द लीडर। ज्ञानवापी मस्जिद श्रृंगार गौरी मामले में फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा गया है. मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई के बाद फिलहाल सर्वे का काम जारी रहेगा.
हालांकि आयुक्त वकील पर फैसला आना बाकी है लेकिन फिलहाल अजय मिश्रा सर्वे करेंगे. राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास समेत पांच महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त तौर से सिविल कोर्ट में याचिका दायर की थी.
ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में फैसला सुरक्षित
वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को शाम 4 बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे का काम शुरू किया गया था. सर्वे के बाद दोनों पक्ष बाहर निकले तो एक-दूसरे पर आरोप लगाए थे.
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वादी पक्ष के अधिवक्ताओं का कहना था कि, उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश नहीं करने दिया गया. वहीं, प्रतिवादी पक्ष का कहना था कि मस्जिद की दीवारों को अंगुली से कुरेदने की कोशिश की गई. हिंदू पक्षकारों का कहना है कि पहले यहां मंदिर हुआ करता था.
अगली सुनवाई 9 जून को रखी गई
ज्ञानवापी मस्ज़िद श्रृंगार गौरी मामले में वकील कमीश्नर बदलने को लेकर कोर्ट में अगली सुनवाई 9 जून को रखी गई है. शनिवार को प्रतिवादी पक्ष सर्वे करने वाले वकील और कमीश्नर बदले जाने को लेकर मुस्लिम पक्ष कोर्ट में गया था. वहीं, अब अगली सुनवाई तक कमीशन की कार्रवाई जारी रहेगी.
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में कोर्ट कमिश्नर बदलने के लिए प्रतिवादी पक्ष ने प्रार्थना पत्र दिया है. वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर प्रतिवादी पक्ष ने आज 7 मई को सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में मौजूदा कोर्ट कमिश्नर को हटा कर उनके स्थान पर दूसरे के नियुक्ति करने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया है.
हिंदू पक्षकारों का ये है दावा
हिंदू पक्षकारों का दावा है कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है. यहां बजरंग बली की मूर्ति है, साथ ही अंदर गणेश जी की भी मूर्ति है. इसके अलावा दावा ये किया जा रहा है कि असली शिवलिंग ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में छिपा है. जबकि अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद के सदस्य किसी प्राचीन कुएं और उसमें शिवलिंग के छिपे होने की धारणा को भी नकारते हैं.
जानिए क्या बोले असदुद्दीन ओवैसी ?
उधर, AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वे के फैसले को एंटी मुस्लिम हिंसा का रास्ता खोलने वाला करार दिया है. बता दें कि राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने 18 अगस्त 2021 को संयुक्त तौर से सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि, काशी विश्वनाथ धाम-ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाए.
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि, बीजेपी नफरत की राजनीति करती है. साथ ही ओवैसी ने कहा कि, पीएम मोदी को इस मसले पर बोलना चाहिए.
‘1990 के माहौल को पैदा करना चाहती है बीजेपी’
ज्ञानवापी मस्जिद पर ओवैसी ने कहा कि, साजिश तो नकवी की पार्टी कर रही है. उनकी सरकार को कोर्ट को 1991 के ससंद के फैसले के बारे में बताना चाहिए था. लेकिन आप नफरत की राजनीति करते हैं. इसलिए खामोश हैं. इस मसले को बीजेपी तूल दे रही है. वो दोबारा 1990 के माहौल को पैदा करना चाहते हैं. प्रधानमंत्री को बोलना चाहिए. निचली कोर्ट का फैसला गलत है.
मंदिरों-मस्जिदों के बाहर लगाइए कैमरे
मस्जिदों के बाहर कैमरे लगाने के अपने बयान पर औवेसी ने कहा कि, पूरे भारत के मुसलमानों और मंदिरों से भी अपील है कि जो भी जुलूस निकले अच्छे कैमरे लगाइए, क्योंकि पुलिस अंधी है. हर गलती मुसलमान करता है! इसके अलावा ओवैसी ने हैदराबाद हत्याकांड को लेकर कहा कि, मीडिया मुझे नहीं बता सकता कि कब बोलना है, मीडिया मोदी के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता.
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