द लीडर : अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमले और सरकारी एजेंसियों के रवैये को लेकर मुस्लिम समाज में आक्रोश पनप रहा है. असम हिंसा और यूपी से अवैध धर्मांतरण के आरोप में मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी ने इसे और बढ़ा दिया है. इसी के विरोध में शुक्रवार को मुंबई की सड़कों पर हजारों लोगों का हुजूम उमड़ा. जिसने एक सुर में दोनों घटनाओं की निंदा की है. (Assam Violence Maulana Kaleem)
मुंबई के कई सामाजिक संगठन और एक्टिविस्टों की तरफ से इस प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. जिसमें भारी भीड़ उमड़ पड़ी. हाथ में तख्ती-बैनर लिए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि, अपने धर्म का अभ्यास करना-हमारा मौलिक अधिकार है. सरकार मुसलमानों को क्यों परेशान कर रही है?
इसी महीने यूपी के आतंक निरोधी दस्ता (ATS) ने मुजफ्फरनगर के मशहूर इस्लामिक स्कॉलर मौलाना कलीम सिद्दीकी को मेरठ के रास्ते से गिरफ्तार किया था. तब, जब वह मेरठ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर वापस घर लौट रहे थे.
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अगले दिन एटीएस ने उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की. उनके बाद हाफिज इदरीस के साथ दो और लोगों को गिरफ्तार किया. इस आरोप के साथ कि मौलाना कलीम की सरपस्ती में ये लोग धर्मांतरण का रैकेट चला रहे हैं. जिसमें लालच देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है.
पुलिस के इस आरोप को लेकर मुस्लिम समाज में नाराजगी है. और वो सिलसिलेवार तरीके से उलमा को निशाना बनाए जाने का विरोध दर्ज करा रहा है. गिरफ्तारी के समय ही देशभर से विरोध सामने आया था. और अब मुंबई में एक विशाल प्रोटेस्ट हुआ है.
इसी घटनाक्रम के बीच 22 सितंबर को असम के दरांग जिले में अवैध अतिक्रमण के नाम पर सरकार ने 800 घर ढहा दिए थे. सिपाझर के धौलपुर गांव के ग्रामीण इस कार्रवाई के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के लिए जमा हुए. तो पुलिस ने उन पर फायरिंग कर दी थी. गोलीबारी में मोईनुल हक, शेख फरीद समेत तीन लोग मारे गए. और दर्जनों जख्मी हुए.
लेकिन मोईनुल हक को जिस बेरहमी से मारा गया. उस वीडियो ने देश के हर इंसान का झंझोकर दिया. जमीयत उलमा-ए-हिंद, स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट से जुड़े लोग घटनास्थल का दौरा करके आए हैं. पीड़ितों की मदद भी कर रहे हैं. (Assam Violence Maulana Kaleem)