खुर्शीद अहमद
हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने बड़े बेटे हजरत इस्माईल को मक्का में आबाद किया. और छोटे बेटे हजरत इश्हाक को फलस्तीन में. फिर आज का फिलिस्तीन अरबों का कैसे हो गया ? फिलिस्तीन हजरत इश्हाक की संतान इजराइलियों का होना चाहिए.
यह वो सवाल है जो अक्सर खड़ा किया जाता है. और मुसलमानों की ओर से आम तौर पर यह जवाब दिया जाता है कि यहां से इजराइली निकल गए थे. और ईसाई आबाद थे. अरबों ने उन पर विजय प्राप्त की और 1400 वर्षों से यहां आबाद हैं. इसलिए यह उनका वतन हैॅ.
लेकिन क्या सच में फिलिस्तीन देश में अरब अरब सिर्फ चौदह सौ वर्षों से ही आबाद हैं? जब हजरत इब्राहीम अपने बेटे इश्हाक को यहां लेकर आए और आबाद हुए. क्या उससे पहले यह गैर आबाद देश था या आबादी थी? अगर आबादी थी तो वह कौन लोग थे और अब कहां हैं?
पवित्र तौरेत व बाइबल में फिलिस्तीन को कनआन या किनआन लोगों की जमीन कहा गया है. जब हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम यहां आकर आबाद हुए. उस समय यहां किनआन कौम आबाद थी. हजरत इब्राहीम ने उनसे जमीन खरीदी और रहने लगे. जिस जगह उन्होंने रहना शुरू किया. आज वहां शहर आबाद है. जिसका नाम अल खलील है, जो अल कुद्स या येरुशलम के करीब है. अल खलील शहर में ही उनकी क़ब्र है.
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ये किनआन कौम के लोग कौन थे और अब कहां हैं? कनआन अरब के पुराने कबीले अमालिका की एक ब्रांच थी. अमालिक़ा बहुत बहादुर कबीला था. इसमें लोग लंबे तगड़े होते थे. इनका असल क्षेत्र दक्षिण यमन था. वहां से यह लोग निकल कर आसपास के देशों में फैल गए. अरब इतिहासकार मसऊदी के अनुसार मिस्र के फिरऔन व इराक़ के नमरूद का संबंध भी अमालिका से था.
आमालिका की एक शाखा कनआन, यमन से निकलकर भूमध्यसागरीय तटों पर आबाद हो गई. यह लोग लेबनान व फिलिस्तीन में आबाद हुए. थोड़े बहुत कनआनी सीरिया व जार्डन के कुछ इलाकों में भी बस गए.
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हज़रत इब्राहीम के बेटे हज़रत इश्हाक. फिर उनके बेटे हजरत याकूब हुए. हजरत याकूब का ही नाम इसराइल (इजराइल) भी था. उनके बारह बेटे थे. उनमें एक बेटे हज़रत यूसुफ़ भी थे. जिनकी कहानी कुरान में है. वह मिस्र देश में मंत्री बन गए. और फिर पूरा खानदान फिलिस्तीन छोड़कर मिस्र में आबाद हो गया.
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शुरुआत में इजराइली बड़े सुकून के सािा मिस्र में रहते थे. खूब फले-फूले. लेकिन बाद में इन्हें फिरऔन ने गुलाम बना लिया. और ये कई शताब्दियों तक गुलाम रहे. उसके बाद हजरत मूसा ने इन्हें फिरऔन से छुटकारा दिलाया और मिस्र से निकाल लाए.
हज़रत मूसा इन्हें मिस्र से लेकर फिलिस्तीन आए. उस समय भी यहां किनआनी लोग आबाद थे. जो बहुत ताकतवर थे. इसीलिए कुरान में उन्हें कौम ए जब्बार यानी जबरदस्त कौम कहा गया है. किनआनी बादशाह जालूत को हज़रत दाऊद ने कत्ल कर दिया और इसराइली लोगों का राज्य स्थापित किया. पहले खुद बादशाह हुए. बाद में उनके बेटे हज़रत सुलेमान बादशाह बने. और बहुत शानदार हुकुमत चलाई. एक बहुत बड़ा इबादत घर बनाया जिसे हैकल सुलेमानी कहा जाता था.
उसके बाद यहां हज़रत ईसा पैदा हुए. यहूदियों ने उनका विरोध किया. और अपनी जानकारी में उन्हें फांसी दे दी. हज़रत ईसा के 90 वर्ष बाद यहां रोमन साम्राज्य ने हमला किया. और इसराइली लोगों से सत्ता छीन ली. हैकल सुलेमानी को गिराकर जमीन बराबर कर दी. रोमन साम्राज्य ने इनसे हज़रत ईसा पर किए ज़ुल्म का चुन-चुन कर बदला लिया.
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फिर इसलाम आया. हज़रत उमर के जमाने में फिलिस्तीन मुसलमानों के कब्जे में आ गया. और वहां के रहने वाले किनआनी लोग मुसलमान हो गए. इससे आप को पता चल गया होगा कि इजराइलियों के जन्म लेने से पहले भी यहां अरब थे. और आज भी हैं. इजराइली यहां आते-जाते रहे हैं. जबकि अरब सत्ता में रहे या सत्ता से बाहर. वह देश को छोड़ कर नहीं गए. न ही भविष्य में जाएंगे.
आज के फलस्तीनी चाहे बहुसंख्यक मुस्लिम हों या अल्पसंख्यक ईसाई ज्यादातर किनआनी लोगों के वंशज हैं. बाद में इनमें अरब के दूसरे लोग भी मिल गए हैं. यह फिलिस्तीन में अरबों की तारीख है. एक बात जान लेना जरूरी है कि हर अरबवासी हजरत इस्माईल की संतान नहीं है. एक सभ्यता, एक धर्म और आपसी रिश्तेदारियों के चलते सब को इस्माइल के वंशज के रूप में समझ लिया जाता है.