महाराष्ट्र में उग्र हुआ मराठा आरक्षण, जालना में प्रदर्शनकारियों ने लगाई बस में आग, कर्फ्यू लागू

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द लीडर हिंदी : महाराष्ट्र में एक बार फिर आरक्षण की ‘आग’ भड़क गई. इनदिनों मराठा आंदोलन की आग में पूरा महाराष्ट्र जल रहा है. मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है.जिसके चलते अंबाद तालुका के तीर्थपुरी शहर में प्रदर्शनकारियों ने राज्य परिवहन की बस में आग लगा दी.शहर में अफरातफरी का माहौल बना है.बतादें कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल का अनशन जारी है. इसी बीच जालना के कई इलाकों में प्रदर्शन शुरू हो गए. आगजनी और तोड़फोड़ के बाद एक बस को आग लगा दी गई. वही बस को आग देेेने के बाद जालना में बस सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं.

बतादें महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन लगातार उग्र होता जा रहा है. मराठा प्रदर्शनकारियों ने जालना में अंबड तालुका के तीर्थपुरी शहर के छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर राज्य परिवहन की बस में आग लगा दी है. जिसके बाद शहर का माहौल काफी गरम हो गया. वही मराठा समुदाय मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहा है. फिलहाल आंदोलन के मद्देनजर कानून-व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के जालना जिले के अंबड तालुका में कर्फ्यू लगा दिया गया है.स्तिथि काफी गंभीर बनी हुई है.

बतादें शिंदे सरकार की तरफ से मराठाओं को 10 फीसदी आरक्षण का बिल पास कर दिया गया. इसके बावजूद मराठा प्रदर्शनकारियों का आक्रोश देखने को मिल रहा है. जालना में मराठा आरक्षण को लेकर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने बस में आग लगा दी. मराठा आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों का हंगामा बढ़ता जा रहा है. कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए जालना की अंबाद तहसील में कर्फ्यू लगाया गया है.गृह विभाग की अपर मुख्य सचिव सुजाता सैनिक ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.

बतादें 20 फरवरी को महाराष्ट्र की शिंदे सरकार ने विधानसभा में एक विशेष सत्र बुलाकर मराठाओं को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने का बिल पास किया था.वही इससे पहले मराठाओं को 52 फीसदी आरक्षण दिया गया था. 10 फीसदी आरक्षण और दिए जाने से उन्हें अब 62 फीसदी आरक्षण मिल गया है. राज्य में मराठाओं की आबादी 28 फीसदी है.

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सरकार की तरफ से मराठाओं को आरक्षण अलग से दिया गया है जबकि वे ओबीसी के अंदर ही आरक्षण की मांग कर रहे है. इसको लेकर मराठा आरक्षण के कार्यकर्त्ता मनोज जरांगे का कहना है कि उन्हें ओबीसी के दायरे से बाहर का कोटा दिए जाने से आरक्षण को कानूनी चुनौती मिल सकती है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबीक 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण किसी को नहीं दिया जाएगा.