द लीडर : आला हज़रत ख़ानदान की सबसे बुज़ुर्ग शख़्सियत और मदरसा जामिया नूरिया के प्रबंधक मौलाना मन्नान रजा खां-मंनानी मियां दो महीने की विदेश यात्रा से बरेली वापस आ गए हैं. जहां दरगाह आला हज़रत स्थित नूरी मरकज़ पर उलमा ने उनका ज़ोरदार स्वागत किया. आला हज़रत के मिशन को दुनिया के तमाम हिस्सों में प्रचारित करने निकले थे. (Ala Hazrat Mannani Miyan)
मौलाना मंनानी मियां ने कहा कि आला हज़रत के चाहने वाले दुनियाभर में हैं. रूहानी सिलसिलों में दो बड़े सिलसिले है, जिनके मुरीदीन दुनिया में मिलते हैं. एक सिलसिला है “अशरफी” , जिसका मरकज किछौछा शरीफ में है. और दूसरा सिलसिला “रज़वी” जिसका मरकज़ बरेली हैं. इन दोनों रुहानी सिलसिलों के कुछ लोगों के दरम्यान पिछले 25 सालों से इख्तिलाफात चले आ रहे थें, जाे इस सफ़र में दूर हुए हैं.
साउथ अमेरिका सूरीनाम में अशरफी सिलसिले की तरफ से मोहद्दिस आज़म हिन्द के पोते मौलाना सय्यद नूरानी मियां किछोछवी और रज़वी सिलसिले की तरफ से आला हज़रत के ग्रांडसन मौलाना मन्नान रजा खां की मुलाक़ात हुई. अौर दोनों बुजुर्गों ने फ़ैसला किया कि इख्तिलाफात करने का वक्त नहीं है. बल्कि इत्तेहाद का समय है. पुराने मसाइल और विवादों को भूलकर आगे बढ़ने की ज़रूरत है. दोनों लोगों ने गले मिलकर एकजुटता से काम करने का पैग़ाम दिया है. दोनों बुजुर्गों ने वहां नूरूल इस्लाम के नाम से एक मस्जिद का उद्घाटन किया. इस मौके पर सूरीनाम के राष्ट्रपति चान संतोखि भी मौजूद रहे. (Ala Hazrat Mannani Miyan)
इसे भी पढ़ें-नीट में हाफ़िज़ों की कामयाबी ने मदरसों को दिया ख़ुशी का मौका, ये छह हाफ़िज़ बनेंगे डॉक्टर
मंनानी मियां का कहना है कि उन हर देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं. मगर आला हजरत का साहित्य उर्दू ज़ुबान में है. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आला हज़रत के लिटरेचर की विभिन्न भाषाओं में ज़रूरत है. जल्द ही इस पर काम किया जाएगा.और कुछ लेखकों को किताबों का अंग्रेजी में तर्जुमा करने की जिम्मेदारी दी जाएगी.
तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के मीडिया प्रभारी डा. अनवर रज़ा क़ादरी ने कहा कि मौलाना मन्नानी मियां की ये यात्रा ऐसे वक्त में संपन्न हुई है, जब आला हज़रत का 104वां उर्स इसी माह की 21, 22 और 23 सितंबर को मनाया जाएगा. जिसकी तैयारियां जोरशोर से जारी हैं. मीडिया प्रभारी के मुताबिक मन्नानी मियां ने हॉलैंड, नीदरलैंड, वेस्टंडीज़, इंग्लैंड, जर्मनी, घाना आदि देशों की यात्रा की है. (Ala Hazrat Mannani Miyan)