द लीडर हिंदी : उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन और 5 बार के विधायक रहे मुख्तार अंसारी का अब अंत हो चुका है.कल माफिया से बाहुबली नेता बने मुख्तार अंसारी की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई है.मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात दिल का दौरा पड़ने से जीवन लीला समाप्त होगी. वह बीते कुछ दिन से बीमार था और इसका इलाज बांदा मेडिकल कॉलेज से चल रहा था.
मुख्तार अंसारी को अलग-अलग मामलों में 2 बार उम्रकैद हुई थी. वह 2005 से सजा काट रहा था.भले ही बाहुबली की मौत हो चुकी हो. लेकिन एक वक्त था जब मुख्तार और उसके परिवार की पूरे उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी.उत्तर प्रदेश के मऊ से कई बार विधायक रहे चुके मुख्तार अंसारी को कई अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई गई. और वह बांदा की जेल में बंद था. मुख्तार अंसारी के खिलाफ उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली और कई अन्य राज्यों में लगभग 60 से ज्यादा मामले लंबित थे. मुख्तार अंसारी भले ही अपराध की दुनिया में डॉन बन चुका था. लेकिन उसके परिवार बेहद बेहद प्रतिष्ठित और राजनीतिक हुआ करता था.बतादें मुख्तार अंसारी के परिवार का इतिहास काफी गौरवशाली है. अंसारी खानदान ने कभी जो इज्जत कमाई थी, वह शायद ही पूर्वांचल के किसी खानदान की कभी रही हो.नाना युद्ध के नायक, दादा स्वतंत्रता सेनानी, चाचा उपराष्ट्रपति, और मुख्तार खुद बन गया माफिया डॉन.
किसी पहचान का मोहताज नहीं अंसारी का खानदान
रौबदार मूंछों वाला मुख्तार जीवन के आखिरी पड़ाव पर भले ही व्हील चेयर पर बैठा दिखता रहा हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के पहले मऊ और उसके आसपास के इलाके में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती रही. अब अंसारी की ठिकानों को जमींदोज किया जा रहा है, लेकिन कभी एक वक्त था, जब पूरा सूबा मुख्तार से कांपता था. भले ही मुख्तार क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह हो. लेकिन उसका खानदान पूर्वांचल का सबसे प्रतिष्ठि खानदान माना जाता है.बता दें मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था. उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था.
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे.मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था. मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे.भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा लगते थे.
नाना युद्ध के नायक, दादा स्वतंत्रता सेनानी, चाचा उपराष्ट्रपति
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में जन्में मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जो गांधी जी के साथ काम करते थे. साल 1926-27 में वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहें. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई के दौरान शहीद हो गए और उन्हें महावीर चक्र से नवाजा गया था. मुख्तार के चाचा देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे. इनके खानदान को राजनीति विरासत में मिली थी, जिसे इनके पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी ने आगे बढ़ाया. सुब्हानउल्लाह की छवि एक साफ सुथरे नेता के रूप में रही. मुख्तार अंसारी का बेटा अब्बास अंसारी शॉट गन शूटिंग का इंटरनेशनल खिलाड़ी है. दुनियाभर में कई इंटरनेशनल मेडल जीत चुका अब्बास दुनिया के टॉप टेन शूटरों में शुमार है.
15 साल की उम्र से अपराध शुरू
आपको बता दें मुख्तार अंसारी का जन्म साल 1963 में एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था.सरकारी ठेका माफियाओं में खुद को शामिल करने के लिए उसने अपराध की दुनिया में प्रवेश किया। साल 1978 की शुरुआत में महज 15 साल की उम्र में अंसारी ने अपराध की दुनिया में कदम रखा. तब गाजीपुर के सैदपुर थाने में उसके खिलाफ धारा 506 के तहत पहला मामला दर्ज किया गया था. साल 1986 आते-आते उसपर धारा 302 (हत्या) के तहत एक और मामला दर्ज हो चुका था. इसके बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम जमा लिया.
ऐसे अपराध की दुनिया में रखा कदम
गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. पहली बार मुख्तार ने अपराध की दुनिया में साल 1988 में कदम रखा था. 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था. हालांकि, अगस्त 2007 में इस मामले में मुख्तार दोषमुक्त हो गया था.
जुर्म से राजनीति में एंट्री
30 जून 1963 को यूपी के गाजीपुर के यूसुफपुर में सुभानउल्लाह अंसारी के घर एक लड़के का जन्म हुआ.परिजनों ने उसका नाम मुख्तार अंसारी रखा। घरवालों ने शायद ही सोचा हो कि ये लड़का आने वाले वक्त में यूपी में खौफ का पर्याय बन जाएगा.लोग उसके नाम से कांपेंगे और लोग उसे देखते ही सड़कों से भागकर अपने घरों में छिप जाएंगे.1990 तक मुख्तार अंसारी गुनाह की दुनिया में बड़ा नाम बन चुका था.खासकर गाजीपुर, वाराणसी, मऊ और जौनपुर में तो उसका आतंक चरम पर था.इसके बाद साल 1995 में मुख्तार ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छात्र संघ के जरिए राजनीति में एंट्री ली और वह 1996 में विधायक बन गया. मुख्तार अंसारी साल 1997 से लेकर 2022 तक लगातार मऊ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया है.
मुख्तार ने 1990 के दशक में बना लिया अपना गैंग
1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया. उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था. पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे- ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग.
ब्रजेश सिंह गैंग से शुरू हुई दुश्मनी
1990 में गाजीपुर में तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उनका मुख्तार गैंग से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह से दुश्मनी शुरू हो गई. ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमले भी कराए थे.
2002 के बाद बदल गई मुख्तार की जिंदगी
सियासी अदावत से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ. साल 2002 ने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दी. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छी ली थी.यह बात मुख्तार अंसारी को नागवार गुजरी. इसके बाद कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और तीन साल बाद यानी साल 2005 में उनकी हत्या कर दी गई.