द लीडर : लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ी से कुचलकर मार डालने के मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को स्टेट्स रिपोर्ट सौंप दी है. लेकिन कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि, ये रिपोर्ट एक दिन पहले मिल जानी चाहिए थी. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि, हमने रात 1 बजे तक रिपोर्ट का इंतजार किया है. कोर्ट ने यूपी सरकार के अधिवक्ता हरीश साल्वे की ओर से सुनवाई टालने की अपील काे भी ठुकरा दिया. (Lakhimpur Violence Chief Justice)
साल्वे ने सुप्रीमकोर्ट से मामले को शुक्रवार या गुरुवार तक टालने की अपील की थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि नहीं, सुनवाई नहीं टाली जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश ने सरकारी वकील से पूछा-सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दूसरे गवाहों के बयान क्यों नहीं दर्ज किए गए.
इस पर साल्वे ने कोर्ट को बताया कि पहले ये कहा जा रहा था कि स्टेट आरोपियों के साथ नरमी का व्यवहार कर रहा है. अब सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है और वे जेल में हैं. इसमें कुल 10 आरोपी शामिल हैं. अपराध दो तरह के हैं. एक किसानों पर गाड़ी चढ़ाने का और दूसरा पीट-पीटकर हत्या का.
सुप्रीमकोर्ट ने वकील से ये भी पूछा कि मामले में कितने लोग गिरफ्तार हैं. कितने न्यायिक हिरासत में हैं और कितने पुलिस हिरासत में.
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सुप्रीमकोर्ट सरकार की स्टेट्स रिपोर्ट को पढ़ रहा है. और इस मामले की सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर की तारीख तय की गई है.
3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढ़ा दी थी. इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार, ड्राईवर और भाजपा के दो कार्यकर्ता समेत कुल आठ लोग मारे गए थे.
सुप्रीमकोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है. पिछले 8 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी. और घटना के बाद सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर असंतुष्टि जताई थी.
कोर्ट ने यूपी सरकार से स्टेट्स रिपोर्ट मांगी थी. जिसे बुधवार को ही अदालत के समक्ष पेश किया गया. सीजेआइ ने कहा कि इसे एक दिन पहले ही पेश किया जाना चाहिए था.