बांग्लादेश में जानलेवा सांप्रदायिक हिंसा के खिलाफ तनी मुट्ठियां

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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में सांप्रदायिक आग भड़काने वाले और उनसे दो-दो हाथ करने वाले आमने-सामने आ गए हैं। जानलेवा हिंसा में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के कई लोगों की जान जा चुकी है, जिसके खिलाफ आज ढाका में सैकड़ों लोगों प्रदर्शन कर सांप्रदायिक तत्वों पर सख्त कार्रवाई की मांग उठाई। हिंसा में अब तक छह लोगों के मरने और दर्जनों लोगों के घायल होने की सूचना है। (Communal Violence In Bangladesh)

सोमवार को हिंदू समूह इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस के अनुयायियों ने ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के साथ न्याय की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और मुख्य चौराहे शाहबाग चौराहा को जाम कर दिया। विरोध प्रदर्शन में कई अन्य हिंदू समूह भी शामिल हुए।

हिंसा घटनाओं पर संयुक्त राष्ट्र ने भी शेख हसीना सरकार पर समुचित कार्रवाई की अपील की है।

बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर मिया सेप्पो ने सोमवार को एक ट्विटर पोस्ट में कहा कि हिंदुओं पर हमले बांग्लादेश के संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं और इसे रोकने की जरूरत है। (Communal Violence In Bangladesh)

सेप्पो ने कहा, “हम सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की अपील करते हैं।” “हम सभी से सहिष्णु होकर एकजुट होने का आह्वान करते हैं।”

सोमवार को राजधानी शहर में ढाका विश्वविद्यालय के पास विरोध प्रदर्शन करने वालों नारेबाजी कर और तख्ती-बैनर पर लिखकर आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारी पुलिस से हमलावरों की पहचान करने और उन्हें न्याय दिलाने की मांग कर रहे थे।

एक बैनर पर लिखा है, “देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करो।”

हिंसा को बांग्लादेश के गृहमंत्री असदुज्जमां खान ने देश में सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने की पूर्व नियोजित साजिश करार दिया है। जबकि प्रधानमंत्री शेख हसीना भी दंगाई भीड़ को न बख्शे जाने की बात कहकर हिंदू समुदाय की जख्मों पर मरहम रख चुकी हैं। दोनों की प्रमुख चेहरों के बयानों के बाद भी हिंसा और तनाव में कमी नहीं आई है। बल्कि पीएम हसीना के बयान के कुछ घंटे बाद ही नए हमले हो गए। (Communal Violence In Bangladesh)

हिंसा 15 अक्टूबर को शुरू हुई, जब सैकड़ों मुसलमानों ने हिंदू देवता के चरणों में कुरान की वायरल सोशल मीडिया तस्वीर के आधार पर दक्षिणपूर्वी नोआखली जिले में विरोध प्रदर्शन किया।यह वही वक्त था, जब दुर्गा पूजा का 10 दिवसीय त्योहार चल रहा था। विरोध अचानक बेकाबू हिंसक भीड़ में तब्दील होकर दुर्गा पूजा पंडालों पर टूट पड़ा। पंडालों को नष्ट करने की कोशिश के बाद हिंदू समुदाय निशाने पर आ गया। हिंसक भीड़ ने दो को मौत के घाट उतार दिया।

नोआखली के पुलिस प्रमुख मोहम्मद शाहिदुल इस्लाम ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को फोन पर बताया कि, “इस बारे में कुछ भ्रम है कि उनकी मौत गैरकानूनी भीड़ के हमले में हुई या नहीं।” पुलिस मौतों की जांच कर रही है।

“वे (प्रदर्शनकारी) बदमाश थे, हम बस इतना ही कह सकते हैं।”, इस्लाम ने कहा। शाहिदुल इस्लाम ने इससे ज्यादा जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया।

गौरतलब है, पीएम शेख हसीना के हमलावरों को सजा देने के बयान के बाद रविवार की रात उत्तरी क्षेत्र के गांव में हमले हुए।

उत्तरी रंगपुर जिले के मुख्य प्रशासक आसिफ हसन ने सोमवार को कहा कि हमलावरों ने रविवार रात मछुआओं के एक गांव में हिंदुओं के घरों में आग लगा दी। उन्होंने हमले के दौरान नकदी, मवेशी और अन्य कीमती सामान भी लूट लिया। संदेह के आधार पर 42 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। (Communal Violence In Bangladesh)

हिंसा पर काबू पाने में नाकाम रहने पर सोमवार को गृह मंत्रालय ने अशांत इलाकों से सात पुलिस अधिकारियों का तबादला कर दिया।

मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। साल 2009 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी के सत्ता में आने के बाद से बांग्लादेश में अशांति पर काबू नहीं पाया जा सका है। यह उनकी पार्टी के लिए एक चुनौती है, जबकि दो प्रमुख राजनीतिक समूहों में उनके दल को धर्मनिरपेक्ष के रूप में देखा जाता है। बांग्लादेश के स्वतंत्रा संग्राम में इस दल का इतिहास होने से उनका चेहरा सेक्युलर माना जाता है।


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