इस चुनाव में मायावती की अलग है रणनीति, क्यों नहीं चला अपना सबसे मजबूत कार्ड ?

UP Politics: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के साथ ही कर्नाटक के विधानसभा चुनाव भी अपने अंतिम पड़ाव में है। जहां कर्नाटक में 10 मई को वोट डाले जायेंगी वहीं यूपी निकाय चुनाव के दूसरे चरण में वोटिंग 11 मई को होगी। इसके साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियां इस चुनाव में जोर-शोर से जुटी हुई है,लेकिन इस बार बसपा सुप्रीमो मायावती की रणनीति बदली हुई नजर आ रही है।

जिससे यूपी में सत्ता के गलियारों में ये सवाल गूंज रहा है कि बीएसपी के रणनीतिकार सतीश चन्द्र मिश्रा इस चुनाव में नजर क्यों नहीं आये।वो निकाय चुनाव में ना तो रणनीति तैयार करने में दिखे और ना ही प्रचार करने  में। और तो और कर्नाटक में हो रहे विधानसभा चुनाव में भी वो पार्टी के स्टार प्रचारक के तौर पर नहीं दिखे।

अगर बीएसपी में सतीश चंद्र मिश्र की अहमियत की बात करें, तो 2007 में जब बहुजन समाज पार्टी की फुल मेजॉरिटी से प्रदेश में सरकार बनी थी। तब यही कहा गया कि ये सतीश चंद्र मिश्र की सोशल इंजीनियरिंग का ही कमाल है। बीते कई वर्षों में  सतीश चंद्र मिश्रा लगातार बहुजन समाज पार्टी के सबसे बड़े रणनीतिकार रहे हैं।

2022 के विधानसभा चुनाव में भी सबसे ज्यादा अगर पूरे प्रदेश में घूम-घूम कर किसी ने जनसभाएं की, प्रचार किया तो वह सतीश चंद्र मिश्रा ही थे। लेकिन इस बार निकाय चुनाव में वो कहीं भी नजर नहीं आए। इतना ही नहीं कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में भी वो पार्टी के स्टार प्रचारक नहीं थे। हालांकि ये कोई पहला मौका नहीं है, जब उन्हें पार्टी ने स्टार प्रचारक नहीं बनाया, बल्कि आजमगढ़ और रामपुर में जब लोकसभा के उपचुनाव हो रहे थे। तब भी वह पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल नहीं थे।

बहुजन समाज पार्टी ने इस बार 17 नगर निगमों में मेयर पद पर 11 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं। तमाम जगहों पर पार्टी जीत का दावा भी कर रही है, लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र कहीं भी इस चुनाव में प्रचार करते नजर नहीं आए।

इतना ही नहीं जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती लखनऊ में वोट डालने गईं, तब भी वो उनके साथ नजर नहीं आए। हालांकि इससे पहले जब भी मायावती वोट डालने जाती थी, तो सतीश चंद्र मिश्रा उनके साथ नजर जरूर आते थे। वहीं निकाय चुनाव में वोटिंग के दिन वो खुद वोट डालने के लिए नहीं पहुंचे. हालांकि उनके करीबियों का कहना है कि वो स्वास्थ्य कारणों के चलते वोट डालने नहीं जा पाए। अब देखने वाला ये भी होगा कि इस मौजूदा राजनीतिक हलच का आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या असर होता है ?

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chandra mani shukla

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