लैलतुल क़द्र पर हाथ से लिखे क़ुरान का तोहफ़ा, दुनियाभर में बंटेंगी 1000 प्रतियां

0
660

रमज़ान में जहां यह माना जाता है कि क़ुरान इसी माह नाज़िल हुआ, ठीक उसी महीने में लैलतुल कद्र के मौके पर तुर्की ने हाथ से लिखे क़ुरान का तोहफ़ा दिया है। इसकी 1000 प्रतियां दुनियाभर की मशहूर मस्जिदों, पुस्तकालयों के साथ-साथ प्रमुख मौलवियों और मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्षों को भी भेजी जाएंगी। (Quran Gift Lailatul Qadr)

हाथ से लिखे कुरान का तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन ने गणमान्य व्यक्तियों के साथ बुधवार को इस्तांबुल में ग्रैंड अमलिका मस्जिद में अनावरण किया, जिसे “मुशफ” के रूप में जाना जाता है। उस शहर के नाम पर जहां यह लिखा गया।

इस्तांबुल मुशफ एक भुला दी गई परंपरा है, जिसे पुनर्जीवित किया गया है। इस परंपरा में इस्लाम की पवित्र पुस्तक की हस्तलिखित प्रतियों को सजाना होता है। मुशफ की शुरूआत के लिए चुना गया दिन लैलत अल-क़द्र रखा गया, जो इस्लामी पवित्र रात है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह दिन “एक हजार महीनों से भी ज्यादा खास है”।

यह भी पढ़ें: रमज़ान में भुगतान: तुर्की में ज़कात जैसा यह रिवाज़ निभा रहे मालदार

एर्दोआन कुरान को हस्तलिखित करने के सात साल की कोशिश के सरपरस्त थे, जिसमें 18 वीं शताब्दी में फीकी पड़ी “नक्काशी” परंपरा को जिंदा किया गया। यह नक्काशी शाही डिजाइन है, जो ओटोमन महलों के हिस्से थे या महल के पास होती थी। चित्रकारों से लेकर पत्थर तराशने वालों तक ने कुरान के कवर और पृष्ठों को डिजाइन करने में अपनी विशेषज्ञता और कारीगरी को इसमें जोड़ा है। (Quran Gift Lailatul Qadr)

मुशफ में 66 विशेषज्ञों की एक टीम ने लिखित और डिज़ाइन किए गए 10 खंड शामिल किए हैं, जिसमें तुर्की प्रेसीडेंसी के संस्कृति व कला पुरस्कार से नवाजे जा चुके मशहूर सुलेखक हुसेन कुटलू ने सुनहरे अक्षरों को दर्ज किया और बुकबाइंडिंग भी खास तरीके से कराई गई है।

टीम ने इस्लामी सभ्यता कला उद्यान में इस प्रोजेक्ट के लिए वर्कशॉल लगाकर कड़ी मेहनत की। यह उद्यान इस्तांबुल के पास कनलीका में ऐसी जगह है जो इस्लामी साहित्य में चित्रित फूलों का बगीचा है। यहां पर टीम ने मुशफ की स्याही से लेकर कागज तक तैयार किया। (Quran Gift Lailatul Qadr)

इस हस्तलिखित कुरान में प्राचीन इस्लामी सभ्यताओं, प्रारंभिक तुर्क युग से लेकर मामलुक सल्तनत, स्पेन के मूर्स तक, प्रारंभिक सुलेख और पुस्तक डिजाइन में इस्तेमाल की जाने वाली कलाओं को भी समाहित किया गया है।

हाथ से लिखे पवित्र कुरान में खलीफा उस्मान के दौर में संकलित आयतों को हूबहू उतारा गया है, लेकिन इस कृति ने इस्लामी कला की दौलत भी भरपूर जगह देकर ऐतिहासिक काम कर दिया है। पुस्तक के कवर से लेकर पृष्ठों के ऊपर, जहां सूरा (अध्याय) का नाम है, हर जगह इस्लामी कला और सभ्यता का निशान दर्ज किया गया है।


यह भी पढ़ें: तुर्की ने 7 अफ्रीकी देशों को दान कीं 21000 कुरान, ऐसे फैला था कभी इस्लाम


(आप हमें फ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं)