पाकिस्तान की आतंकवादरोधी अदालत ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद समेत जमात-उद-दावा के तीन लीडरों को आतंकी वित्तपोषण मामले में छह महीने जेल की सजा सुनाई है।
हाफिज सईद के अलावा उसके बहनोई हाफिज अब्दुर रहमान मक्की, जमात-उद-दावा के प्रवक्ता याहया मुजाहिद और जफर इकबाल को आतंकवाद निरोधी अदालत (एटीसी) लाहौर ने छह महीने के कारावास की सजा सुनाई।
जमात उद दावा चीफ सईद के नेतृत्व में लश्कर एक तैयबा के आतंकियों ने 2008 में मुंबई हमले को अंजाम दिया, जिसमें छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए थे।
शुक्रवार की सजा जुड़कर मुजाहिद और इकबाल का सामूहिक कारावास क्रमशः 80 और 56 साल हो गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ पंजाब पुलिस के आतंकवादरोधी विभाग (सीटीडी) द्वारा दर्ज किए गए आतंकी वित्तपोषण मामले भी चलेंगे।
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अदालत के अधिकारी ने कहा कि सीटीडी ने पंजाब के अलग-अलग शहरों में जमात उद दावा के नेताओं के खिलाफ 41 मामले दर्ज किए हैं। ट्रायल कोर्ट ने अब तक 37 मामलों का फैसला किया है।
हाल ही में एक फैसले में आतंकी ग्रुप लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के ऑपरेशन कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी को आतंकी वित्तपोषण के तीन मामलों में 15 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी।
इस सप्ताह की शुरुआत में एटीसी ने इकबाल और मुजाहिद को 14 साल के कारावास की सजा सुनाई, जबकि मक्की को छह महीने की सजा सुनाई। एटीसी ने हाफिज सईद को अब तक पांच मामलों में आतंकी वित्तपोषण के आरोप में 36 साल के कुल कारावास की सजा सुनाई है।
अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने सईद को खासतौर पर वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया है। उसे दिसंबर 2008 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1267 के तहत सूचीबद्ध किया गया था।
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पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव
वैश्विक आतंकी वित्तपोषण निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ कदम उठाने और भारत में हमलों को अंजाम देने के लिए अपने क्षेत्र का इस्तेमाल न करने देने का दबाव बनाया है।
सईद संयुक्त राष्ट्र की ओर से घोषित आतंकी है, जिस पर अमेरिका ने 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम रखा है। उसको पिछले साल 17 जुलाई को आतंकी वित्तपोषण मामलों में गिरफ्तार किया गया था। 70 वर्षीय जमाद उद दावा चीफ सईद लाहौर की हाई सिक्योरिटी कोट लखपत जेल में बंद है।
पेरिस स्थित एफएटीएफ ने जून 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा और इस्लामाबाद को 2019 के अंत तक मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग पर अंकुश लगाने की कार्ययोजना पर अमल करने को कहा, लेकिन बाद में कोविड-19 महामारी के कारण समय सीमा बढ़ा दी गई।