ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी ने छात्रों से पूछा हिंदुत्व से जुड़ा सवाल… सोशल मीडिया में मचा बवाल, जानिए पूरा मामला ?

0
437

द लीडर। बुल्डोजर के बाद देश में एक और नया मामला सुर्खियों में आ गया है। ये मामला छात्र-छात्राओं से पूछे एक सवाल को लेकर है। जिसका विरोध अब शुरू हो गया है। ग्रेटर नोएडा की शारदा यूनिवर्सिटी में अंतर विभागीय परीक्षा पोलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट ने बीए के छात्र-छात्राओं से हिंदुत्व से जुड़ा एक सवाल पूछा। जिस पर अब सोशल मीडिया में बवाल मच गया है।

कुछ ही देर में यह मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। इसके बाद शारदा यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस प्रकरण में तीन सदस्यी कमेटी गठित कर जांच के आदेश दिए है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में अंतर विभागीय परीक्षाएं चल रही हैं। इन्हें मिड टर्म एग्जामिनेशन कहा जाता है।


यह भी पढ़ें: यूपी में प्रसपा का पुनर्गठन : शिवपाल सिंह यादव ने 9 प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों की जारी की सूची

 

पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट ने बीए के छात्र-छात्राओं से पॉलिटिकल आइडियोलॉजी विषय प्रश्न पत्र में क्या आप हिंदू राइट विंग (हिंदुत्व), फासिज्म और नासिज्म में समानता पाते हैं? तर्क के साथ समझाइए। यह सवाल प्रश्न पत्र में पूछा।

हिंदूवादी संगठन और समर्थक कर रहे विरोध

यह सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और ट्रेंड करने लगा। सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठन और समर्थक विश्वविद्यालय का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि शारदा विश्वविद्यालय हिंदी विरोधी मानसिकता का प्रचार प्रसार कर रही है। हिंदुत्व को नाजीवाद और फासीवाद जैसा बताकर छात्रों गलत शिक्षा दी जा रही है।

इस मामले में विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि, शारदा यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में हिंदुत्व को नाजीवाद और फासीवाद की तरह पढ़ाया जा रहा है। यहीं वजह है कि, परीक्षा में इस तरह का प्रश्न छात्र-छात्राओं से पूछा गया है। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम की जांच होनी चाहिए। इस पर शिक्षा मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार को और केंद्र सरकार को तत्काल संज्ञान लेना चाहिए। शारदा यूनिवर्सिटी के शिक्षक और मैनेजमेंट हिंदुत्व विचारधारा के विरोधी हैं।

यूनिवर्सिटी ने मामले में जांच बैठाई

शारदा यूनिवर्सिटी ने इस पूरे मामले को लेकर जांच बैठा दी है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अजीत सिंह ने कहा,कि पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट के बीए पाठ्यक्रम की आंतरिक परीक्षा में यह सवाल पूछा गया है। पॉलीटिकल आईडियोलॉजी सब्जेक्ट के प्रश्न पत्र में यह प्रश्न शामिल था। जिस पर आपत्ति हुई है। इसका विश्वविद्यालय प्रशासन ने संज्ञान लिया है।

यह सवाल किस तरह प्रश्न पत्र में शामिल हुआ और क्यों शामिल किया गया? इसकी जांच करने के लिए 3 सदस्यों की एक समिति बना दी गई है। यह उच्च स्तरीय समिति है। जिसमें विश्वविद्यालय के पूर्व उपकुलपति को भी शामिल किया गया है। जल्दी ही रिपोर्ट आ जाएगी।

प्रश्नपत्र बनाने वाली फैकल्टी सस्पेंड

खबर लिखे जाने तक इस मामले में नोएडा स्थित शारदा यूनिवर्सिटी के प्रश्न पत्र में हिंदूवादियों की तुलना फासीवादी और नाजीवादी से करने पर उठे विरोध के बाद बड़ा एक्शन हुआ है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने प्रश्नपत्र बनाने वाली फैकल्टी को सस्पेंड कर दिया है।

प्रश्नपत्र के लिए लोगों से माफी भी मांगी

शारदा यूनिवर्सिटी ने यह एक्शन 6 मई 2022 (शुक्रवार) को लिया। साथ ही विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट ने उस प्रश्नपत्र के लिए लोगों से माफ़ी भी माँगी है। हालाँकि प्रश्नपत्र बनाने वाले का नाम अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।

अपने ट्वीट में यूनिवर्सिटी ने आगे कहा कि, विश्वविद्यालय प्रशासन हर उस लाइन से कोई इत्तेफाक नहीं रखती जो किसी भी राष्ट्रीय पहचान या संस्कृति के विरोध में हो। हम भारत के सच्चे और स्वर्णिम रूप को दिखाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस विवादित पेपर के पांचवें नंबर पर सवाल किया गया था कि धर्मान्तरण के मूल कारण क्या हैं? वहीं, छठे नंबर पर पूछा गया था – ”क्या आपको नाजीवादी, फासीवादी और हिंदुत्व में कोई समानता दिखती है?” प्रश्न पत्र में दोनों सवालों को विस्तार से बताने के लिए कहा गया था।

रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। रजिस्ट्रार ने अपने बयान में कहा कि मैं पूरी तरह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय में किसी भी तरह किसी विचारधारा का विरोध नहीं किया जा रहा है। छात्र-छात्राओं को ऐसा कोई पाठ्यक्रम नहीं पढ़ाया जा रहा है।

मुस्लिम शिक्षक के बनाया प्रश्न पत्र

बीजेपी नेता विकास प्रीतम सिंह ने इस मामले को उठाते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि ‘शारदा विश्वविद्यालय’ का कृत्य देखिए कि परीक्षा में छात्रों को ‘हिन्दुत्व’ को अनिवार्य रूप से फासीवाद और नाजीवाद के समकक्ष सिद्ध करने के लिए कहा जा रहा है. यह प्रश्न पत्र कथित रूप से किसी मुस्लिम शिक्षक द्वारा बनाया गया है.

जानिए क्या है पूरा मामला ?

ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में स्थित शारदा यूनिवर्सिटी में अंतर विभागीय परीक्षाएं चल रही हैं। इन्हें मिड टर्म एग्जामिनेशन कहा जाता है। पोलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट ने बीए के छात्र-छात्राओं से यह सवाल पूछा है। ‘पॉलिटिकल आइडियोलॉजी’ विषय प्रश्न पत्र में यह सवाल पूछा गया। प्रश्न पत्र में प्रश्न संख्या 6 पर आपत्ति है। सवाल कुछ इस तरह है, “क्या आप हिंदू राइट विंग (हिंदुत्व), फासिज्म और नासिज्म में समानता पाते हैं? तर्क के साथ समझाइए।”

अब यह मामला सार्वजनिक हो गया है। सोशल मीडिया पर हिंदूवादी संगठन और समर्थक विश्वविद्यालय का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि शारदा विश्वविद्यालय हिंदी विरोधी मानसिकता का प्रचार प्रसार कर रही है। हिंदुत्व को नाजीवाद और फासीवाद जैसा बताकर छात्रों गलत शिक्षा दी जा रही है।


यह भी पढ़ें:  Uttarakhand : भक्तों के लिए खोले गए केदारनाथ धाम के कपाट, PM Modi के नाम पर की गई पहली पूजा