अफगानिस्तान में शांति प्रयासों के क्रम में दोहा बैठक ने अंतिम नतीजे को लेकर तालिबान को चेतावनी जारी की है। जिसमें कहा गया है, बलपूर्वक आए तो वैधता नहीं मिलेगी। बैठक में अफगान सरकार और तालिबान से शांति लाने का आह्वान किया गया है। हालांकि इस संदेसे का तालिबान पर कोई असर नजर नहीं आता और वह एक के बाद एक शहरों पर कब्जा करता जा रहा है। इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि अमेरिका-ब्रिटेन तक अपने नागरिकों अफगानिस्तान से वापस लाने को दल-बल भेज रहे हैं।
दोहा बैठकों की श्रृंखला के बाद जारी नौ सूत्री अध्यक्षीय बयान में कहा गया है, “बैठक में भाग लेने वाले सभी सदस्यों ने इस बात की पुष्टि की है कि अफगानिस्तान में ऐसी किसी भी सरकार को मान्यता नहीं देंगे जो सैन्य बल के जरिए आएगी।
मंगलवार को हुई दोहा बैठक में चीन, उज्बेकिस्तान, संयुक्त राज्य अमेरिका, पाकिस्तान, यूनाइटेड किंगडम, कतर, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ की भागीदारी रही और दूसरी बैठक में गुरुवार को जर्मनी, भारत, नॉर्वे हुई। कतर, ताजिकिस्तान, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, रूस, चीन भी कुछ अन्य बैठकों में शामिल रहे।
मुख्य दस्तावेज में “जितनी जल्दी हो सके राजनीतिक समझौता और व्यापक युद्धविराम” का आह्वान किया गया। राजनीतिक समझौते में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों और “किसी भी व्यक्ति या समूहों को अन्य देशों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देने की प्रतिबद्धता” की बात की गई।
बैठकों के प्रतिभागियों ने “लगातार हिंसा, बड़ी संख्या में नागरिक हत्याओं और मानवाधिकारों के उल्लंघन के बारे में “गंभीर चिंता” जताई, जिससे अफगानिस्तान का बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो गया है। कई हिस्सों में महिलाओं और बच्चों के मारे जाने की दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं।