जानिए कैसे क्रूज ड्रग्स मामले की लड़ाई समीर वानखेड़े के जाति धर्म पर आई ?

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द लीडर। मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में काफी समय बाद शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान समेत तीन लोगों को जमानत मिल गई है. लेकिन अभी भी परेशानियां खत्म नहीं हुई हैं. बता दें कि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन दिन की सुनवाई के बाद गुरुवार को क्रूज पर मादक पदार्थ मामले में आर्यन खान को जमानत दे दी. लेकिन समीर वानखेड़े अभी भी मुश्किलों से घिरे हैं. समीर वानखेड़े NCB यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के ज़ोनल डायरेक्टर हैं. आर्यन खान से पहले भी वो कई फ़िल्मी हस्तियों पर कार्रवाई कर चुके हैं. रिया चक्रवर्ती वाले मामले में भी उनका नाम बहुत चर्चा में था. लेकिन क्रूज ड्रग्स केस मामले की जांच कर रहे समीर वानखेड़े खुद सवालों के घेरे में आ गए. और उनका गंभीर आरोप लग रहे हैं.

बता दें कि, नशीली दवाओं के नेटवर्क का भंडाफोड़ इस चर्चित मामले की प्राथमिकता से बाहर हो चुका है बल्कि जांच का प्रमुख बिंदु यह है कि, आर्यन खान को गिरफ्तार करने वाले जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े हिंदू हैं या फिर मुसलमान. अगर वह मुसलमान हैं और उन्होंने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाई है तो यह बड़ा आरोप है. हालांकि, इससे पहले भारत के संविधान में किए गए प्रावधानों को भी जानना जरूरी होगा. आइए, जानते हैं कि, वानखेड़े पर क्या आरोप है. और क्या दलित मुसलमान को नौकरी में आरक्षण मिलता है ?


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क्या है वानखेड़े पर आरोप 

एनसीपी नेता नवाब मलिक का आरोप है कि, एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पैदाइशी मुसलमान हैं.अपने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके उन्होंने दलित या फिर अनुसूचित जाति का सदस्य बनकर आईआरएस की नौकरी हासिल की है. अपने आरोपों  को साबित करने के लिए नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के निकाह के फोटोग्राफ भी सार्वजनिक किए साथ ही निकाहनामा व समीर वानखेड़े का जन्म प्रमाणपत्र भी साझा किया था. मलिक का आरोप है कि, समीर वानखेड़े के पिता मुस्लिम हैं.

समीर मुसलमान हैं तो समस्या क्या है?

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है. भारत का संविधान भारत में रहने वाले लोगों को धर्म की स्वतंत्रता देता है और धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकारों के रूप में गारंटी भी देता है. कानून के तहत अनुसूचित जाति के लिए सरकारी नौकरी में 15 प्रतिशत आरक्षण है. यह प्रावधान 1950 का है. इसमें दो बार संसोधन किए गए. पहला 1956 में और दूसरा 1990 को. इसके तहत हिंदू, सिख या फिर बौद्ध धर्म को मानने वाले व्यक्ति के अलावा किसी भी व्यक्ति को अनुसूचति जाति का सदस्य नहीं माना जाएगा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश में  इस बात की पुष्टि हुई है कि मुसलमान दलित हैं.

क्या मुसलमानों को भी मिलता है आरक्षण ?

भारत के संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं किया गया है. संविधान जातीय आरक्षण की बात करता है. हालांकि, कुछ राज्यों यहां तक कि केंद्र में भी कुछ सूचियों में मुस्लिम वर्ग को नौकरी में आरक्षण दिया गया है, लेकिन उन्हें यह आरक्षण पिछड़ा या अति पिछड़ा वर्ग के रूप में मिलता है न कि मुसलमान के रूप में. यह बात स्पष्ट है कि, दलित या फिर अनुसूचित जाति के कोटे में कोई भी मुस्लिम आरक्षण का दावा नहीं कर सकता है. नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर ऐसा ही करने का आरोप लगाया है.


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जाति से बाहर शादी, धर्मांतरण मामले में क्या होता है?

सुप्रीम कोर्ट ने 1950 में इस मामले में एक आदेश दिया था. इसमें यह स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि, अगर कोई व्यक्ति आरक्षण का लाभ लेना चाहता है तो उसे एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह जन्म से अनुसूचित जाति से है इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि अंतरजातीय विवाह किसी व्यक्ति की जन्म की जाति की स्थिति को परिवर्तित नहीं कर सकता है. इस विवाह से उत्पन्न संतानों को पिता की जाति का माना जाएगा. अगर मां अनुसूचति जाति की है तो बच्चों को यह साबित करना होगा कि उन्हें एससी सदस्य के रूप में पाला गया है.

क्या होगा अगर समीर वानखेड़े पर साबित हुआ आरोप 

एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर नवाब मलिक के आरोप सही साबित होते हैं तो समीर वानखेड़े को नौकरी से इस्तीफा देना होगा. इतना ही नहीं उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जाएगा, साथ ही वेतन की वसूली भी की जा सकती है.

फिलहाल समीर वानखेड़े के बचाव में उनकी पत्नी क्रांति और परिवार आए हैं. समीर वानखेड़े के धर्म को लेकर छिड़ा विवाद और गहराता जा रहा है. वहीं उनकी पहली पत्नी के पिता ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने दावा किया है कि, समीर अभी भी मुस्लिम रीति-रिवाजों का पालन करते हैं. समीर वानखेड़े की पहली पत्नी डॉक्टर शबाना कुरैशी के पिता डॉक्टर जाएद कुरैशी ने कहा है कि, समीर अभी भी नमाज पढ़ते हैं और रोजा भी रखते हैं.


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समीर की मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुई सगाई 

जानकारी के मुताबिक, समीर की पहली पत्नी के पिता ने कहा कि, मेरी बेटी की शादी एक मुस्लिम परिवार में हुई थी. यह एक अरेंज मैरिज थी. हमने तीन साल की बातचीत के बाद सगाई की. हमने मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार सगाई की और सगाई के 10 महीने के बाद शादी हुई. मैं तबसे ही दाऊद वानखेड़े और उनकी पत्नी को जानता था. वे भी मुस्लिम रीति-रिवाजों का पालन ही करते थे. समीर की पहली पत्नी के पिता ने कहा कि, अगर समीर का परिवार हिंदू होता तो वह अपनी बेटी की शाद कतई न करते.

समीर रमजान के दौरान रोजा भी रखते हैं

कुरैशी ने आगे कहा कि, दाऊद वानखेड़े ने निकाहनामे पर हस्ताक्षर किए और यह उर्दू के साथ-साथ अंग्रेजी में भी लिखा गया था. हर कोई परिवार को मुसलमान के रूप में जानता है. समीर वानखेड़े के ससुर ने आगे कहा कि, समीर की मां एक कट्टर मुस्लिम थीं, जिन्होंने मुसलमानों से संबंधित सभी धार्मिक अनुष्ठान किए. समीर वानखेड़े सभी मुस्लिम रीति-रिवाजों का पालन करते हैं और नमाज पढ़ते हैं, यहां तक कि, रमजान के दौरान रोजा भी रखते हैं. वहीं, उन्होंने कहा कि, श्रीमती वानखेड़े (समीर की मां) एक धर्म को मानने वाली महिला थीं, उनकी मृत्यु के बाद चीजें बदल गईं. वहीं, उन्होंने अपनी बेटी के अलग होने पर कोई टिप्पणी नहीं की.

नवाब मलिक ने समीर का बर्थ सर्टिफिकेट किया था जारी

मालूम हो कि, महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े का बर्थ सर्टिफिकेट जारी करते हुए यह दावा किया था कि, वह मुस्लिम हैं लेकिन फर्जी जाति सर्टिफिकेट बनवाकर नौकरी पाई. हालांकि, वानखेड़े खुद और उनके पिता भी यह कई बार दोहरा चुके हैं कि वे दलित परिवार से हैं और उनकी मां मुस्लिम थीं.


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