#SaveLakshadweep: कैसे हुआ 96 फीसद मुस्लिम आबादी वाले लक्ष्यद्वीप का भारत में विलय, यह है पूरा किस्सा

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निशांत देव चंदन पासवान-

लक्ष्यद्वीप देश में एक ऐसा मुद्दा हो गया है कि इसके वजूद को बचाने के लिए समुद्र के अंदर तक प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि यहां के गवर्नर प्रफुल्ल पटेल ने जो नए कायदे यहां के लिए तय किए हैं, वे जनजातीय समुदाय के लिए ही नहीं, यहां के प्राकृतिक संसाधनों को भी नष्ट कर सकते हैं। दरअसल, भारत के बाकी हिस्सों में रह रहे लोग ‘लक्ष्य द्वीप’ को एक हद तक नक्शे की बुनियाद पर ही जानती है, न कि वहां के इतिहास को। भारत में इस द्वीपों से बनी धरती का विलय खासा दिलचस्प है।

लक्ष्य द्वीप का मतलब पहले समझिए। ‘लक्ष्य’ का अर्थ होता है ‘लाख’ और ‘लक्ष्य द्वीप’ का अर्थ हुआ ‘लाखों द्वीपों का समूह’। आज का ‘लक्ष्य द्वीप’ सैकड़ों छोटे-बड़े द्वीपों का समूह है। अतीत में यहां लाखों द्वीप हुआ करते थे या फिर उन्हीं सैकड़ों को लाखों माना जाता होगा।

जलवायु परिवर्तन के कारण वहां के बहुत से द्वीप समंदर में समा गए। ऐसा होता ही रहता है। जलवायु परिवर्तन के कारण समंदर में नए द्वीप उभरते हैं और मिट भी जाते हैं, यह घटनाचक्र धरती बनने से ही होता आ रहा है।

याद कीजिए, वर्ष 1990 में भारत और बांग्लादेश के बीच एक द्वीप उभर आया था ‘न्यू मूर द्वीप’। फिर दोनों देशों में इस द्वीप पर कब्जे के लिए विवाद हो गया। भारत कहता ‘यह मेरा द्वीप है’ और बांग्लादेश ने कहा ‘मेरा’। ‘मेरा-मेरा’ का विवाद चरम पर पहुंच गया था कि वर्ष 2001 में यह द्वीप अचानक समंदर में समा गया और द्वीप के गायब होने से विवाद भी समाप्त हो गया।

पाकिस्तान बनने पर जब भारत का विभाजन हुआ था तो भारत की जमीन के साथ द्वीपों का भी बंटवारा हुआ था। मगर यह तय नहीं हुआ कि द्वीपों का बंटवारा कैसे किया जाए, कौन सा द्वीप किसके हिस्से आएगा।

तरीका इतना ही था कि जो द्वीप भारत के नजदीक हो वह भारत का और जो पाकिस्तान के नजदीक हो वो पाकिस्तान का होगा। सुनने में यह जितना साधारण और आसान लगता है, यह मामला उतना आसान था नहीं।

अंडमान निकोबार और लक्ष द्वीप, दोनों बंगाल की खाड़ी में हैं और उस समय आज का ‘बंगलादेश’ ‘पूर्वी पाकिस्तान’ था। अंडमान निकोबार और लक्ष्य द्वीप पर भारत और पूर्वी पाकिस्तान की सीमाएं थीं, लिहाजा तो दोनों ने दावा ठोंक दिया।

मामला बिगड़ा ‘अंडमान निकोबार’ में। भारत ने कहा, ”हम अंडमान की थोड़ी जमीन भी पाकिस्तान को नहीं देंगे, क्योंकि अंडमान से भारत के आजादी के संघर्ष की कहानी जुड़ी है। यहां की सेल्युलर जेल में भारत के वीर सपूत कैद रहे हैं, भारत इसे कैसे भूल सकता है, भारत इसका बंटवारा नहीं करेगा, इसके लिए युद्ध लड़ना पड़े तो भारत युद्ध लड़ेगा”। ऐसा तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल ने पूरी ताकत के साथ कहा था।

युद्ध का नाम सुनते ही पाकिस्तान अपना पैर वापस खींच लिया और ‘अंडमान निकोबार’ भारत का हो गया।

अंडमान निकोबार पर सरदार पटेल ने भारत का झंडा फहरा दिया और तुरंत दक्षिण महासागर में तैनात नौसेना को आदेश दिया कि तुरंत ‘लक्ष्य द्वीप’ पर भारत का झंडा फहराए। यह अंदेशा था कि कहीं पाकिस्तान पहले न पहुंच गया हो।

गृहमंत्री का आदेश मिलते ही नौसेना का एक जहाज लक्ष्य द्वीप रवाना हो गया, उसके पीछे और दो जहाज और भेजे गए।

सेना जब लक्ष्य द्वीप पहुंची तो वहां के लोग सैनिकों को देख आश्चर्य चकित होकर देखने लगे। यह लोग कौन है?, कहां से आए हैं?, इनके कपड़े कैसे हैं?, यह लोग तो हमारी तरह नहीं दिखते? जैसे सवाल उनके मन में आए।

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गौर करने की बात यह है कि लक्ष्य दीप के लोग ‘मुस्लिम बहुसंख्यक’ हैं, 96 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी। वे कब से मुस्लिम हैं, इसकी सटीक जानकारी संभवत: भारत, बांग्लादेश सरकार के पास भी नहीं है।

कयास यह लगाया जाता है कि ‘केरल’ के नजदीक होने के कारण केरल से मुस्लिम धर्म गुरु वहां जाया करते थे और उन्ही के संपर्क में आने से लक्ष्य द्वीप के जनजातीय समुदाय मुस्लिम बने। मगर उनका विकास नहीं हुआ। आधुनिक सभ्यता से वे आज भी सदियों पीछे जी रहे हैं।

उन पर राज करने वाले किसी नवाब, ब्रिटिश या फ्रांसीसी शासकों ने भी उनको उनके हाल पर छोड़े रखा। उनकी सदियों पुरानी अपनी भाषा-बोली है। तमिलों के संपर्क में आने से दूसरी भाषा तमिल है।

शायद यही वजह थी कि वे भारतीय सेना को देख आश्चर्य में थे कि ये लोग किस दुनिया के हैं? जब सेना वहां पहुंची तो वहां के लोगों ने जो सवाल किए, वे उनकी स्थिति को समझाते हैं।

आप लोग कौन हो?

सेना के अधिकारी ने जवाब दिया, ‘हम भारत की सेना हैं’…

यह भारत की सेना क्या होता है!

इस सवाल पर सारे सैनिक एक-दूसरे का मुंह देखने लगे, फिर सोच कर जवाब दिया, ‘हम भारत के रक्षक हैं’…

यह भारत कौन है!

फिर सभी एक-दूसरे को देखने लगते हैं, फिर एक सैनिक कहता है, ‘भारत एक देश है’…

यह देश क्या होता है!

सैनिकों ने एक-दूसरे को फिर देखा और आपस में कहा “इन लोगों से बात करने, समझाने में समय बर्बाद करना है और भारत का झंडा निकाला और जमीन खोद कर बांस को गाड़ने लगा झंडा फहराने के लिए”…..

फिर सवाल आया, यह क्या कर रहे हो?, झंडे के तरफ इशारा कर पूछा, यह क्या है?

एक सैनिक ने कहा, यह भारत का झंडा है

यह झंडा क्या होता है!

सैनिकों ने एक दूसरे से कहा, इन लोगों से बात करने में समय बर्बाद मत करो और चुपचाप झंडा फहराओ। इस तरह ‘लक्ष्य द्वीप’  पर भारत का झंडा फहरा दिया गया।

लगभग आधे घंटे के अंदर उधर पाकिस्तानी नौसेना का जहाज आया, मगर 2-3 किलोमीटर दूर से ही भारत का झंडा देख वापस चला गया। इस तरह बिना विवाद के ही मुस्लिम बहुल्य ‘लक्ष्य द्वीप’ भारत का हो गया।

‘लक्ष्य द्वीप’ के भारत विलय की यही कहानी है। भारत सरकार के रिकॉर्ड में यही बातें लिखी हुई हैं, जो वहां गए हुए नौसेना के अधिकारियों ने बताया था।

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लक्ष्य द्वीप का भारत विलय होते ही भारत ने सभी द्वीपों पर रहने वाले जनजातियों को विशेष अधिकार दिए, संवैधानिक अधिकार दिए। संविधान ने जनजातियों को अनुच्छेद-5 के तहत जितने विशेष अधिकार दे रखे हैं, वे सभी अधिकार लक्ष्य द्वीप पर सदियों से बसने वाले जनजातियों के लिए भी हैं।

मौजूदा गवर्नर का हुक्म उन अधिकारों का अतिक्रमण और जनजातीय अधिकारों को समाप्त करना है। कारपोरेट कंपनियों के लिए वहां की प्राकृतिक संपदा के दोहन को रास्ता खोलना है, जिससे जनजातीय समूहों को बेदलख किया जा सके, जो सदियों से वहां की प्रकृति के रक्षक रहे हैं। उनका मुस्लिम होना सिर्फ एक बहाना है, जिससे सांप्रदायिक विचार वालों को संतोष मिल सकता है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, यह उनकी निजी जानकारी है)

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