गिरीश मालवीय-
रेलवे कहती है कि हम विभिन्न रूट पर चलने वाली 500 ट्रेन बंद करने पर विचार कर रहे हैं, क्योंकि उन रूट पर चलने वाली ट्रेनो में टिकट दूसरी ट्रेनों की तुलना मे टिकट 30-40 प्रतिशत तक कम बिकते हैं, यानी यात्री कम हैं।
यह तर्क भी मान लिया जाए तो फिर आप मुंबई अहमदाबाद लाइन पर बुलेट ट्रेन चलाने के विचार को भी छोड़ दीजिए, क्योंकि इस रुट की ट्रेनों में भी 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं। दरअसल यह जानकारी एक आरटीआई आवेदन के जरिए सामने आई थी 2017 में मुंबई के कार्यकर्ता अनिल गलगली को मिले आरटीआई के जवाब में।
पश्चिम रेलवे ने कहा था कि इस क्षेत्र की ट्रेनों में 40 फीसदी सीटें खाली रहती हैं और इससे पश्चिम रेलवे को भारी नुकसान हो रहा है। इस रूट पर पिछले तीन महीनों में 30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, यानी हर महीने रेलवे को 10 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है।
आरटीआई में भारतीय रेलवे ने यह भी स्वीकार किया था कि इस क्षेत्र में उसकी कोई नई ट्रेन चलाने की योजना नहीं है, क्योंकि यह पहले ही घाटे में है।
मुंबई अहमदाबाद रूट पर हवाई सुविधा की बात की जाए तो साप्ताहिक रूप से इस रूट पर 135 फ़्लाइट उपलब्ध रहती हैं, जिसका किराया 3300 के लगभग है और लगभग महीनेभर पूर्व टिकट बुक कराने पर यह किराया और भी कम लगभग ( 1500/-) हो जाता है।
हवाई यात्रा में लगने वाला समय भी मात्र 1 घंटा 10 मिनट है। इसकी तुलना में बुलेट ट्रेन यदि अपने निर्धारित स्टॉपेज पर रुकती है तो उसका समय किसी भी परिस्थिति में 3 घंटे से कम नहीं होगा।
बुलेट ट्रेन का प्रतिव्यक्ति किराया भी 3000 के आसपास ही होगा, यानी शुरुआत में कुछ दिन तो भीड़ होगी, लेकिन बाद में कोई मूर्ख ही होगा जो बुलेट ट्रेन में बैठकर मुंबई-अहमदाबाद जाएगा।
अगर यही होना है तो बुलेट ट्रेन के लिए देश के हजारों करोड़ रुपये बहुमूल्य श्रम और समय क्यों बर्बाद किया जा रहा है?
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)