यूरोप में इस्लामोफोबिया फासीवादी रुख लेता जा रहा है, नाजी दौर लौटता सा महसूस हो रहा है, लेकिन इस बार उनका निशाना यहूदी नहीं, मुसलमान हैं। ताजा वारदात ने मुस्लिम समुदाय को सकते में ला दिया है, जब मस्जिद पर हमला करके तोड़फोड़ की गई और उस पर नाजी निशान बना दिया गया। (Germany: Mosque Vandalized)
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, एक जर्मन अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि अज्ञात हमलावरों ने मस्जिद में तोड़फोड़ करके दरवाजे पर स्वास्तिक का निशान बना दिया।
तुर्की-इस्लामिक यूनियन फॉर रिलिजियस अफेयर्स (DITIB) के तुर्गुत इलकर ने कहा कि डॉर्टमुंड में मस्जिदों पर पिछले महीने इसी तरह के हमले किए गए थे। हाल ही में बढ़े हमले चिंता का विषय हैं। (Germany: Mosque Vandalized)
उन्होंने कहा, “हम मांग करते हैं कि जर्मन अधिकारी तत्काल कार्रवाई करें और हमारे पूजा स्थलों की रक्षा करें। हम सभी लोकतांत्रिक संस्थानों के साथ डॉर्टमुंड में नस्लवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि डॉर्टमुंड सहिष्णुता का शहर बना रहे।”
फिलहाल, मस्जिद का मुआयना करने पहुंची पुलिस ने स्वास्तिक को स्प्रे पेंट से हटा दिया है।
जर्मनी ने हाल के वर्षों में नस्लवाद और मुस्लिम विरोधी घृणा में बढ़ोत्तरी के तथ्य सामने आए हैं। जर्मनी की आबादी सवा आठ करोड़ से ज्यादा है, जहां पश्चिमी यूरोप में फ्रांस के बाद दूसरी सबसे मुस्लिम रिहायश है। जर्मनी में तकरीबन 47 लाख मुसलमान हैं, जिनमें 30 लाख तुर्की मूल के हैं। (Germany: Mosque Vandalized)
यूरोप में तुर्की समुदाय खासतौर पर इस्लामोफोबिया और तुर्कोफोबिया की बढ़ती प्रवृत्ति से फिक्रमंद है, जो अक्सर यूरोपीय मुल्कों से घृणा अपराधों पर लगाम लगाने की अपील करता है।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोआन समेत तुर्की के अधिकारी हर मौके पर यूरोपीय नीति निर्माताओं और राजनेताओं से नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ रुख अपनाने का आग्रह करते हैं, जिससे यूरोपीय ब्लॉक में रहने वाले लाखों मुसलमानों की हिफाजत हो सके। इसके बावजूद ताजा हमले की तरह ही लोगों और इबादतगाहों पर इस्लामोफोबिक हमले जारी हैं।
Source: Daily Sabah