नीट में हाफ़िज़ों की कामयाबी ने मदरसों को दिया ख़ुशी का मौका, ये छह हाफ़िज़ बनेंगे डॉक्टर

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Hafiz Success Neet Madrasa
नीट क्वालिफ़ाई करने वाले हाफ़िज गज़नफ़र और हाफ़िज़ ओसामा अपने दादाद मौलाना इनायतुल्लाह सुब्हानी के साथ.

द लीडर : भारत में पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण और उत्तर भारत तक, जब मदरसों के वजूद को लेकर बहस छिड़ी है. असम में कथित रूप से अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को संरक्षण देने के आरोप में मदरसों को तोड़ा जा रहा है. तो यूपी में निजी खर्चों पर संचालित मदरसों के सर्वे का आदेश जारी हो चुका है. जिसको लेकर हंगामा मचा है. जमीयत उमला-ए-हिंद ने मदरसा संचालकों के साथ मीटिंग की है. और सर्वे प्रक्रिया की मंशा पर सवाल उठाए हैं. इसी बीच मेडिकल की प्रतिष्ठित परीक्षा, नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (NEET) में हाफ़िज़ और मौलानाओं की सफलता ने मदरसों की बहस का रुख मोड़ दिया है. (Hafiz Success Neet Madrasa )

मदरसों के लिए काफ़ी राहत और गर्व की बात है कि उनके हाफ़िज़-ए-क़ुरान और आलिम छात्र-छात्राओं ने मेडिकल की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में कामयाबी हासिल की है. शाहीन एजुकेशनल ग्रुप के संस्थानाें में पढ़ने वाले चार हाफ़िज़ों ने अच्छी रैंक के साथ नीट क्वालिफ़ाई किया है. इसमें हाफ़िज हुज़ैफ़ा ने 602 मार्क्स हासिल किए हैं. जबकि हाफ़िज़ मुहम्मद इक़बाल ने 680, हाफ़िज़ ग़ुलाम अहमद ज़ेरदी ने 646 और हाफ़िज़ मुहम्मद अब्दुल्ला ने 632 अंक प्राप्त किए हैं.

इसी तरह मौलाना इनायतुल्ला सुब्हानी के दो पोते यानी ग्रांडसन, जोकि हाफ़िज़ ए-क़ुरान हैं-दोनों ने नीट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. हाफ़िज़ ग़ज़नफ़र 665 और हाफ़िज़ ओसामा 620 अंक हासिल करके डॉक्टर बनने की राह पर आगे बढ़ चुके हैं. इनकी कामयाबी ने न सिर्फ़ मां-बाप को खुशियां दी हैं, बल्कि दीनयात पढ़ने वाले छात्रों को मॉर्डन एजकेशन के लिए भी हौसला दिया है. (Hafiz Success Neet Madrasa )


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और ये कोई पहला मौका नहीं है, जब दीनी तालीम हासिल करने वाले छात्राओं ने मॉर्डन एज़ुकेशन की किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफ़लता हासिल की है. इसी साल देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग में हैदराबाद के डॉ. मुस्तफ़ा ने कामयाबी पाई थी. मुस्तफ़ा ने एमबीबीएस के बाद एमडी किया. हाईस्कूल में टॉपर रहे थे. लेकिन इससे पहले उन्होंने क़ुरान को हिफ़्ज किया था. दरअसल, मुस्तफ़ा की शुरुआती पढ़ाई खाड़ी में हुई इसलिए वहां उन्होंने दीन के साथ दुनियावी तालीम भी जारी रखी. और पिता के साथ वापस हैदराबाद आकर सफ़लता का शिख़र छुआ है.

भारत में हर साल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में मदरसा छात्रों की सफलता की दास्तानें समाने आती हैं. चाहें मेडिकल हो, इंजीनयरिंग या फ़िर यूपीएससी, सिविल और टॉप टेन यूनिवर्सिटीज़ में एडमिशन की परीक्षा. कुछ न कुछ छात्र हर परीक्षा में जगह बनाने में कामयाब होते रहे हैं. बेशक इनकी संख्या बेहद कम है. (Hafiz Success Neet Madrasa )

उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों को आधुनिक शिक्षा की तरफ़ मोड़ने की योजना बनाई हुई है. और यहां एनसीईआरटी का सिलेबस अनिवार्य किया है. लेकिन ज़्यादातर मदरसों में उस स्तर की शिक्षा का ढांचा तैयार नहीं हो पा रहा है, जिससे इन परीक्षाओं में छात्रों की संख्या ज़्यादा नज़र आए. जैस कि इस बार नीट में दिखाई दी है.


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