भारत-यूएई ने समग्र कारोबार समझौता पर किए हस्ताक्षर : आगे सहयोग बढ़ाने का खाका पेश किया गया, जानें विजन दस्तावेज की बड़ी बातें ?

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द लीडर। भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कारोबारी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिये शुक्रवार को समग्र आर्थिक गठजोड़ समझौता (सीईपीए) पर हस्ताक्षर किये और आपसी सहयोग बढ़ाने के लिये भविष्य का खाका पेश किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबू धाबी के युवराज एवं यूएई के सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच डिजिटल माध्यम से हुई बैठक के बाद यह समझौता हुआ।

कारोबारी समझौते पर किए गए हस्ताक्षर

कारोबारी समझौते पर भारत की ओर से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और यूएई के आर्थिक मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मारी ने हस्ताक्षर किये। डिजिटल माध्यम से हुई बैठक में मोदी और अल नाहयान ने संयुक्त दृष्टि पत्र जारी किया जिसका शीर्षक भारत और यएई समग्र सामरिक गठजोड में प्रगति नये मोर्चे, नया मील का पत्थर है।


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आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, यह बयान भारत और यूएई के बीच भविष्योन्मुखी गठजोड़ का खाका तैयार करता है और प्रमुख क्षेत्रों एवं परिणामों की पहचान करता है। इसमें कहा गया है कि, सीईपीए विस्तारित बाजार पहुंच और कम शुल्क समय दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार के लिए काफी सहायक होगा।

पीएम मोदी ने कही ये बात ?

ऐसी उम्मीद की जाती है कि, सीईपीए से अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार वर्तमान 60 अरब डालर से बढ़कर 100 अरब डालर हो सकता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, मुझे बहुत प्रसन्नता है कि दोनों देश आज समग्र आर्थिक गठजोड़ समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं यह उल्लेखनीय है कि, इतने महत्वपूर्ण समझौते पर हम 3 महीने से भी कम समय में बातचीत संपन्न कर पाए।

सामान्य तौर पर इस प्रकार के समझौते के लिए वर्षों लग जाते हैं उन्होंने कहा कि, यह समझौता दोनों देशों की गहरी मित्रता, साझा दृष्टिकोण और विश्वास को दर्शाता है। मुझे विश्वास है कि, इससे हमारे आर्थिक संबंधों में एक नया युग आरम्भ होगा। मोदी ने उम्मीद जतायी कि, इससे दोनों देशों का व्यापार अगले पांच वर्षों में 60 अरब डॉलर से बढ़कर 100 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा।

दोनों देशों में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिलेगा

प्रधानमंत्री ने कहा, हम संयुक्त अन्वेषण और संयुक्त वित्त पोषण के माध्यम से दोनों देशों में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि, इसी प्रकार, हमारे लोगों के कौशल विकास के लिए हम आधुनिक उत्कृष्ठता संस्थान पर भी सहयोग कर सकते हैं।

मोदी ने कहा कि, पिछले महीने जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल की सफल यूएई यात्रा के बाद अमीरात की कई कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर में निवेश करने में रूचि दिखाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे यूएई द्वारा जम्मू-कश्मीर में लाजिस्टिक, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य समेत सभी क्षेत्रों में निवेश का स्वागत करते हैं। अल नाहयान के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, हमारे संबंधों को मजबूत करने में आपकी व्यक्तिगत भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।

भारत और यूएई समग्र सामरिक गठजोड़ में प्रगति

नये मोर्चे, नया मील का पत्थर है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि, यह बयान भारत और यूएई के बीच भविष्योन्मुखी गठजोड़ का खाका तैयार करता है और प्रमुख क्षेत्रों एवं परिणामों की पहचान करता है। इसमें कहा गया है कि सीईपीए विस्तारित बाजार पहुंच और कम शुल्क सहित दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार के लिये काफी सहायक होगा।


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ऐसी उम्मीद की जाती है कि सीईपीए से अगले पांच वर्षो में द्विपक्षीय कारोबार वर्तमान 60 अरब डालर से बढ़कर 100 अरब डालर हो सकता है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मुझे बहुत प्रसन्नता है कि दोनों देश आज समग्र आर्थिक गठजोड़ समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।

जानिए विजन दस्तावेज की बड़ी बातें ?

1- रक्षा और सुरक्षा

दोनों देश समुद्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएंगे. हर तरह के आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करेंगे.

2- आर्थिक सहयोग

भारत और यूएई के बीच हुआ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय कारोबार को 60 अरब डॉलर से बढ़ाकर अगले 5 सालों में 100 अरब डॉलर तक बढ़ा देगा.

यूएई की कंपनियों और उनके साथ बनने वाले संयुक्त उपक्रमों के लिए एक खास निवेश जोन स्थापित किया जाएगा. इसमें फूड कॉरिडोर बनाने पर जोर होगा. यूएई के जबेल अली फ्री ट्रेड जोन में एक अलग इंडिया मार्ट भी बनाया जाएगा. भारतीय निवेशकों के लिए अबू धाबी में उन्नत औद्योगिक तकनीक के क्षेत्र में अवसर दिए जाएंगे. इसमें विशेष जोर होगा फार्मास्यूटिकल, चिकित्सा उपकरण, कृषि, लॉजिस्टिक व सेवाएं, स्टील और एल्यूमीनियम आदि.

3- ऊर्जा सहयोग

भारत के तेल आयात का करीब एक तिहाई हिस्सा सप्लाई करने वाला यूएई किफायती दामों और अबाध आपूर्ति बनाए रखने में मदद करेगा. साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए नए संसाधनों के विकास पर भी दोनों देश सहयोग करेंगे.

4- जलवायु परिवर्तन और गैर-पारंपरिक संसाधन

दोनों देश मिलकर हाइड्रोजन टास्क फोर्स बनाएंगे और ईंधन के लिए हरित हाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाएंगे.

5- नई तकनीकी

दोनों देश मिलकर अत्यावश्यक भुगतान तकनीकों पर सहयोग बढ़ाएंगे. साथ ही एक-दूसरे के स्टार्ट अप को प्रोत्साहित करेंगे.

6- शिक्षा सहयोग

भारत की मदद से यूएई में एक आईआईटी की स्थापना की जाएगी.

7- कौशल सहयोग

भारत औऱ यूएई कौशल विकास के क्षेत्र में भी हाथ मिलाएंगे ताकि बाजार की बदलती जरूरतों और भविष्य के कामकाज के लिहाज से मानव संसाधन विकसित हो सके.

8- खाद्य सुरक्षा

दोनों देश खाद्यान्न उत्पादन और आपूर्ति में सहयोग करेंगे. इसमें खेतों से लेकर बंदरगाह और यूएई के बाजारों तक मजबूत श्रृंखला विकसित की जाएगी.

9-स्वास्थ्य सुरक्षा

भारत और यूएई ने टीकों पर शोध, उत्पादन और भरोसेमंद सप्लाई चेन पर मिलकर काम करने का फैसला किया है. इसके लिए यूएई निवेश भी करेगा.

10- सांस्कृतिक सहयोग

भारत और यूएई के बीच सांस्कृतिक परियोजनाओं, प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर जोर दिया जाएगा.


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