मुसलमानों के ख़िलाफ नफ़रत फैलाने पर नरसिंहानंद का माफ़ी वाला वीडियो वायरल

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Yati Narsinghanand Apoloty Hatred Muslims
उत्तराखंड की धर्म संसद में नरसिंहानंद सरस्वती. फाइल फोटो

द लीडर : गाज़ियाबाद, डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती जो इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ नफ़रती एजेंडा चला रहे थे. इस्लाम को मिटाने का दम भरते हुए मुसलमानों के क़त्लेआम का आह्वान कर रहे थे. एक नए वीडियो में उनके सुर बदले नज़र आ रहे हैं. जिसमें यति ने यति अपनी पिछली करतूत के लिए माफ़ी मांगते हुए सार्वजनिक जीवन से अलग होने का प्रण लेते देखे जा रहे हैं. ये वीडियो बड़ी तेजी के साथ सर्कुलेट हो रहा है. लेकिन सवाल ये है कि क्या यति को अपने किये पर कोई पछतावा है. क्या उन्होंने आत्मग्लानि की वजह से माफ़ी मांगी है. तो इसका जवाब है शायद नहीं. (Yati Narsinghanand Apoloty Hatred Muslims)

यति नरसिंहानंद सरस्वती का माफी वाला ये वीडियो ध्यान से सुनिए. और समझिए क्या कि उन्हें अपने किये पर पछतावा है या फिर जो माहौल वो बनाना चाहते थे उसमें वैसा समर्थन न मिलने पाने पर इस्लाम विरोध रुख बदलने का फ़ैसला लिया है.

दरअसल, यति नरसिंहानंद अपने हमख़्याल मित्र वसीम रिज़वी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को लेकर आह्त हैं. क्योंकि उत्तराखंड की धर्म संसद, जहां भारत के मुसलमानों के सामूहिक नरसंहार का आह्वान किया गया था. उस मामले में वसीम रिज़वी दो दिन पहले ही ज़मानत पर रिहा हुए हैं. ये पहला मौका है, जब रिज़वी मुस्लिम समुदाय और उनकी भावनाओं को चोट पहुंचाने के किसी केस में इतने लंबे समय तक जेल में रहा है. और यति नरसिंहानंद इसके लिए ख़ुद को कसूरवार मानते हैं.


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खैर देखना ये भी है कि अब नरसिंहानंद कितने समय तक नफ़रत का ज़हर न फ़ैलाने की मेहरबानी करते हैं. अगर वाकई में उन्होंने इस्लाम विरोधी अपने रवैये को छोड़ने का फ़ैसला किया है, जिसके लिए वो माफी भी मांगते देखे जा रहे हैं, तो समाज के लिए ये अच्छा ही होगा. (Yati Narsinghanand Apoloty Hatred Muslims)

इसलिए भी क्योंकि हाल में उन्होंने समाज में जो नफ़रत का ज़हर फैलाने का काम किया है, और मुसलमानों के बहिष्कार, नरसंहार की प्रतिज्ञाएं दिलाईं. वो देश को हिंसा की आग में झोंकने वाली हरकतें थीं.

नरसिंहानंद ने अपनी सोच की एक ऐसी भीड़ तैयार की, जो इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ हर स्तर तक जाने की हुंकार भरने लगी थी. और कई जगहों के पर इसके रिएक्शन भी देखने को मिले हैं. (Yati Narsinghanand Apoloty Hatred Muslims)

मुसलमानों से नफ़रत की बुनियाद पर खड़े होकर उन्होंने भाजपा से जुड़ी महिला नेताओं को भी नहीं बख़्शा और उनके लिए बेहद घटिया दर्जे की सोच और बातें बोलीं. यहां ये जान लेना ज़रूरी है कि इसी एक घटना के बाद से ही नरसिंहानंद के ईद-गिर्द बंदिशें शुरू हुईं. और बाद धर्म संसद मामले में उनकी गिरफ़्तारी भी हुई थी. बाद में वो ज़मानत पर बाहर आए गए थे.

लेकिन उनके प्रिय वसीम रिज़वी से जितेंद्र नारायण बनने मित्र महीनें तक जेल में रहे. और अब उन्हें ख़राब सेहत के आधार पर ज़मानत मिली है. तो वो नरसिंहानंद से बिना मिले ही अपने किसी ग़ुमनाम ठिकाने में हैं. ज़मानत के बाद न रिज़वी का कोई बयान है न ख़बर.

बहरहाल, नरसिंहान ने अपने सार्वजनिक जीवन से सन्यास लेते हुए कहा कि अब वह सिर्फ सनातन और गीता का प्रचार करेंगे. इस्लाम या मुसलमानों के ख़िलाफ कोई बयानबाजी-पंचायत या संसद नहीं करेंगे.


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