असम : मोईनुल हक तक नहीं थमा जुल्म, 7 दिन से पुलिस की गोलियां जिस्म में दबाए 9 घायल, नहीं हुआ ऑपरेशन

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गोवाहटी मेडिकल कॉलेज में घायलों का हाल जानते सामाजिक कार्यकर्ता फहाद अहमद.

अतीक खान


-असम के दरांग जिले में इंसानियत तिल-तिल मर रही है. मोईनुल हक के कत्ल का वीडियो आपने भी देखा होगा. किस तरह पुलिस ने उनकी छाती में गोली धांस दी. फोटोग्राफर लाश पर कूद रहा था. लाश को जेसीसी से टांगा और घसीटा गया. अमानवीयता का ये सिलसिला यहीं नहीं थमा है. दरांग में 9 और लोगों को गोली लगी थी. जिनका 7 दिन बाद भी ऑपरेशन नहीं हुआ. यानी अपने जिस्म में गोली का दर्द दबाए ये घायल तड़प रहे हैं. (Assam Atrocities Moinul Haque )

यूनाइटेड अंगेंस्ट हेट से जुड़े नदीम खान और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कॉलर फहाद अहमद दरांग के उसे सिपाझर इलाके में पहुंचे हैं. जहां के धौलपुर गांव में पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी थी.

दरांग के सिपाझर इलाके में पीड़ितों से बात करते एक्टिविस्ट फहाद अहमद और उनकी टीम के साथी.

इस गोलीबारी में मोईनुल हक के साथ शेख फरीद समेत कुल तीन लोग मारे गए थे. कई घायल हुए थे. जिनमें से 9 लोग गुवाहटी के मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं. सनद रहे कि 23 सितंबर को पुलिस ने ग्रामीणों पर गोली चलाई थी. लेकिन 29 सितंबर तक अस्पताल में भर्ती किसी भी घायल का ऑपरेशन नहीं किया गया.


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फहाद अहमद के मुताबिक, पुलिस की गोली के शिकार मुसलमानों से मुलाकात हुई है. गुवाहटी मेडिकल कॉलेज में हैं. 9 लोगों को गोली लगी है. किसी का ऑपरेशन नहीं किया गया. गोलियां जिस्म में होने के कारण इंफेक्शन का खतरा काफी बड़ गया है. हमारी टीम ने अधिकारियों से बात करके तीन लोगों का ऑपरेशन कराया है. तीन का ऑपरेशन आज यानी 30 सितंबर को होगा. स्थानीय ग्रामीणों के बाद घायलों की संख्या 9 से कहीं अधिक है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्पा सरमा की सरकार राज्य में कथित रूप से अवैध अतिक्रमण को कब्जा मुक्त करा रही है. इसी कड़ी में दरांग के धौलपुर गांव में 800 मकान गिरा दिए गए थे. इसमें अधिकांश मुस्लिम हैं. (Assam Atrocities Moinul Haque)

इसके विरोध में 23 सितंबर को ग्रामीण शांतिपूर्वक विरोध दर्ज करा रहे थे. तभी पुलिस ने उन पर कार्रवाई कर दी. और गोलियां चला दीं. इसके कई वीडियो सामने आए हैं. लेकिन मोईनुल हक की मौत ने हर इंसान को अंदर से हिलाकर कर रख दिया.

इसके बाद सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है. लेकिन सवाल ये कि घटना के एक सप्ताह बाद भी आखिर घायलों का उचित इलाज क्यों नहीं किया गया? जिनके गोली लगी है-उनका ऑपरेशन क्यों नहीं हुआ? आखिर अस्पताल प्रशासन ने अपनी इलाज की अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं निभाई?

ये सारे सवाल राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. बहरहाल दिल्ली से पहुंची टीम न सिर्फ ग्रामीणों पर जुल्म की दास्तां का ब्योरा तैयार कर रही है. बल्कि उनके इलाज में भी मदद कर रही है.

इसके अलावा जमीयत उलमा-ए-हिंद ने घायल और मारे गए लोगों के परिजनों को आर्थिक मदद दी है. इस्लामिक स्टूडेंट़्स ऑग्रेनाइजेशन ऑफ इंडिया ने मोईनुल हक के बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाने का ऐलान किया है. (Assam Atrocities Moinul Haque)

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