कजाकिस्तान: राष्ट्रपति की ‘ठोंको नीति’ में मरे 160 प्रदर्शनकारी, 5000 गिरफ्तार

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मध्य एशिया के सबसे बड़े देश कजाकिस्तान में राष्ट्रपति की ठोंको नीति की वजह से सैन्य बलों की गोली से अब तक 160 प्रदर्शनकारी मारे जा चुके हैं, जबकि 5000 को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य शहर अल्माटी में लौटने के लिए आज एक हद तक शांति दिखाई दी। पुलिस ने कभी-कभी हवा में गोलियां चलाईं जिससे लोगों को केंद्रीय चौक में आने से रोका जा सके। गृह मंत्रालय ने कहा कि अशांति की 125 अलग-अलग जांच के तहत कुल 5135 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। (Kazakhstan 160 Protesters Killed)

कजाकिस्तान में ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए जो राष्ट्रपति के प्रदर्शनकारियों को आतंकवादी कहने पर भड़क गए। हालात बेकाबू होने पर राष्ट्रपति ने रूसी सैन्य गठबंधन की मदद मांगी। भरपूर सैन्य बल आने पर राष्ट्रपति ने बिना चेतावनी प्रदर्शनकारियाें को गोली मारने का हुक्म दे दिया, जिसके बाद हिंसा का एक नया दौर शुरू हो गया।

“गृहमंत्री मंत्री एर्लान तुर्गंबायेव ने कहा, “आज देश के सभी क्षेत्रों में हालात स्थिर हैं, फिर भी, “देश में व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान जारी है”।

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, रविवार को कजाख़ गृह मंत्रालय ने कहा कि शुरुआती अनुमान है कि घातक हिंसा के चलते लगभग 175 मिलियन यूरो (198 मिलियन डॉलर) की संपत्ति का नुकसान हुआ है। मंत्रालय ने प्रदर्शकारियों पर 100 से ज्यादा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों और बैंकों पर हमला कर लूटपाट करने और लगभग 400 वाहन नष्ट कर देने का आरोप लगाया। (Kazakhstan 160 Protesters Killed)

रूस की स्पुतनिक समाचार एजेंसी ने रविवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से कहा कि हिंसक घटनाओं में दो बच्चों सहित कुल 164 लोग मारे गए। कजाकिस्तान के मुख्य शहर अल्माटी में 103 लोग मारे गए, जहां सबसे ज्यादा हिंसा हुई।

लगभग 1 करोड़ 90 लाख आबादी वाले ऊर्जा संपन्न देश कजाकिस्तान में राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव ने अशांति को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारियों को डाकू-आतंकवादी करार देकर शूट-टू-किल का आदेश जारी किया तो देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई। जिसके बाद से हालात अभी पूरी तरह शांत नहीं हैं।

ईंधन कीमतों में वृद्धि ने पश्चिमी प्रांतीय क्षेत्रों में सप्ताहभर पहले अशांति की चिंगारी को सुलगाया, जिसकी आग जल्द बड़े शहरों में पहुंच गई, जिसमें आर्थिक केंद्र अल्माटी शहर भी शामिल था। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच उग्र झड़प से हिंसा फैल गई। देश की आजादी के 30 सालों में पहली बार हिंसा का सबसे घातक मंजर दिखाई दिया, जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी कर दी। (Kazakhstan 160 Protesters Killed)

हालात काबू में न आने पर परेशान राष्ट्रपति टोकायव ने रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (सीएसटीओ) से मदद मांगी, जहां से सैन्य दल तत्काल आ पहुंचा। हालांकि रूस के लिए यह स्थिति यूक्रेन के हालात को देखते हुए तनाव वाली है, क्यों रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन संकट पर रस्साकशी चल रही है।

गौरतलब है, कजाकिस्तान कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। यहां पूर्व नेता नूर सुल्तान नज़रबायेव किसी भी पूर्व सोवियत राज्य के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले शासक रहे, जब तक उन्होंने 2019 में टोकायव को राष्ट्रपति पद नहीं दिया। माना जाता है कि उनके परिवार का व्यापक रूप नूर-सुल्तान शहर में असर बरकरार है, जो उनके नाम पर बनी राजधानी है। (Kazakhstan 160 Protesters Killed)

राष्ट्रपति टोकायव ने बुधवार को देश की सुरक्षा परिषद के प्रमुख के रूप में नज़रबायेव को हटा दिया। कजाकिस्तान के पूर्व खुफिया प्रमुख और दो बार के प्रधानमंत्री करीम मासीमोव को देशद्रोह के संदेह में गिरफ्तार कर लिया गया।

Source: Agencies


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