द लीडर : मिस्र की एक मशहूर एक्टिविस्ट और फिल्म एडिटर 27 साल की सना सैफ को ‘फेक न्यूज’ फैलाने के आरोप में डेढ़ साल जेल की सजा सुनाई गई है. सना अपने भाई अला आब्देल फतेह समेत दूसरे कैदियों की रिहाई को लेकर आवाज बुलंद किए थीं. कोरोनाकाल में जेल में बंद कुछ कैदियों को संक्रमण फैलने का डर सता रहा था. इसको लेकर सना ने सोशल मीडिया पर उन कैदियों की रिहाई के लिए अभियान छेड़ रखा था. (activist sana jailed Spreading Fake News Egypt)
कैरियो आपराधिक अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि फेक न्यूज से समाज में अफरातफरी का माहौल पैदा करने का प्रयास किया गया है. सना ने जेल में कोरोना फैलने की गलत सूचना प्रसारित करके सोशल मीडिया साइट्स का भी दुरुपयोग किया है. इसके लिए उन्हें डेढ़ साल कैद की सजा सुनाई जाती है. हालांकि सना के पास 60 के अंदर अपील करने का मौका रहेगा.
Today, Mar 17, we await a verdict in the case of Egyptian activist & film editor Sanaa Seif.
For demanding a letter from her detained brother, she was beaten, arrested, prosecuted. Sanaa is being tried for her Facebook posts, incl on the spread of Covid-19 in prison. #FreeSanaa pic.twitter.com/MPupAT2rck
— Mai El-Sadany (@maitelsadany) March 17, 2021
इससे पहले सना को जून 2019 में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ऑफिस के बाहर से उस वकत गिफ्तार किया था, जब वह अपने भाई की कैद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की कोशिश कर रही थीं. उनके भाई आब्दले मिस्र के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं.
सना के परिवार ने एक समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि 2020 में उनके परिवार के तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जब वे कैदियों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे.
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पश्चिमी देशों ने मिस्र में आतंकवादी विरोधी कानूनों के तहत बंद कार्यकर्ता, पत्रकार और राजनीतिक विरोधियों को बिना शर्त रिहा करने की मांग की है.
संयुक्त राष्ट्र की 2013 की एक रिपोर्ट के मुताबिक मिस्र में महिलाओं की सुरक्षा और स्वतंत्रा की स्थिति को चिंताजनक माना गया था. इसमें कहा गया था कि 99.3 प्रतिशत महिलाएं और लड़कियों को यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है.
इतना ही काहिरा के तहरीर चौक पर एक आंदोलन के दौरान करीब 91 महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाने की घटना भी घट चुकी है, जो इसी चिंता का हिस्सा है.एक सर्वेक्षेण के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की गई थी. दरअसल, मिस्र के जन आंदोलनों में महिलाओं की भूमिका जबरदस्त रहती है.