द लीडर। देशभर में श्रद्धालु भक्ति में डूबे हैं. आज शारदीय नवरात्रि का आखिरी दिन है. इस दिन नौ कन्याओं को नौ देवियों के रूप में पूजा जाता है. देश के अधिकतर हिस्सों में पंडाल सजे हैं और पूजा अर्चना की जा रही है. कई जगहों पर सांप्रदायिक सौहार्द भी देखा जा रहा है. सभी लोग भक्ती में सारोबार है. लेकिन इस बीच देश में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिल रही है. ये हमारा भारत देश है और यहां कई धर्मों के लोग रहते है. इसलिए यहां हर त्योहार मिलकर साथ में मनाया जाता है. बता दें कि, जम्मू-कश्मीर में धर्म के नाम पर चल रहे तनाव के बीच जिला हमीरपुर के पटयाऊ गांव में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश की गई है। आजकल नवरात्रों में कन्या पूजन किया जा रहा है। इसमें हिंदू धर्म की परंपराओं के अनुसार घरों में कन्या पूजन किया जाता है।
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महानवमी पर मुस्लिम समुदाय की भी बेटियों का पूजन
लोग अपने ही धर्म की छोटी कन्याओं का पूजन करते हैं, लेकिन ग्राम पंचायत नाल्टी में ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं। नाल्टी पंचायत के गांव पटयाऊ के लोग गांव में बसे एक प्रवासी मुस्लिम परिवार को अपने धार्मिक कार्यक्रमों में ठीक वैसे ही शामिल करते हैं जैसे अन्य समुदाय के लोगों को किया जाता है। नवरात्रों में मंगलवार को सिंपल शर्मा पत्नी शशि पाल के घर में भजन कीर्तन था। भजन कीर्तन के बाद कन्या पूजन किया गया। इसमें मुस्लिम समुदाय की भी बेटियों का पूजन किया गया। इलाके भर के लोग इसकी सराहना कर रहे हैं। आयोजक सिंपल ने कहा कि पड़ोस में ही प्रवासी मुस्लिम समुदाय का परिवार रहता है। उनके घर में कीर्तन था और उसके बाद कन्या पूजन किया गया। इसमें इस परिवार की बेटियों को भी शामिल किया गया।
सभी धर्म के लोगों को प्यार से रहने का मिला संदेश
उन्होंने कहा कि, धर्म कोई भी हो, नवरात्र में हर बच्ची माता रानी का रूप होती है। इंसान ने धर्म बनाए हैं, भगवान ने नहीं। इस परिवार के लोग यहां के लोगों के साथ बहुत की प्रेम भावना के साथ रहते हैं और बहुत सहयोग करते हैं। वहीं, इन बेटियों की माता ऊरन कहती हैं कि, वह उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं की रहने वाली है। 15-16 वर्षों से यहीं रहती हैं. उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटियों के नाम नरगिस, सिमरन, आलिया है और बेटे का नाम आरिश है। पति का नाम समसुदीन है। एक वर्ष पहले बीमार होने पर अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। तब गांव के लोगों ने ही बच्चों को देखा। उन्होंने कहा कि लोग भी सहयोग करते हैं। धर्म से बड़ी इंसानियत होती है। आपस में झगड़ने की बजाय सभी धर्म के लोगों को प्यार से रहना चाहिए।
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मुस्लिम युवक ने दुर्गा पंडालों में श्रद्धालुओं को बांटे फल
इसके साथ ही बताते चले कि, दुर्गा पंडालों में मुस्लिम समाज के लोग किसी न किसी तरह से हिस्सा बने हुए हैं. असम में मुस्लिम युवक दुर्गा पंडालों में पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को फल वितरित कर रहे हैं. असम के सिलचर और काचर में दुर्गा पूजा पंडाल सजे हैं. यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है. इस बीच यहां एक मुस्लिम युवाओं का समूह श्रद्धालुओं को फल वितरित कर रहे हैं. और लोगों को शुभकामनायें दे रहे हैं.
Assam: A group of Muslim youths distributed fruits among devotees at a temple in Silchar, Cachar on the occasion of Durga puja yesterday
"We want to send out a message that Hindu-Muslim unit is intact & divisive forces won't succeed," said Raza Laskar, one of the youths pic.twitter.com/34AOTlR8Rh
— ANI (@ANI) October 14, 2021
फल बांटने वालों में शामिल राजा लश्कर कहते हैं कि हम एकता का संदेश देना चाहते हैं. हम एक हैं. गलत ताकतें हमें अलग नहीं कर सकती हैं. हम इसमें कामयाब नहीं होने देंगे. वहीं, मुस्लिम युवाओं की ये पहल चर्चा का विषय बनी हुई है. कई लोग इसकी तारीफ़ कर रहे हैं.
नवरात्रि का विशेष महत्व
बता दें कि, देश में नवरात्रि का विशेष महत्व है. मान्यता है कि, इस दिन तक आते-आते साधक साध ही लेता है और नौवें रूप में जीवनमुक्तता की अवस्था प्रदान करने वाली ‘मोक्षदा-शक्ति’– माँ सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट होती हैं। समस्त चर-अचर जगत् को संचालित करनेवाली, सर्वविधात्री देवी दुर्गा ‘सिद्धि’ और ‘मोक्ष’ प्रदात्री हैं और ऐश्वर्यप्रदायिनी भी। आश्वस्ति है कि दीनवत्सला दयामयी देवी का आश्रय ग्रहण करने पर इस संसार में कुछ भी अलभ्य नहीं रहता !! चार भुजाओं वाली कमलासना माँ के दाहिनी ओर के नीचे वाले हाथ में खिला हुआ कमल है, जो देखें तो सुषुप्त चक्रों के खुलने का प्रतीक है। इससे पहले के आठ दिनों में साधक अष्टसिद्धि प्राप्त करता है। मार्कण्डेय पुराण में इन अष्ट सिद्धियों का उल्लेख भी मिलता है– अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।
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