे से खुलकर बात करने की जरूरत पर बल दिया है। जिससे हालात काबू में रहें। (Britain Farmers Depression)

सर्वे के नतीजे यह भी बताते हैं कि तमाम किसानों को काम से छुट्टी का कोई मौका नहीं है। लगभग एक तिहाई उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्हें शायद ही कभी खेत छोड़ने का समय मिलता है।


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