द लीडर | महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को कहा कि भारत को श्रीलंका के मौजूदा हालात से सबक लेना चाहिए, क्योंकि देश ‘उसी राह पर आगे बढ़ रहा है’ जिस रास्ते पर पड़ोसी देश है. श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. इससे कुछ घंटों पहले उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था. इसके बाद देश में कर्फ्यू लगाना पड़ा और राजधानी में सेना तैनात कर दी गई है.
#WATCH | Srinagar, J&K: If our country continues to slap sedition charges on students, activists, journalists…our situation will become worse than Sri Lanka…Hoping BJP learns a lesson from Sri Lanka & stops communal tensions, majoritarianism: PDF chief Mehbooba Mufti pic.twitter.com/REI6xJpIp9
— ANI (@ANI) May 11, 2022
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इस हमले के बाद राजपक्षे के समर्थक नेताओं के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने ट्वीट किया, “श्रीलंका में जो कुछ भी हुआ उससे सबक लेना चाहिए. वर्ष 2014 से भारत को सांप्रदायिक भय की ओर धकेला जा रहा है. यह उसी अतिराष्ट्रवाद और धार्मिक बहुसंख्यकवाद के रास्ते पर जा रहा है. सामाजिक तानेबाने और आर्थिक सुरक्षा को इसकी कीमत चुकानी होगी.”
बुलडोजर से घर गिराने का संज्ञान ले न्यायपालिका-महबूबा
महबूबा ने कहा, ‘देश में यदि छात्रों, एक्टिविस्टों एवं पत्रकारों के खिलाफ यदि राजद्रोह के आरोप लगते रहेंगे तो हमारी स्थिति श्रीलंका से भी बदतर हो जाएगी. मुझे उम्मीद है कि भाजपा श्रीलंका के हालातों से सबक लेगी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने से बाज आएगी.’ उन्होंने कहा, ‘अल्पसंख्यकों पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं, वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उनके घरों को बुलडोजर से गिराया जा रहा है. न्यायपालिका इस तरह की घटनाओं का स्वत: संज्ञान नहीं ले रही है.’
सुप्रीम कोर्ट में हुई राजद्रोह केस की सुनवाई
बता दें कि राजद्रोह को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि इस कानून को एक दिन में खत्म नहीं किया जा सकता लेकिन सरकार को इस पर दोबारा से विचार करना चाहिए. साथ ही अदालत ने राज्यों से कहा कि वे 124ए के तहत नए केस दर्ज न करें.