लखनऊ : पुलिस का इकबाल बुलंद रखने की शपथ लेने वाले भारतीय पुलिस सेवा (IPS)के एक अधिकारी आज खुद ही पुलिस से छिपते फिर रहे हैं. ये अफसर हैं अरविंद सेन, जो फिलहाल डीआइजी के पद से निलंबित चल रहे हैं. करीब नौ करोड़ रुपये के एक घोटाले में आरोपी हैं. इनकी धरपकड़ के लिए ईनामी राशि 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है.
उत्तर प्रदेश पशुपालन विभाग में 292 करोड़ रुपये के एक फर्जी टेंडर में सेन फंसे हैं. मध्यप्रदेश के इंदौरी निवासी कारोबारी मंजीत सिंह भाटिया ने 13 जून 2020 को लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक एफआइआर दर्ज कराई थी. इसमें आरोप लगाया था कि गेहूं, दाल, चीनी, आटा आदि की सप्लाई का टेंडर दिलाने के नाम उनसे 9.72 करोड़ रुपये ठगी की गई है.
जबिक हकीकत में विभाग की ओर ऐसा कोई टेंडर निकाला ही नहीं गया. शुरुआत में हजरतगंज पुलिस ने मामले की जांच की. बाद में ये प्रकरण एसटीएफ के हवाले कर दिया गया.
मंत्री के प्रधान सचिव समेत 9 को जेल
करीब छह महीने तक चली जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में पशुपालन राज्य मंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव समेत 10 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी. करीब 10 हजार पन्नों की इस चार्जशीट में सरकारी गाडियों तक के उपयोग की बात सामने आई थी. बहरहाल, अब तक एसटीएफ नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.
कोर्ट में हाजिर न होने पर भगौड़ा करार दिये गए सेन
एंटी करप्शन कोर्ट में हाजिर न होने पर अरविंद सेन को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है. कोर्ट में उपस्थित न होने की स्थिति में उनकी संपत्ति कुर्क किए जाने के आदेश भी जारी हो चुके हैं. इसी मामले में अब सेन के लखनऊ और अयोध्या स्थित आवास पर नोटिस चस्पा किए गए हैं.
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हाईप्रोफाइल रैकेट ने रची साजिश
इस घोटाले की साजिश अधिकारी-कर्मचारियों के इस हाई प्रोफाइल रैकेट ने रची. इसमें पशुधन राज्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे रजनीश दीक्षित, धीरज कुमार, कथित पत्रकार एके राजीव आदि शामिल थे. बहरहाल, अब अरविंद सेन पर शिकंजा कसा जाने लगा है. संभावना जताई जा रही है कि वे जल्द ही आत्मसमर्पण कर देंगे या पुलिस गिरफ्तार कर लेगी.
2003 बैच के अफसर हैं सेन
उत्तर प्रदेश पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक अरविंद सेन 2003 बैच के आइपीएस अफसर हैं. मूलरूप से फैजाबाद, अब अयोध्या के निवासी सेन ने एलएलबी के साथ एमए की डिग्री ली है.