ये क्या कह गए बाइडेन! अमेरिका में गोरों के वर्चस्व की जंग आतंकवाद जैसी है!

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वॉशिंगटन

बात तो सही है कि जब बहुसंख्यक अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत से भर दिए जाएं और कुछ सिरफिरे पागलों की तरह हत्याएं क़रने तक उतर जाएं तो ये भी आतंकवाद ही है। देश की संसद निशाने पर आ जाय तो खतरा साफ दिखता है। राजनीति में वोट की खातिर बहुसंख्यकों के साथ खड़े होने वालों को निशाने पर लेते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन इसी तरह की बडी बात कह गए और अब विपक्ष के निशाने पर हैं।
दरअसल अपने प्रशासन के 100 दिन पूरे होने के बाद कांग्रेस में दिए गए पहले भाषण में ही राष्ट्रपति जो बाइडेन ने श्वेत वर्चस्व की तुलना आतंकवाद से कर डाली। बाइडन ने कहा कि श्वेत वर्चस्व की भावना घरेलू आतंकवाद है जिसके खिलाफ अमेरिका को चौकन्ना रहना होगा। जनवरी में कैपिटल हिल पर हुए हमले को जो बाइडन ने अस्तित्व का संकट करार दिया। उन्होंने कहा कि इस हमले ने हमारी लोकतंत्र की परीक्षा ली।
जो बाइडन ने कहा कि आज जब हम यहां एकत्रित हुए हैं तो कैपिटल पर हमला करने, हमारे लोकतंत्र की छवि बिगाड़ने वाली हिंसक भीड़ की तस्वीरें हमारे दिमाग में ताजा हो गई हैं। लोगों की जान गई। यह एक ऐसी परीक्षा थी कि क्या हमारा लोकतंत्र खतरे में था। वह बचा रहा। इस घटना के समय भी जो बाइडन ने इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप को जिम्मेदार बताया था।
शुरू से ही बाइडन की राजनीति में अश्वेत अहम रहे हैं। जब 1972 में जो बाइडन पहली बार डेलावेयर से सीनेटर चुने गए तब भी उनको जीत दिलाने में वहां के अश्वेत लोगों का बड़ा योगदान था। अमेरिका में इन लोगों को पारंपरिक रूप से बाइडन की डेमोक्रेटिक पार्टी का कोर वोटर माना जाता है। 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से डोनाल्ड ट्रंप जहां व्हाइट सुप्रीमैसी की बात कर रहे थे, वहीं बाइडन अश्वेतों की। यही कारण रहा कि चुनाव में अश्वेतों ने खुलकर बाइडन को वोट दिया।
अमेरिका में श्वेतों और अश्वेतों के बीच लड़ाई काफी पुरानी है। पिछले साल जब मिनियापोलिस में पुलिस ने जॉर्ज फ्लायड नाम के एक अश्वेत को अपने घुटनों से दबाकर मार दिया तो इसकी पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। लगभग 15 दिनों तक अमेरिका का हर शहर इस आग से झुलसता रहा। ब्लैक लाइव्स मैटर के नाम से चलाए गया यह आंदोलन इतना हिंसक हो गया कि तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को वाइट हाउस के बंकर में शरण लेनी पड़ी थी।
2020 में गोरे और काले के विवाद ने इतना उद्र रूप धारण किया। खुद को लीडर ऑफ द फ्री वर्ल्ड कहने वाले अमेरिका में लंबे समय तक अफ्रीकी मूल के लोगों को गुलाम की तरह रखा गया। अमेरिका में सिविल राइट्स के जनक अब्राहम लिंकन और मॉर्टिन लूथर किंग जूनियर के प्रयासों से काले लोगों को बराबरी का दर्जा मिला। लेकिन, वर्तमान स्थिति देखते हुए यह नहीं लगता कि मार्टिन लूथर किंग का सपना पूरा हुआ है। ट्रम्प की हार के बाद हुई कुछ हिंसक घटनाएं बता रही हैं कि गोरों के मन में कालों के प्रति ही नहीं एशिया मूल के गोरों के खिलाफ भी नफरत बढ़ी है। जो बाइडेन का इस तरह मुखर होना इस आग को भड़का भी सकता है।

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