द लीडर। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले को लेकर बयानबाजी का दौर लगातार जारी है. एक बार फिर ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मामले पर ट्वीट किया और संघ पर कटाक्ष किया.
उन्होंने अपने ट्विटर वॉल पर एनवाई टाइम्स की एक खबर का लिंक पेस्ट किया और लिखा कि, संघी जीनियस पूछ रहे हैं कि, बिना बिजली के फव्वारा कैसे था? इसे ग्रेविटी कहा जाता है… संभवत: दुनिया का सबसे पुराना फव्वारा 2700 साल पुराना है जो उस वक्त भी चालू था. प्राचीन रोमन और यूनानियों के पास बहुत पहले से ही फव्वारे थे.
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Sanghi geniuses are asking “how was there a fountain without electricity?”
It’s called GRAVITY (https://t.co/wQ1ItqEo2l)
Possibly the oldest functioning fountain in the world is 2700 years old
Ancient Romans & Greeks had fountains dating to 1st & 6th century BC 1/2 pic.twitter.com/ipR6SCG0s8
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 21, 2022
मैं ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण से आहत हूं- ओवैसी
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी कह चुके हैं कि वह ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण से आहत हैं और 1991 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी की गई है.
हैदराबाद लोकसभा सीट से सांसद ओवैसी ने कहा कि, वह ज्ञानवापी मस्जिद मुद्दे पर बोलना जारी रखेंगे क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नहीं डरते हैं.
ज्ञानवापी कयामत तक मस्जिद ही रहेगी
कुछ दिन पूर्व वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्ष के दावे के बीच ओवैसी ने कहा था कि, अब दोबारा कोई मस्जिद नहीं खोएंगे और ज्ञानवापी कयामत तक मस्जिद ही रहेगी. ओवैसी ने अपने एक ट्वीट में गुजरात में की गई सभा का एक वीडियो टैग किया.
इसमें उन्होंने कहा कि, जब मैं 20-21 साल का था तब बाबरी मस्जिद को मुझसे छीन लिया गया. अब हम 19-20 साल के बच्चों की आंखों के सामने दोबारा मस्जिद को नहीं खोएंगे, इंशा अल्लाह.
फव्वारा पर चर्चा जोरों से
गौरतलब है कि, वाराणसी की एक स्थानीय अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर किये गये सर्वे में गत सोमवार को वजू खाने को सील करके वहां किसी के भी जाने पर पाबंदी लगा दी है.
हालांकि, मुस्लिम पक्ष शिवलिंग मिलने के दावे को गलत ठहरा रहा है. उसका कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजू खाने के अंदर फव्वारा लगाये जाने की परंपरा रही है. उसी का एक पत्थर आज सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है.
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