‘कब्र में पैर लटकने लगे’ तो इजरायल ने दी फिलिस्तीनियों को यह पहचान

0
414

इज़राइल ने गाजा के हजारों फिलिस्तीनियों को निवासी होने का पहचानपत्र जारी करके राहत दी है। गाजा में फिलिस्तीनी इस खुशी को पाकर झूम उठे हैं। खुशी के आंसुओं से आंखें भर आईं। देखते ही देखते नागरिक मामलों के प्राधिकरण पर कतारें लग गई हैं, जो उन्हें राष्ट्रीय आईडी और पासपोर्ट आवेदन की मंजूरी देगा। जबकि यह खबर मिलने के बाद बहुत से लोग इसलिए गमगीन हैं कि उनका नाम सूची में नहीं है। यह राहत इतनी देरी से मिली कि हजाराें की जिंदगी खत्म हो गई और तमाम लोग उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं। (Israel Recognizes Palestinians Citizens)

25 साल पहले फिलिस्तीनी क्षेत्र में लौटने के बाद से खादर अल-नज्जर गाजा पट्टी छोड़ने में असमर्थ रहे हैं, यहां तक कि रीढ़ की बीमारी का इलाज कराने बाहर नहीं जा सके, न ही पिछले साल अपनी मां के इंतकाल पर आखिरी बार चेहरा देखने जा सके। वजह? इज़राइल ने फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण एक राष्ट्रीय आईडी जारी करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।

2007 में जब फिलीस्तीनी प्रतिरोध समूह हमास ने गाजा पर कब्जा कर लिया, तब इजरायल और मिस्र ने सजा बतौर नाकाबंदी लागू कर यहां के लोगों को दूसरी जगह जाना लगभग नामुमकिन बना दिया था। हाल ही में इज़राइल ने 45 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनियों की जिंदगी पर दशकों से कायम नियंत्रण को बनाए रखते हुए तनाव को कम करने को कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा में हजारों फिलिस्तीनियों के निवास को मंजूरी दे दी है।

62 वर्षीय अल-नजर नेने वेस्ट बैंक छोड़ने का परमिट हासिल करने की नामकायाब कोशिशों के सिलसिले को एक भयानक ख्वाब की तरह सुनाया। हालांकि, अब वह गाजा में 3200 से ज्यादा उन फिलिस्तीनियों में शामिल हैं, जिन्हें जल्द एक राष्ट्रीय पहचान पत्र मिल जाएगा। (Israel Recognizes Palestinians Citizens)

अल-नजर के दूर के एक रिश्तेदार ने 2008 में लीबिया से गाजा लौटने की कोशिश की, लेकिन मिस्र ने उन्हें मना कर दिया क्योंकि उनके पास राष्ट्रीय पहचान पत्र नहीं था। तब वह मिस्र की सीमा पर तस्करी की सुरंगों के जरिए घुस आए, जो बड़े पैमाने पर नष्ट हो चुकी हैं। उन्होंने भी आईडी के लिए आवेदन किया है, लेकिन यह नहीं जानते कि आईडी मिलेगी या नहीं।

उन्होंने कहा, मिस्र में मेरी बहनें हैं, जिनसे मैं मिलना चाहता हूं। मैं 60 साल का हो चुका हूं, मौत की दहलीज पर खड़ा हूं, क्या पता मुझे आईडी कब मिलेगी?

इजरायली रक्षामंत्री बेनी गैंट्ज़ और फ़िलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के बीच हालिया बैठकों के बाद इज़राइल ने 13 हजार 500 फिलिस्तीनियों को निवास पहचान देने पर सहमति दी। एक दशक से भी ज्यादा समय पहले शांति वार्ता टूटने के बाद यह पहली बातचीत थी।

इज़राइल की मौजूदा हुकूमत, जिसमें फिलिस्तीनी राज्य का समर्थन और विरोध करने वाली पार्टियां शामिल हैं, ने संघर्ष के समाधान के लिए किसी भी बड़ी पहल से इनकार किया है, लेकिन कहा है कि वह विवादित क्षेत्र में रहने की स्थिति में सुधार करना चाहती हैं। वे हमास के बलों को खदेड़ने के भी पक्षधर हैं, जो वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों को नियंत्रित कर इजरायली सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देते हैं। (Israel Recognizes Palestinians Citizens)

अब्बास के साथ बैठक के बाद एक बयान में, गैंट्ज़ ने आर्थिक और नागरिक क्षेत्रों में भराेसा कायम करने के रास्तों को तैयार करने का वादा किया।

जिन फिलिस्तीनियों को राष्ट्रीय पहचानपत्र मिल जाएगा, उनको दूसरे देश की यात्रा करना आसान हो जाएगा, लेकिन नाकाबंदी से जुड़े नौकरशाही चक्रव्यूह की बाधाओं को फिर भी पार करना पड़ेगा।

इज़राइल का कहना है कि हमास को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबंधों की जरूरत है, जबकि मानवाधिकार समूह नाकाबंदी को गाजा के 20 लाख फिलिस्तीनियों के लिए सामूहिक सजा के तौर पर देखते हैं।

इज़राइल अभी भी फिलिस्तीनी जनसंख्या रजिस्ट्री, नामों और आईडी नंबरों के कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस को नियंत्रित करता है। यही वजह है कि फिलिस्तीनी और ज्यादातर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर में गाजा कब्जे वाला हिस्सा है। जहां दसियों हज़ार फ़िलिस्तीनी लोगों के पास रिहायश के कानूनी कागजात नहीं हैं, जिसके कारण अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं या यहां तक कि वेस्ट बैंक में फैली हुई इज़राइली सैन्य चौकियों को भी पार करना मुमकिन नहीं है। यहां ज्यादातर ऐसे लोग हैं जो विदेश में रहने के बाद लौटकर आए, लेकिन इज़राइल ने उन्हें नागरिक पहचान देने से इनकार कर दिया।

हमास द्वारा संचालित गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी अहद हमदा का कहना है कि अकेले गाजा में 30 हजार से ज्यादा ऐसे निवासी हैं, जिनकी कोई राष्ट्रीय पहचान नहीं है। इजरायल से चार पर जंग लड़ चुके हमास ने मई में अब्बास-गेंट्ज़ की बैठकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे फिलिस्तीनी लोगों की राष्ट्रीय भावना से विचलित हैं।

रेजिडेंसी का मुद्दा दरअसल 1967 का है, जब इज़राइल ने पड़ोसी अरब राज्यों के साथ युद्ध में पूर्वी यरुशलम, वेस्ट बैंक और गाजा पर कब्जा कर लिया था। फ़िलिस्तीनी चाहते हैं कि इन तीन क्षेत्रों को मिलाकर अपना देश कायम करें।

इज़राइल ने युद्ध के तीन महीने बाद एक जनगणना की और केवल फिलीस्तीनियों को पंजीकृत किया, जो हकीकत में मौजूद थे। इज़राइल ने बाद में कुछ लोगों को बिना कानूनी स्थिति के आगंतुक परमिट पर कुछ लोगों को परिवार से मिलने की अनुमति दी। (Israel Recognizes Palestinians Citizens)

1990 के दशक में ओस्लो समझौते के बाद तमाम फ़िलिस्तीनी लौट आए और परमिट अवधि खत्म हो गई। उम्मीद की जा रही है कि उनकी स्थिति को अंतिम शांति समझौते में हल किया जाएगा, जो कभी भी अमल में नहीं आया। साल 2000 में इजरायली शासन के खिलाफ दूसरे इंतिफादा के बाद बाहर की आवाजाही बंद हो गई।

जरूर पढ़ें: फिलिस्तीनी इस तरह करते हैं इस्राइली शासकों से मुकाबला

फिलिस्तीनियों को गाजा से वेस्ट बैंक जाने से पर भी काफी हद तक प्रतिबंधित कर दिया गया। नई स्वीकृति उन 2800 फिलिस्तीनियों को वेस्ट बैंक की निवास पहचान देती है, जो 2007 से पहले गाजा से चले गए थे और जिन्हें निर्वासन का खतरा था।

फिलिस्तीन स्वतंत्रता आंदोलन की वकालत करने वाले इजरायली मानवाधिकार समूह गिशा का कहना है कि इजरायल निवास पहचान को सद्भावना के रूप में जाहिर कर रहा है, जबकि वह ऐसा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बाध्य है।

गिशा के प्रवक्ता मिरियम मार्मुर ने कहा, कुछ मायनों में यह एक बेहतर शुरुआत है, लेकिन पूरी समस्या फिलिस्तीनियों के क्षेत्र में इजरायल की सख्त नीतियों के कारण पैदा हुई है। इस वजह से हजारों ऐसे लोग हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं है और लाखों लोग परमिट व्यवस्था के अधीन हैं।

अल-नजर, जो गाजा जाने से पहले जॉर्डन में रहते थे। इस महीने उन्हें, उनकी पत्नी और उनके चार बच्चों को निवास पहचान दी गई। उन्होंने कहा, अल्लाह का शुक्र है, अब मेरे पास पासपोर्ट है और जॉर्डन में अपनी बहनों और परिजनों से मिलने जा सकता हूं। (Israel Recognizes Palestinians Citizens)

दूसरे देश में पैदा हुए फिलिस्तीनी, जिनकी शादियां इन क्षेत्रों में हुई हैं, वे भी इसी पहचान के तहत आएंगे।

तारिक हमदा ने कहा कि वह फिलिस्तीनी पत्नी के निवास पहचान का इंतजार कर रहे हैं, जो 1997 में कुवैत से गाजा चली गई थीं। उन्होंने कहा कि उसने मक्का में हज के लिए ताउम्र ख्वाब देखा, लेकिन इन मुश्किलों के चलते वहां जाने में असमर्थ रही।


यह भी पढ़ें: कैसे 2500 साल में बना यहूदी देश इस्राइल, जिसने फिलिस्तीन निगल लिया


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here