द लीडर : मॉडल स्टेट-गुजरात, पुलिस हिरासत (Custodial Death) के मामले में भी रिकॉर्ड बनाए है. दो साल के दरम्यान गुजरात में 157 लोग हिरासत में मारे गए हैं. साल 2019 में 70 और 2020 में 87 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई. हालिया घटनाक्रम कासिम हयात की मौत से जुड़ा है. वह गोधरा-बी डिविजन थाने में मारे गए हैं. परिवार ने पुलिस पर कासिम की हत्या का आरोप लगाया है. जबकि पुलिस उनकी मौत को खुदकुशी बता रही है. (Qasim Hayat Custodial Death)
पुलिस हिरासत में कासिम की मौत ने पूरे देश का ध्यान खींचा है. उनकी मौत के साथ ही ट्वीटर पर जस्टिस फॉर कासिम की मुहिम छिड़ी है. जमीयत उलमा-ए-हिंद से लेकर एक्टिविस्ट, छात्र और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स कासिम मौत मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उठा रहे हैं.
कासिम हयात मीट बिक्रेता थे. बीते मंगलवार को पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया था. और अगले दिन थाने से उनकी लाश मिली. परिवार ने बॉडी लेने से इनकार कर दिया था. हालांकि बाद में शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस कप्तान लीना पाटिल ने कहा कि इस मामले की न्यायिक जांच की जा रही है. इसमें हरसंभव सहयोग किया जाएगा.
इसे भी पढ़ें –मदीना में सिनेमाघर खोलने से नाराज भारत के मुसलमान, 23 को मुंबई में रजा एकेडमी का प्रोटेस्ट
कांग्रेस के अलावा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मिस्लिमीन भी कस्टोडियल डेथ के मुद्दे पर गुजरात सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है. एआइएमआइएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का अगले सप्ताह गुजरात दौरा प्रस्तावित है. वह कासिम की मौत के मामले को प्रमुखता से उठा सकते हैं.
इसी साल मार्च में पुलिस हिरासत में मौत को लेकर कांग्रेस विधायक निरंजन पटेल द्वारा प्रश्नकाल में उठाए एक सवाल के जवाब में सरकार लिखित जवाब में बताया था कि दो साल में 157 लोग मारे गए हैं.
सरकार ने कस्टोडियल डेथ को लेकर पुलिसकर्मियों पर की गई कार्रवाई का भी ब्योरा दिया था. ये कहते हुए कि इन घटनाओं में एक इंस्पेक्टर, दो सब-इंस्पेक्टर, दो सहायक उप-निरीक्षक और चार कांस्टेबल समेत कुल नौ पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया. और पांच अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए.
https://twitter.com/shuja_2006/status/1439471247990034434?s=20
मेहसाणा जोनल ऑब्जर्वेशन होम के एक पुलिस निरीक्षक, एक उप-निरीक्षक, सात आरक्षक और तीन कर्मचारियों के खिलाफ आइपीसी की धारा-302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया. सूरत में हिरासत में एक मौत के पीड़ित परिजनों को 2.50 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया है.
इसके बावजूद पुलिस हिरासत में मौतों का सिलसिला बना है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में 2020-2021 में पुलिस लॉकअप में 15 लोग मारे चुके हैं. मार्च से सितंबर तक ये आंकड़ा और बढ़ा है.
जबकि इसी अंतराल में पूरे देश में 86 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई है. इससे आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता कि पूरे भारत की अपेक्षा अकेले गुजरात में पुलिस कस्टडी में मौत की क्या रफ्तार है. (Qasim Hayat Custodial Death)