अजमेर में ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह पर आला हज़रत का सलाम पढ़ने पर रज़वियों से मारपीट

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Dargah Ala Hazrat PFI Ban

The Leader. तनाज़े को टालने की कोशिशें तो बहुत हुईं लेकिन जिस बात का अंदेशा हज़रत ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स से पहले जताया जा रहा था, वही हुआ. क़ुल से पहले जब ख़्वाजा की दरगाह में भारी भीड़ पहुंच चुकी थी, रज़वी हज़रात ने आला हज़रत का सलाम पढ़ा और नारे लगाए. कुछ वीडियो में ताजुश्शरिया के नारे लगाए जाने की आवाज़ भी सुनी जा रही है. द लीडर हिंदी को मिली जानकारी के मुताबिक़ ऐसा ख़्वाजा की दरगाह स्थित जन्नती दरवाज़े के पीछे वीआइपी गेट और शाहजहांनी मस्जिद के पास हुआ है. वीडियो में धक्का-मुक्की और मारपीट होते साफ दिख रही है.


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आला हज़रत का सलाम और नारों के बीच वहां ख़ुद्दाम पुलिस के साथ पहुंचते हैं और रोकने की कोशिश पर धक्कामुक्की शुरू होे जाती है. दरगाह परिसर में अफ़रातफ़री का माहौल दिखने लगता है. इस माहौल को टालने के लिए ही नबीर-ए-आला हज़रत मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान अपनी टीम के साथ अजमेर गए थे और वहां सय्यद ज़दगान उर्स कमेटी ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के सेक्रेट्री सय्यद सरवर चिश्ती और दीगर ज़िम्मेदारान से बात की थी. तय हुआ थी कि दरगाह परिसर के अंदर आला हज़रत का सलाम सलाम नहीं पढ़ा जाएगा. वहां जो पहले से ही जिस सलाम को पढ़ने की परंपरा चली आ रही है, सब वही पढ़ेंगे लेकिन क़ुल के एक दिन पहले ऐसा नहीं हुआ और टकराव की नौबत आ गई.


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इस बात को महसूस करते हुए एक दिन पहले आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती मुहम्मद अहसन रज़ा क़ादरी ने भी अपील जारी की थी कि ख़्वाजा हिंद के बादशाह हैं. आला हज़रत और ख़ानदान के बुज़ुर्ग उनकी दरगाह पर बहुत ही अदब और एहतराम के साथ फ़क़ीराना अंदाज़ में हाज़िरी देते आए हैं. लिहाज़ा ऐसा ही करना चाहिए लेकिन अब जब अजमेर में बदअमनी पैदा हुई तो सभी फिक्रमंद हैं. दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी अहसन मियां ने कहा कि ख़्वाजा के अक़ीदतमंदों और दरगाह के ख़ादिमों के बीच जो टकराव व बदसुलूकी की गई, उससे आस्ताना-ए-ग़रीब नवाज़ और मस्जिद की जो बेहुरमती हुई, यह बहुत अफ़सोसनाक और क़ाबिले मज़म्मत है. किसी को भी कानून अपने हाथ मे लेने का हक़ नही और न ही मारपीट किसी मसले का हल है. दूसरी तरफ़ आइएमसी के प्रवक्ता डॉ. नफ़ीस ख़ान ने कहा है कि इसके लिए वो लोग ज़िम्मेदार हैं, जो मौलाना तौक़ीर रज़ा ख़ान के समझौता कराने की मुख़ालफ़त करके ज़ायरीन को भड़काने का काम करते रहे.


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