उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बढ़ रहा है कोरोना का संक्रमण

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द लीडर देहरादून।

उत्तराखंड के पहाड़ों का जीवनदायी हवा पानी भी कोरोना ने फेल कर दिया। प्रवासियों के जरिये पहाड़ के गांव तक पहुंचा संक्रमण अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है। स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधा से महरूम गॉंव अब कोरोना का घर बन गए हैं। पिछले दस दिनों में 27.6 संक्रमण के मामले पहाड़ी जिलों से आये हैं जबकि यहां की आबादी प्रदेश की कुल आबादी का 20 प्रतिशत के करीब ही है।
उत्तराखंड की आबादी का 80 फीसद हिस्सा देहरादून , हरिद्वार, उधमसिंहनगर और नैनीताल जिले में ही रहती है। शुरुआत में यही जिले सबसे अधिक संक्रमित थे। सरकारी सिस्टम भी यहीं सक्रिय है और सुविधाएं भी यहीं हैं। अब यहां संक्रमण कम होता दिख रहा है लेकिनप हाड़ में बढ़ रहा है।

एक से दस मई के बीच की स्थिति देखें तो प्रदेश में 27.6 फीसद मामले नौ पर्वतीय जनपदों में आए हैं।सबसे ज्यादा प्रभावित टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी है। जबकि पिथौरागढ़, बागेश्वर और रुद्रप्रयाग में मामले तुलनात्मक रूप से कम हैं।स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है, क्योंकि पर्वतीय जनपदों में जांच की रफ्तार बेहद सुस्त है और संक्रमण दर बढ़ रही है। आसान भाषा में कहें तो कम जांच के बावजूद काफी ज्यादा लोग संक्रमित मिल रहे हैं। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल का कहना है कि पहाड़ में जिस तेजी से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है, उसे रोकने के लिए एक ठोस रणनीति की जरूरत है।
पहाड़ में स्वास्थ्य का आधारभूत ढांचा भी उतना सुदृढ़ नहीं है। ऐसे में हालात बिगड़े तो जनहानि काफी ज्यादा होगी। कई जिलों में तो यह हजार सैंपल प्रतिदिन भी नहीं है। ऐसे में जांच में तेजी लाने की आवश्यकता है।

हरिद्वार में बंद है उपचार सामग्री

उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मोहन खत्री ने कुंभ के लिए केंद्र से दी गई चिकित्सा सामग्री को तत्काल जरूरत के हिसाब से जिलों के अस्पतालों में वितरण की मांग की। इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को पत्र भेजा है।
केन्द्र से कुंभ के लिए काफी संख्या में हास्पीटल बेड, चिकित्सा उपकरण, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, पीपीई किट एवं जीवन रक्षक दवाइयां आदि भेजी थी। ये चिकित्सा सामग्री मेला अधिकारी के नियंत्रण में गोदामों में बंद हैं। संकट की इस घड़ी में इस सामग्री की राज्य में सख्त आवश्यकता है। इस सामग्री का राज्य में घोर अभाव है, जिस कारण बड़ी संख्या में लोग अपनी जानें गंवा रहे हैं। परिवार के परिवार नष्ट हो रहे हैं। इस सम्बंघ में तत्काल कदम उठाये जाने की अवश्यकता है।

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