द लीडर हिंदी : उत्तर प्रदेश के जिला बरेली से इस वक्त की बड़ी खबर आ रही है. आईएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर मुश्किलों में फंस गए है.बरेली बवाल मामले में पुलिस प्रशासनिक अफसरों के कार्रवाई न करने पर कोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है. कोर्ट ने बरेली बवाल के मामले में आईएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर को दंगे का मुख्य मास्टर माइंड माना है. कोर्ट ने मौलाना को 11 मार्च को समन जारी कर तलब किया है.वही कोर्ट ने कार्रवाई न करने को लेकर बरेली के अफसरों पर भी तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट के आदेश की कॉपी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजने का आदेश दिया है.
बतादें साल 2010 मे बारावफात जुलूस के दौरान भड़काऊ भाषण देकर दंगा भड़काने के आरोप में विशेष जज त्वरित न्यायालय कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा को आज मंगलवार समन भेजकर 11 मार्च को तलब किया है. कोर्ट ने कार्रवाई न करने को लेकर बरेली के तत्कालीन अफसरों पर भी तल्ख टिप्पणी की है.
जानिए दो मार्च 2010 को बरेली में कैसे हुआ था दंगा
बता दें मौलाना अपने विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहते है. दो मार्च 2010 को मोहल्ला सौदागरान के रहने वाले आला हजरत परिवार से ताल्लुक रखने वाले आईएमसी के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां ने जन समूह को भड़काऊ भाषण दिया. भीड़ ने पुलिस चौकी को फूंक दिया. हिन्दुओं के घरों को आग के हवाले कर दिया.वही मौलाना तौकीर और उनके समर्थकों के खिलाफ बलवा, सरकारी काम में बाधा, 7 क्रिमिनल ला अमेडमेंट एक्ट, जानलेवा हमला, धार्मिक भावनाएं भड़काने, लोक संपत्ति निवारण अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया था. बता दें, इस मामले में पुलिस ने चार्जशीट से तौकीर रजा खान का नाम ही निकाल दिया था, इसलिए मौलाना तौकीर रजा खान इस केस से बरी हो गए थे.
अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर का आदेश
मौलाना तौकीर रजा पर आदेश देते हुए अपर सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रैक रवि कुमार दिवाकर ने अपने आदेश में कहा कि ज्ञानवापी प्रकरण में वाराणसी में मैंने ही फैसला दिया था. इस वजह से एक धर्म विशेष के लोगों और अधिकारियों का रवैया मेरे प्रति अजीब सा हो गया है. जज रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि लखनऊ में रहने वाली मेरी मां, शाहजहांपुर में तैनात सिविल जज भाई, मेरी पत्नी और बच्चे सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं.
मार्च 2010 में बरेली में दंगा भड़काने वाले मौलाना तौकीर का नाम पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया है. मुकदमे की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी कि तत्कालीन एसएसपी, डीआईजी, आईजी, कमिश्नर और डीएम ने विधिक रूप से कार्य न करके सत्ता के इशारे पर कार्य किया. अधिकारियों ने 2010 के दंगे के आरोपी और मुख्य मास्टर माइंड मौलाना तौकीर रजा खां का सहयोग किया.